विनोद कापड़ी
30 साल पहले आज के दिन जब इंदिरा जी की हत्या का समाचार रेडियो पर सुना तो बाल मन पर बड़ा गहरा असर पड़ा था,
बरेली का KV JRC , आठवीं की क्लास और स्कूल शुरू हो चुका था। तभी 12 बजे के आसपास ख़बर आई ,लेकिन आधिकारिक तौर पर संभवत 5 बजे बताया गया था।
इंदिरा जी की हत्या से पहले मैं फ़िल्मों मे हीरो बनना चाहता था पर उसके बाद अचानक पहली बार मन में पत्रकार बनने का ख़्याल आया।उस वक़्त सिर्फ़ दूरदर्शन था और मुझे याद नहीं कि जितना जनसैलाब तब उमड़ा था,ऐसा फिर कभी हुआ हो।
घर पर टीवी नहीं होता था। पास के घर पर जब अंतिम विदाई देखने पहुँचे तो वहाँ पहले से एक कमरे मे 30-40 लोग थे।
हो सकता है कुछ लोगों को बात जमे नहीं पर इंदिरा के बाद उतने करिश्माई,हनक वाले और असरकारी राजनेता @narendramodi ही दिखते हैं।
बस बलिदान दिवस को एकता दिवस में बदलना जमा नहीं।
(स्रोत-एफबी)