टेलीविजन पत्रकार से फिल्म निर्देशक बने विनोद कापड़ी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है. उन्हें उनकी फिल्म Can’t Take this shit anymore/ शपथ के लिए ये अवार्ड मिला है. इस डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रसारण महिला दिवस के दिन एबीपी न्यूज़ पर किया गया था और दर्शकों की वाहवाही मिली थी.सामाजिक फिल्म की श्रेणी में फिल्म का चयन किया गया है. गौरतलब है कि उन्होंने ‘मिस टनकपुर हाजिर हों’ नाम से एक फीचर फिल्म भी बनायी है जिसे फॉक्स भारत में रिलीज करने वाली है. निर्देशन में हाथ आजमाने के पहले वे न्यूज़ एक्सप्रेस,इंडिया टीवी,स्टार न्यूज़(एबीपी न्यूज़) और ज़ी न्यूज़ में उच्च पदों पर वे काम कर चुके हैं .
पुरस्कार मिलने पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए विनोद कापड़ी एफबी पर लिखते हैं –
Just announced.National award to my Film ” Can’t Take this shit anymore” शपथ .So happy.all credit goes to my team and my loving family.
ये तस्वीर उस दिन की है , जब आज से दो महीने पहले हम National Award के लिए entry भर रहे थे। याद है Manav M Yadav ??
यक़ीन नहीं होता कि हमारी पहली ही फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल गया ।
यक़ीन ही नहीं हो रहा कि फ़िल्म को National Award मिल गया !!
क्या करूँ ??
62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर एक सरसरी नज़र –
‘कोर्ट’ सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, जबकि ‘मैरी कॉम’ संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म
विजय को कन्नड़ फिल्म ‘नानू अवनल्ला अवालू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार, जबकि कंगना राणावत को फिल्म ‘क्वीन’ के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार
बलजिंदर कौर को फिल्म ‘पगड़ी द ऑनर’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार
बॉबी सिम्हा को फिल्म ‘जिगर ठंडा’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
श्रीजीत मुखर्जी को बंगला फिल्म ‘शोतूशकोन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार
फीचर फिल्मों, गैर फीचर फिल्मों और सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन पर गठित तीन निर्णायक मंडल के अध्यक्षों द्वारा आज 62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों, 2014 की घोषणा की गई। फीचर फिल्म केन्द्रीय पैनल के प्रमुख पी. भारतीराजा थे, जो तमिल सिनेमा की एक बड़ी हस्ती और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता हैं। इस केन्द्रीय पैनल में अध्यक्ष सहित 11 सदस्य थे। गैर फीचर निर्णायक मंडल के अध्यक्ष कमल स्वरूप थे और इसमें अध्यक्ष समेत 7 सदस्य थे। सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन पर गठित निर्णायक मंडल के अध्यक्ष गोविन्द कुमार (मधन) थे और इसमें अध्यक्ष सहित 3 सदस्य थे।