कुमार कृष्णन
नई दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा के सभागार में आयोजित सोशल मीडिया एवं लेखन विषयक सन्निधि संगोष्ठी में साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र से पांच लोगों को विष्णु प्रभाकर सम्मान से सम्मानित किया गया।
यह पूरा आयोजन काका साहब कालेलकर एवं विष्णु प्रभाकर की स्मृति में विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान, गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा एवं इण्डिया अनलिमिटेड द्वारा किया गया था। भागलपुर के मनोज सिन्हा को फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय फलक पर उल्लेखनीय कार्यों के लिए विष्णु प्रभाकर फोटो पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया। बिहार की राजधानी पटना में जन्मे और भागलपुर मे पले-बढ़े मनोज सिन्हा अपने काम के कारण परिचय के मोहताज नहीं है। देश में फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में मनोज सिन्हा का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। इनके कुछ छायाचित्रों ने न केवल सरकार की संवेदनहीनता को झकझोरा है बल्कि कभी न उजागर होनेवाली सच्चाईयों से पर्दा उठाने में कामयाव रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान के लिए माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के सहायक प्राचार्य डॉ सौरभ मालवीय को विष्णु प्रभाकर पत्रकारिता सम्मान दिया गया। उत्तर प्रदेश के देवरिया के पटनेजी गांव में जन्में डाॅ सौरभ मालवीय अपने विद्यार्थियों और मित्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। मीडिया पर गहरे शोध कार्य से ताल्लुक रखनेवाले डाॅ सौरभ माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हुए देश के अहम् संगठनों और संस्थाओं के मीडिया सलाहकार रहे हैं। इसी तरह साहित्य के क्षेत्र में लेखन के लिए प्रज्ञा तिवारी,राजेन्द्र कुंवर फरियादी एवं कौशल उप्रेती को विष्णु प्रभाकर साहित्य सम्मान दिया गया। प्रज्ञा तिवारी युवा कथाकार और कवयित्री हैं। वे जनसंचार की विभिन्न विधाओं में पारंगत हैं। उत्तराखंड के राजेन्द्र कुंवर फरियादी साहित्य के गहरे अध्येता और समाजसेवी हैं। कौशल उत्प्रेती स्कूली जीवन से लिख रहे है। इनकी कविताओं का संग्रह ‘ अतीत की ओर ’ प्रकाशित है। समाज सेवा में इनकी गहरी अभिरूचि है।
सोशल मीडिया एवं लेखन विषय पर परिचर्चा में मुख्यवक्ता शम्भुनाथ शुक्ल ने कहा कि मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिये, उसका उल्लंधन नहीं हो। वहीं मुख्य अतिथि पद्मा सचदेव ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग लोगों को भड़काने के लिये नहीं हरगिज नहीं किया जाना चाहिए। आज मीडिया के पास ताकत है तो जिम्मेदारी भी है, उसका ख्याल रखा जाना चाहिये। लखनउ से आयी सामाजिक कार्यकर्ता अलका सिन्हा ने कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण होना चाहिए। मनोज भावुक ने कहा कि सोशल मीडिया ने जहां अभिव्यक्ति का अवसर दिया है, वहीं लोग भी एक दूसरे के करीव आए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात भाषा विज्ञानी डॉ विमिलेश कान्ति वर्मा द्वारा किया गया तो संचालन का कार्य प्रसून लतांत और किरण आर्या ने किया। जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने कहा कि सोशल मीडिया का दायरा केवल पढ़े- लिखे या सम्पन्न लोगों तक सीमित है लेकिन संर्कीण सोच के कारण उत्पन्न त्रासदी की चपेट में वे लोग भी आ जाते हैं, जिनका इससे कोई लेना देना नहीं है। विषय प्रवेश कराते हुए शिवानन्द द्विवेदी सहर ने कहा कि सोशल मीडिया पर लेखन की शुरूआत होने से संपादकीय नाम की संस्था ध्वस्त हो गयी और लेखन उसके दायरे से मुक्त हो गया।
आयोजन में बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन, डाॅ गंगेश गुंजन, आशीष अंशु, रविशंकर, प्रवीण शुक्ल पृथक, प्रवीर राज संजीव सिन्हा, अनूप वर्मा, रितेश पाठक, राजेन्द्र देव आदि तमाम पत्रकारों के अलावा आयोजक वर्ग से विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के सचिव अतुल कुमार, गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा की मंत्री कुसुम शाह, इंडिया अनलिमिटेड की संपादक ज्योत्सना भट्ट उपस्थित रहीं।