आज कल एक खबर बहुत चर्चा में हैं की कैसे “दंगे के दौरान बिहार के एक हिन्दू विधवा औरत ने दस मुस्लिमों की जान बचाई” , तमाम अखबार, टीवी यहां तक की बीबीसी और पाकिस्तान में भी ये खबर आई हैं कि एक हिन्दू विधवा ने 10 मुश्लिमों की जान बचाई, मुख्यमंत्री ने उसे सम्मांनित भी कर दिया हैं । कितने शर्म की बात हैं कि उस औरत के नाम से ये खबर नहीं आई हैं उसकी पहचान इस तरह से हैं की वो “विधवा” हैं । तमाम प्रगतिशील लोगो और अखबारों ने भी ये खबर इसी हेडिंग के साथ लगाई हैं, किस समाज में हम जी रहे हैं ? क्या उस औरत का कोई नाम नहीं था, या आपको लगता हैं की “विधवा” के नाम से खबर जाएगी तो ज्याद मार्मिक लगेगी, ज्यादा असरदार होगा ? खतरनाक हैं ये सब, क्या हम कभी सभ्य नहीं हो पाएंगे ? क्या ये एक सवाल नहीं हैं उन तमाम लोगो के लिए जो स्त्रीवादी होने का दम्भ भरते हैं और इस पितृसत्ताकमक समाज के खिलाफ बोलते हैं । बहुत दुखद हैं मीडिया का इस तरह से इस ख़बर को लाना, हम कभी सभ्य नहीं होंगे । वैसे आपको बता दूँ की उस औरत का नाम “सैल देवी” हैं ।
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पवन के श्रीवास्तव,फिल्मकार