-विकास भदौरिया,पत्रकार,एबीपी न्यूज़-
आज संसद के शीत कालीन सत्र का दूसरा दिन है … पहली मंजिल पर हम कुछ पत्रकार आपस में बाते कर रहे थे तभी वहां एक सांसद आ पहूचे वे संसद की SBI ब्रांच से पैसे निकालने आये थे… हम भी नोटबंदी पर बात कर रहे थे सो वे भी उसमे शामिल हो गए । हाल ही में उनके राज्य को बने 16 बरस पूरे हुए हैं। उनकी पार्टी विपक्ष में है और सरकार की नोटबंदी की योजना के खिलाफ है ।
अब उनके साथ बातचीत का ब्यौरा यहाँ लिख रहा हूँ। ये इसलिए क्यों कि बातचीत पूरी तरह ऑफ रिकॉर्ड है और इसको मैं उनके नाम से रिपोर्ट नहीं कर सकता।
सवाल – आप क्या सोच रहे हैं इस योजना पर निजी तौर पर
सवाल – मोदी की नोटबंदी की योजना के साथ है ,लेकिन
राजनितिक मज़बूरी है, इसलिए इस योजना का विरोध कर रहे हैं, योजना तो हम जैसे गरीब सांसदो के लिए अच्छी है, मैं तो दुर्घटना से सांसद बन गया , हमारी पार्टी के एक एक MLA ने तीन तीन प्रत्यशियों से पैसा ले रखा था लेकिन सीबीआई की रेड हुई और सब MLA डर गए मैं राज्य सभा चुनाव जीत गया।
सवाल- क्या राजनितिक मज़बूरी है पूछने पर बोलते हैं कि पैसा नहीं होगा तो चुनाव कैसे लड़ेंगे, क्या कांग्रेस, क्या जदयू क्या हम , और क्या यही मज़बूरी है ।
सवाल – केजरीवाल की क्या मज़बूरी है ? ,
जवाब – अब आप मुझसे सुनना चाहते हैं तो सुनिए। अब जो चंदा ब्लैक में मिला था वो तो सब बर्बाद हो गया… अब कौन चंदा देगा।
सवाल – लेकिन वो तो सबसे ईमानदार नेता है, कैसे ब्लैक में चंदा लेंगे?
सवाल – अब बस छोड़िये…. दर्द तो इसी बात का है कि चुनाव कैसे लड़ेंगे केजरीवाल। और अब कौन चंदा देगा उनको
सवाल – आप इसको ऑन रिकॉर्ड क्यों नहीं बोलते हैं ?
जवाब – देखिये ये तो अब तक मैं ****** ( अपना नाम लिया) बोल रहा था लेकिन जब ऑन रिकॉर्ड की बारी आयेगी तो मै पार्टी लाइन बोलूंगा और झूठ बोलना पड़ेगा। अब छोड़िये मैं पैसा निकालने जा रहा हूँ
करीब 15 मिनट बाद वे पैसा निकाल कर आये तो फिर मुलाकात हुई मैंने उनसे कहा आपका इंटरव्यू करूंगा उन्होंने कहा किस बात पर मैंने कहा … आपकी दिल की बात पर काला धन पर वे फिर बोले “तब तो झूठ ही बोलेंगे”
हम संसद की पहली मंजिल से बात करते हुए नीचे आ गए… कुछ पुरानी बातों को याद करते हुए ।
सवाल – हम लोग कभी कभी सोचते हैं कि क्या वाकई में 10 हज़ार करोड, 20 हज़ार करोड इतना पैसा होता है, राजनितिक दलों के पास ।
जवाब – अरे है 3-4 करोड़ तो आप चिल्लर मानिये, मैं तो चुनाव लड़ा हूँ न, मुझे पता है, आँखों से देखा हुआ है 100-150 करोड़ तो… अपनी आँखों से देखा है
अब हम संसद के गेट नंबर 4 के बाहर पहूच चुके थे। यही कैमरा मैन को बुलाया और उनका इंटरव्यू शुरू किया … लेकिन उन्होंने वाकई में दिल की बात ज़ुबाँ पर नहीं आने दी…बड़ी सफाई से अपनी पार्टी का पक्ष रखा… मैंने आपने इंटरव्यू का अंत भी ऐसे ही किया “आप अब पूरे नेता हो गए है दिल की बात ज़ुबाँ पर नहीं आने दी आपने” वे हँसे और इंटरव्यू ख़त्म हो गया।
कैमरा ऑफ होते ही फिर बोले अगर दिल की बात ज़ुबाँ पर आ जाती तो दिल्ली के चैनल की सभी OB ( लाइव करने वाले वाहन) मेरे घर पर डेरा डाल देते।।
हंसी ठहाकों के वे अपने घर के लिए निकल लिए … मैं फिर सोचता रहा की राजनीती और देश नीति में ज़मीन आसमान का अंतर है । और कुछ पार्टियां राजनीती ही करती रहेगी।
(स्रोत-सोशल मीडिया)