प्रखर श्रीवास्तव
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि पागल और जीनियस में एक बाल बराबर का अंतर होता है… मैं भी एक एेसे ही “पागल” को जानता हूं…उस “पागल” का नाम Vinod Kapri India है… अभी तीन घंटे पहले पोटी जैसे टॉपिक पर इस “पागल” की बनाई एक डाक्यूमेंट्री देखी, ऐसी डॉक्यूमेंट्री जो पूरे सिस्टम और समाज को हिला देने के लिए काफी है… बड़ा अजीबो गरीब “पागल” है ये… रात में तीन बजे ये आपको फोन करके दोपहर में की गई गलती के लिए गाली देगा… कभी रात में एक बजे फोन करके आपके सुबह बनाए एक अच्छे शो की तारीफ करेगा… रात में दो बजे कोई आइडिया आ गया तो आपको फोन लगा कर उस पर बात करने लगेगा… अभी हफ्ते भर पहले ये “पागल” मुंबई के एक मॉल में घूम रहा था… इसे तीन अनजाने लड़के मिल गए उनसे इस “पागल” ने पूछा कि वो क्या कोई ऐसी फ़िल्म देखना पसंद करेंगे जो रिलीज़ ना हुई हो? (इस “पागल” ने एक फिल्म डायरेक्ट की है जिसका नाम मिस टनकपुर हाजिर हो है और ये फिल्म अभी रीलीज़ नहीं हुई है)… इस “पागल” ने उन लड़कों को अपनी फिल्म दिखाई और उनकी राय ली… अब आप ही बताइये ऐसा “पागल” आपने कहीं देखा है… हम जब भी विनोद जी के बारे में पीठ पीछे बात करते हैं तो यही कहते हैं “—-वो पागल है “… लेकिन मैं कई बार सोचता हूं कि अगर काम के लिए किसी में विनोद जी जैसा आधा ‘पागलपन’ भी आ जाए तो ना जाने आदमी कहां से कहां पहुंच जाए… काश ऐसा “पागलपन” मुझ में भी आ जाए… विनोद जी आपके इसी ‘पागलपन’ को सलाम… विनोद जी, आपके लिए ‘पागल’ शब्द का इस्तेमाल किया इसके लिए माफ कर देना .
डॉक्युमेंट्री बनाने का तमीज़ क्या होता है, ये आज Vinod Kapri India की डाक्यूमेंट्री “can’t take this SHIT any more” देखकर समझ आया… ये डॉक्यूमेंट्री शौचालय की समस्या पर देश की सोच बदलने मेंं टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है… विनोद सर, आपने मुझ जैसे बहुत से लोगों को हमेशा गाइड किया कि डॉक्युमेंट्री कैसे बनाई जाती है, लेकिन मास्टर स्ट्रोक आपने अपने लिए बचा कर रखा था… hats off…
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