‘नेशनल दस्तक’ के चक्कर में ‘द लल्लनटॉप’ पर चुड़ैलों का साया !

इंडिया टुडे ग्रुप को यह गंदगी सिर्फ इसलिए करनी पड़ी क्योंकि नेशनल दस्तक और लल्लनटॉप के बीच एलेक्सा रैंकिंग में फ़ासला ख़त्म हो गया था। दस हज़ार करोड़ रुपए की कंपनी इसे कैसे सहन कर सकती थी।

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लल्लनटॉप में चुड़ैलों का निवास

भूत-प्रेत और चुडैलें मानों आजकल ऑनलाइन माध्यम में शिफ्ट हो गए हैं. पहले ये न्यूज़ चैनलों के न्यूज़रूम में पाए जाते थे. लेकिन राजनीतिक दखलंदाजी से वहां से उनका डेरा उठ गया. तब से उन्होंने ऑनलाइन को ही अपना बसेरा बना लिया है.

वैसे तो कुछ वेबसाइटों पर ये चुडैलें स्थायी रूप से निवास करती हैं लेकिन दूसरी वेबसाइटों के बुलावे पर वहां भी बिना किसी भेदभाव के चली जाती है और हिट्स की मुंहमांगी मुराद पूरी कर देती है.

आजकल इसका नया ठिकाना ‘द लल्लनटॉप‘ है. जी वही लल्लनटॉप जो कभी साहित्यप्रेमियों का अड्डा हुआ करता था.लेकिन आजकल वहां अक्सर चुडैलें मंडराती है. आखिर ऐसा क्यों हुआ? जानिए झाड़ – फूंक विशेषज्ञ ‘दिलीप मंडल’ से –

‘द लल्लनटॉप’ पर चुड़ैलों का साया, एलेक्सा रैंकिंग का मसला

दिलीप मंडल, वरिष्ठ पत्रकार –

इंडिया टुडे ग्रुप को यह गंदगी सिर्फ इसलिए करनी पड़ी क्योंकि नेशनल दस्तक और लल्लनटॉप के बीच एलेक्सा रैंकिंग में फ़ासला ख़त्म हो गया था। दस हज़ार करोड़ रुपए की कंपनी इसे कैसे सहन कर सकती थी।

इसलिए आपको चुडैलों की ख़बरें पढ़ाई जा रही हैं और ऐसी तमाम ख़बरों को ‘आज तक’ के पेज पर प्रमोट किया जा रहा है। किसी भी क़ीमत पर हिट चाहिए।

बहरहाल, अब उसका मुक़ाबला दैनिक भास्कर वग़ैरह से है। इन साइटों की चुडैंलें भिड़ेंगी, तो जनता भी मौज लेगी।

वैकल्पिक पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट्स के लिए यह अच्छी बात है।

दोनों वेबसाईट की एलेक्सा रैंकिंग –

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