विनीत कुमार
ये पत्रकारिता का विमानकाल है. इस समय केवल वही चैनल पत्रकारिता कर सकते हैं जिन्हें भारतीय विमान सेना के जहाज पर लदकर पीटीसी करने का मौका मिल पा रहा है..और इसी क्रम में जी न्यूज़ जैसे चैनल ने सेना के विमान को कैंप से मुकर्जीनगर तक चलनेवाला फटफट बना दिया है.
ठीक है कि चैनल की गाड़ी या ओबी वैन जम्मू-कश्मीर की इस तबाही के बीच नहीं जा सकती लेकिन वायु सेना के विमान पर लदकर चालक से ये पूछना कि आपको जी न्यूज़ के बचाव की ये मुहिम कैसी लग रही है और आपको इसका असर दिख रहा है ?
संयोग से चालक भी उतने ही महान हैं जो जवाब देते हैं- बहुत अच्छा है,बहुत असर हो रहा है . मानों वो बचाव कार्य छोड़कर जी न्यूज़ के आगे बैठे होते हैं. इधर स्क्रीन पर बदले में मोदी महिमा जारी है.
सवाल है कि भारतीय वायु सेना के विमान सार्वजनिक काम के लिये है या जी न्यूज़ जैसे चैनल की जागीर..विमान चलाते चालक से अपने चैनल की ब्रांडिंग के लिये सुरक्षा के लिहाज से कहाँ तक जायज़ है ?
इधर विमान पर लदे न्यूज़ एक्सप्रेस के संवाददाता के पास बोलने के लिये कुछ नहीं है..तो भाई विमान से विजुअल्स दिखाते रहो लेकिन इस बेहूदगी से ये कल्पना क्यों कर रहे हो कि नीचे बाढ़ में फंसे लोग क्या सोच रहे हैं, कर रहे है..चैनल इसे ही बार-बार ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग बता रहा है..
(स्रोत-एफबी)