डॉ. वर्तिका नंदा की नयी किताब तिनका – तिनका तिहाड़ नाम से आयी है। नाम से जाहिर होता है कि इसकी पृष्ठभूमि में तिहाड़ जेल है। किताब के बारे में खुद जानकारी देते हुए वर्तिका नंदा फेसबुक पर लिखती हैं :
बहुत दिनों से मुझसे कई कोनों से सवाल पूछे गए- मैं क्या नया कर रही हूं इन दिनों। मैं चुप रही। मैं नहीं कहना चाहती थी कि मैं इन दिनों वहां जाती हूं जहां हवा भी जाने से पहले शायद सोचा करती होगी। मैं उन गलियों से गुजर रही थी जहां दुख सहमे बैठे रहते हैं। तिहाड़ न जाने कितनी बार गई। बेतहाशा अनुभवों के बीच आज आखिरकार तिनका तिनका तिहाड़ हिंदी और अंग्रेजी में आई है। यह दुनिया का अपनी तरह का पहला प्रयोग है। किताब के केंद्र में हैं – चार कैदी और इसे मैनें और विमला मेहरा (महानिदेशक, तिहाड़) ने संपादित किया है। इस किताब में छपी तस्वीरें कैदियों ने खुद ली हैं।
हां, यह भी कहूंगी -इस किताब के जरिए मैं दुख को कस कर पकड़ कर झकझोरना चाहती थी और मैं उसमें सफल रहीं। मेरा मन रहा है कि मैं चुप्पी के उस पार जाकर जिंदगी को समझूं। बहुत सीखा इस किताब की यात्रा से मैनें। मैनें दुखों को बेहतर ढंग से समझा। जिंदगी के उलझे फंदों को भी। इतनी छोटी जिंदगी। किसी पल का भरोसा नहीं। तब भी इतने फरेब कैसे कर लेता है शैतानियों से भरा समाज का एक हिस्सा। खैर, जेल के अनुभवो पर किताब कुछ साल बाद।
आज एक सांस में किताब को देखना आसान हो सकता है पर मेरे लिए यह एक लंबा यज्ञ था। पर आज खुशी इस बात की भी है कि आप सब मुझ पर भरोसा करते हैं।