क्या हमारे इस पूरे समाज में , इस पूरे ढाँचे में कोई एक भी शख़्स ऐसा नहीं है जो ये सवाल उठाए कि ये कैसे हो सकता है ? दुर्भाग्य ये कि सभी लोग आँख बंद करके वही दिखाते और लिखते रहे , जो उस बच्ची के पिता दिखाते रहे। और जब किसी ने इस पूरे अभियान पर सवाल उठाया तो उसे जान से मारने की धमकी मिली , 700 -800 लोगो की भीड़ ने पथराव किया क्योंकि तैराकी का विश्व रिकॉर्ड बनाने निकली वो प्यारी बिटिया सिर्फ तीसरे दिन तक आते आते देवी माँ , गंगा मैया का साक्षात अवतार बन चुकी थी , उसकी पूजा शुरू हो चुकी थी। ऐसे में पढ़े लिखे पत्रकारों , संपादकों से लेकर अनपढ़ गाँव वालों तक- सब की अपनी तर्क शक्ति इस्तेमाल करने लायक बुद्दि बची कहाँ थी। इसलिए अब एक नई देवी का जन्म हो चुका है। पूजा शुरू हो ही गई है। मंदिर भी बन ही जाएगा।
हम सब मूर्ख और भावुक लोग ऐसे ही झूठ के देवी देवताओं के आदी हैं और हमें वही मिल रहा है , जिसके हम लायक हैं। देश को नई देवी मुबारक हो !!!
पर देवी को अलग करके देखें तो हो सकता है कि बच्ची में वाक़ई प्रतिभा हो। गंगा में उतरना और तैरना कोई मज़ाक़ तो नहीं है ,चाहे वो 500 मीटर ही क्यों ना हो !!
काश श्रद्दा के माता पिता उसका तमाशा बनाने के बजाय उसके बचपन को सहेज कर रखते।और उसे वो माहौल देते,जहाँ से ओलंपिक का रास्ता शुरू होता है।