पार्टी का प्रवक्ता हो तो योगेंद्र यादव जैसा हो, वरना ना हो
एक बात और. आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव को अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं को ट्रेनिंग देनी चाहिए. आप किसी भी टीवी डिबेट में देख लीजिए, हिंदी चैनल हो या अंग्रेजी न्यूज चैनल, योगेंद्र यादव की नपी-तुली टिप्पणी, जानकारी, विश्लेषण, विनम्रता और अपनी बात को प्रस्तुत करने का अंदाज सबको चुप करा देता है. डिबेट में हल्ला हो रहा हो तो शांति छा जाती है. बहस सार्थक होने लगती है. विरोधी खेमा भी ये कहने को मजबूर होता है कि हम योगेंद्र जी का सम्मान करते हैं लेकिन इनकी इस बात से सहमत नहीं हैं. ये बात इसलिए कह रहा हूं कि कल -आज तक- चैनल के कार्यक्रम -दस्तक- में एंकर पुण्य प्रसून वाजपेृयी की मौजूदगी में जिस तरह दिल्ली में विपक्ष के नेता हर्षवर्धन और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह बुरी तरह भिड़ गए, वो निराश करने वाला था.
आमतौर पर तू-तू-मैं-मैं से दूर रहने वाले शांत स्वभाव के हर्षवर्धन का यह रूप देखकर मैं भी दंग था. संजय सिंह भी भावावेश में थे. दोनों चिल्ला रहे थे. और बहुत देर तक पुण्य प्रसून वाजपेयी भी चुपचाप होकर उनके वाक-युद्ध को देखते-सुनते रहे. अरविंद केजरीवाल के धरने पर होने वाली बहस दो नेताओं की निजी लड़ाई का अखाड़ा बन गया. पैनल में बैठे दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर को ज्यादा बोलने का मौका ही नहीं मिला (शायद एक ही बार बोल पाए). मेरा मानना है कि अगर इस बहस में -आप- नेता संजय सिंह की जगह योगेंद्र यादव होते तो बहस में ऐसी चिल्ला-चिल्ली नहीं होती. ना जाने क्यों, सभी पॉलिटिकल पार्टी के नेता ये मानते हैं कि टीवी डिबेट में जोर-जोर से और सिर्फ व सिर्फ अपनी बात कहने पर वह छा जाएंगे. विरोधी को बोलने ही मत दो. लेकिन उन सभी को योगेंद्र यादव से सीखना चाहिए. अपनी बारी आने पर बोलते हैं, विनम्रता से कहते हैं और तर्क के साथ बात रखते हैं.
पत्रकारिता की नौकरी छोड़कर -आप- में आए आशुतोष पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर कमाल नहीं कर पा रहे हैं. कभी वो कहने लगते हैं कि मैं भी एंकर रहा हूं, मैं भी पत्रकार रहा हूं सो ये जानता हूं-वो जानता हूं तो कभी अपनी भाव-भंगिमा रुठने वाली टाइप बना लेते हैं. Times Now पर अर्नव गोस्वामी के साथ बहस में तो उन्होंने Arnav Goswami को DICTATOR तक कह दिया. ये भी कहा कि आज Elite media के साथ बैठकर पहली बार मुझे एहसास हो रहा है. आदि-आदि. अंत में एक light note पर बहस खत्म करते हुए अर्नव ने कहा कि I thought Ashutosh will explode today. और फिर सब हंसे. आशुतोष भी.
अरविंद केजरीवाल को ये समझना होगा कि टीवी डिबेट में आसाराम के प्रवक्ताओं की तरह गालथेथरी करने से जनता में गलत संदेश जाता है. छवि ही खराब होती है. दूसरी राजनीतिक पार्टियों को इस रूप में देखने की जनता आदी हो चुकी है लेकिन आम आदमी पार्टी के बारे में वह अलग विचार रखती हैं. सो अपने चेहरों-प्रवक्ताओं की ट्रेनिंग आम आदमी पार्टी जितनी जल्दी करा ले, उतना ही अच्छा. जय हो.
sir, Debate is something you can not pretend whatever you are. In AAP many are chef people like sanjay singh or may other you can not get gentleman image form them with training. Yes Mr. Yadev is good mature man he is far better than kajriwal that reelect in decision of AAP hi is AAP PM candidate.
Sanjay singh is the most arrogant person… He thinks by raising voice in high volume he can put pressure on opposition..but what he said about bangladeshi people was totally condemnable…is he Indian or traitor..whole AAP party is nothing but a gang of naxalites,Maoist, communists and traitors..