पंकज श्रीवास्तव, आइबीएन-7
ये बात ठीक है कि दिल्ली के क़ानून मंत्री सोमनाथ भारती पर लगे आरोपों के बाद उनका पद पर बने रहना बिलकुल जायज़ नहीं है। लेकिन अब इन ‘आरोपों’ पर गंभीर सवाल उठ गये हैं।योगेंद्र यादव ने चुनौती दी है कि जिस रात की घटना है, उस समय चार कैमरे लगातार मंत्री के साथ थे। न्यूज चैनलों को चाहिए कि वे फुटेज दिखायें जिनमें वे युगांडा की महिलाओ के साथ दुर्व्यवहार होता नजर आ रहा है।वाकई चुनौती गंभीर है…उधर खिड़की एक्सटेंशन के लोग जिस तरह भारती के पक्ष में नारे लगा रहे हैं, उसे भी दरकिनार नहीं किया जा सकता…(यहां बात उस आपत्तिजनक टिप्पणी की नहीं हो रही है जो भारती ने कांग्रेस और बीजेपी नेताओं पर की थी। उसके लिए आम आदमी पार्टी ने बाकायदा माफी मांगी है। )
Harish Burnwal-सब कुछ कैमरे पर ही तय कर लेना चाहते हैं। वैसे भी आप पार्टी बिना कैमरे के कोई काम नहीं करती है। भलाई का कोई काम बिना कैमरे पर नौटंकी के नहीं होता है। वो कह रहे हैं कि चार कैमरे थे, उनके फुटेज दिखाइये। आप भी समर्थन में हैं। लेकिन क्या आप भूल गए कि जो दुर्व्यवहार के आरोप लगा रही हैं, वो महिलाएं हैं… ये तो वही बात हो गई कि पुरानी फिल्मों में जिस तरीके से बलात्कार की घटनाओं के जिरह होते समय वकील ऐसे ऐसे सवाल पूछते थे कि आरोप लगाने वाला फिर दोबारा आरोप लगाने की हिमाकत न कर सके।
Pankaj Srivastava हरीश भाई, सीधी बात कीजिए। आरोप लगाने वाली महिलाओं ने कहा है कि सोमनाथ के नेतृत्व में भीड़ ने दुर्व्यवहार किया…फिर तो कैमरे को दिखाना ही पड़ेगा। ये कोई एकांत में हुई घटना नहीं है भाई…बहरहाल, मैं सच्चाई नहीं जानता, लेकिन चैनलों ने फुटेज नहीं दिखाया तो आरोप संदिग्ध हो ही जाएंगे..
Jagadishwar Chaturvedi मंत्री या जनसमूह का पुलिस को उकसाना,संबंधित औरतों को अस्पताल ले जाना और परीक्षण कराना गंभीर आरोप हैं यह कैमरे का खेल नहीं है।योगेन्द्र यादव जैसे व्यक्ति का इस घटना की हिमायत में खडे होना शर्मनाक लग रहा है।यह उनकी साख पर भी सवालिया निशान लगा रहा है।
Pankaj Srivastava जगदीश्वर जी, आप आरोप को सत्य मानकर ऐसा कह रहे हैं। सत्य हो तो मैं भी आपसे सहमत ही हूं। निवेदन बस इतना है कि अगर खेल कैमरे के सामने हुआ तो दृश्य गये कहां। जो चैनल लगातार केजरीवाल के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं, कैमरे भी उनके ही थे…ये मत भूलिए कि खिड़की एक्सटेंशन के लोग सालों से इस मसले पर उत्तेजित थे। लगातार जनप्रतिनिधियों और पुलिसवालों से गुहार लगा रहे थे, लिखापढ़ी भी कर रहे थे….इसलिए सोमनाथ को उकसाने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने बस इतना किया कि लोगों के साथ रात में घर से निकल पड़े और पुलिस पर दबाव डाला कि कार्रवाई करे..
Harishankar Shahi एक फुटेज तो भी वह भी बनता है कि मंत्री जी के कहने पर दारोगा ने क्या कहा… कम से कम पुलिस पर आरोप की भी फुटेज बना लेते… वैसे न्याय का फुटेजीकरण तो होगा ही…. आखिर काली महिला जो थी… वाह है
Jagadishwar Chaturvedi पंकजजी, कानून का काम कैमरे से नहीं हो सकता। मंत्री कमिश्नर के यहां जाए दबाव डालें,केन्द्र के पास जाए दबाव डालें, संसदीय जनतंत्र में यही तरीका है। स्थानीय लोग पुलिस के खिलाफ आंदोलन करें, आप नेतृत्व दे, पुलिस जब दिल्ली के मातहत नहीं है तो जिनके तहत है उनके पास जाएं ,लेकिन किसी के दरवाजे पर खड़े होकर भीड़ लेजाकर हंगामा करना,बार बार खराब करके बोलना,साथ ही लड़कियों को जबरिया अस्पताल ले जाना मानवाधिकार और कानून का उल्लंघन है, लोगों की शिकायत जायज है या जायज नहीं है यह भी पुलिस ही करेगी तय,मंत्री नहीं कर सकता। कानून का काम देखना पुलिस और अदालत की जिम्मेदारी है इसे किसी भी कीमत पर और किसी भी बहाने से जनता और जन प्रतिनिधियों के दबाव और रहमोकरम पर नहीं छोड़ा जा सकता।
Pankaj Srivastava मैं वही कह रहा हूं कि सोमनाथ भारती उस भीड़ का हिस्सा थे या नहीं, जो किसी को अस्पलताल ले गई, ये कैमरे के फुटेज से साबित हो सकता है। बाकी दोषी या निर्दोष तो अदालत ही तय करेगी। लेकिन जब कैमरे के आधार पर आरोप लगेंगे तो कैमरे की गवाही भी होगी..
Jagadishwar Chaturvedi पंकज जी, अब मामला पूरी तरह राजनीतिक हो गया है.बेहतर यही होता मंत्री महोदय पहल करके संतुलन से काम लेते। अब तो सब कुछ वकीलों की दलीलों का खेल हो गया है। मीडिया भी उसके बाहर निकल गया है।
(स्रोत-एफबी)