अब देश के लिए खाते नहीं, सवाल करते हैः प्रश्नकाल
सालों से “एक हम अकेले हैं जो देश के लिए खाते हैं” की घोषणा के साथ एनडीटीवी इंडिया पर जायका इंडिया का शो कर रहे विनोद दुआ अब अपने नए लुक में सवालों के साथ आइबीएन7 पर हाजिर हैं. प्रश्नकाल नाम के इस शो की खास बात स्वयं विनोद दुआ का आकर्षण तो है ही कि भाषा और बॉडी लैंग्वेज को लेकर टीवी स्क्रीन एक ही साथ गंभीर और संजीदा होने लग जाता है. ऐसा लगता है कि ये पहले के डंके की चोट पर आशुतोष( अब आप के नेता) की भाषा और अंदाज का विलोम है. शायद चैनल ने अपने स्तर पर ये समझ लिया है कि प्राइम टाइम में दिनभर की चिल्ल-पों और शोर के बाद डंके, नगाडे और गोली की रफ्तारवाली पार्श्व ध्वनि नहीं बल्कि ऐसे इत्मिनान परिवेश की जरुरत होती है जहां दर्शक ठहरकर खबर सुन-समझ सके. लेकिन विनोद दुआ की इस मौजूदगी के साथ शो के कुछ और दिलचस्प पहलू हैं.
सबसे पहले तो ये कि साल 2000 के पैदा हुए वे तमाम दर्शक जिन्होंने दूरदर्शन पर उनके जलवे और थोड़े वक्त के लिए ही सही एनडीटीवी इंडिया पर विनोद दुआ लाइव नहीं देखें, उन्हें विनोद दुआ के पुराने लेकिन रिवाइव अंदाज से परिचय होगा. दूसरा कि संसदीय व्यवस्था के बीच से उठाए गए इस शब्द को लेकर जो शो प्रसारित हो रहा है, उसमे एक चुटकी अमूल सुरभि, एक रत्ती आकाशवाणी के फरमाईशी गीत कार्यक्रम और मौजूदा दौर के सोशल मीडिया से लेकर उन तमाम मंचों का पचरंगा अचार है जहां दर्शकों की मौजूदगी हो सकती है. ऐसे में चैनल की “ओपन माइक” के जरिए दर्शकों का स्क्रीन पर आना स्वयं टीवी 18 की सिटिजन जर्नलिज्म का एक टुकड़ा शामिल होने जैसा लगता है.
विनोद दुआ सवाल करनेवालों का परिचय जिस अंदाज में कराते हैं वो विविध भारती के उद्घोषकों की द दिलाता है. रही बात पैनल में शामिल लोगों से सवाल करने की तो इतना भी इत्मिनान और दर्शकों के सवालों पर निर्भर क्या हो जाना कि टेलीविजन बहस की तासीर ही खत्म हो जाए. दर्शक अपने चेहरे, फेसबुक स्टेटस, ट्विटर अकाउंट टीवी स्क्रीन पर देखकर संभव है, रियलिटी शो की एक छंटाक महसूस कर पा रहे हों लेकिन अब तक जिस ठहरे हुए पानी के बीच ये शो चल रहा है, अर्णव के दर्शक और आशुतोष के पुराने दर्शक तो यहां आकर अनाथ ही हो जाएंगे. ऐसा इसलिए भी कि टीवी की बहस में दिलचस्पी सिर्फ मुद्दों पर नहीं पेश करनेवाले चेहरे पर भी निर्भर करती है. चैनल ने विनोद दुआ को जिस “ रिकॉल वैल्यू” के तहत लांच किया है, देखना होगा कि लगभग इतिहास हो चुके चेहरे के बीच वर्तमान कैसे पनपता है ?
चैनल- आइबीएन7,
समय- रात- 8.00 से 9.00
स्टार- 2.5
(मूलतः तहलका में प्रकाशित)