भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में ‘तहलका’ पत्रिका का अपना एक विशिष्ट स्थान है. ये स्थान तहलका ने अपनी तथ्यपरक रिपोर्ट और खोजी पत्रकारिता के बदौलत हासिल की. लेकिन तरुण तेजपाल प्रकरण के बाद तहलका और उसके पत्रकारों पर जो संकट के बादल मंडराए, वे अबतक छंटने का नाम नहीं ले रहे. वैसे तो ज्यादातर पुराने पत्रकार तहलका (हिंदी)को छोड़कर जा चुके हैं,लेकिन अभी ताजा प्रकरण में बची-खुची टीम ने भी सामुहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने वालों में कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह,प्रशांत वर्मा, मीनाक्षी तिवारी, अमित सिंह, कृष्णकांत और दीपक गोस्वामी शामिल है.गौरतलब है कि तहलका में पिछले काफी समय से सैलरी संकट भी चल रहा था. बहरहाल इस मामले में मेल के जरिए एक नया तथ्य सामने आया है जिससे पुरानी टीम के प्रति मैनेजमेंट की बेरुखी और तहलका के पत्रकारों के इस्तीफे की असल वजह का पता चलता है. मेल से आए उस पत्र को ज्यों का त्यों हम प्रकाशित कर रहे हैं.अपने आप में ये विडम्बना है कि जिस पत्रिका ने कभी पत्रकारों के शोषण आदि के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुई ‘मीडिया मजूरी’ जैसी ख़बरों को आवरण कथा बनायी, आज उसी संस्थान के पत्रकारों को ये दिन भी देखने पड़ रहे हैं.
> मैं जो यह मेल लिख रहा हूँ और दो एक साथी और भी तहलका हिंदी से ही जुड़े हुए हैं। हम भी कोई आज नहीं जुड़े हैं। तब जुड़े थे जब तहलका हिंदी में संजय दुबे जीकार्यकारी संपादक हुआ करते थे। और जिस आर्थिक परेशानियों का जिक्र करके बृजेश सिंह ने सामूहिक इस्तीफा दिया है वो कोई आज-कल में शुरू नहीं हुआ है। वो तरूण और शोमा के जाने के साथ ही शुरू हो गया था। फिर ये कथित क्रांतिकारी कदम अभी ही क्यों? क्या इसके पीछे कोई और कारण था जो न तो आपको बताया गया और ना ही तहलका हिंदी के दूसरे साथियों को। संजय दुबे के जाने के बाद अतुल चौरसिया तहलका हिंदी के कार्यकारी सम्पादक बनाए गए थे। जब अतुल चौरसिया गए तो बृजेश सिंह तहलका हिंदी के कार्यकारी संपादक बनाए गए। संजय दुबे के वक्त बृजेश एक संवाददाता थे।
> इसमें कोई शक नहीं कि बृजेश ने संजय दुबे और अतुल के बाद पत्रिका को बेहतर ढंग से सम्भाला। लेकिन जिस दिन उन्होंने अपने टीम के सामूहिक इस्तीफे का मेल मैनेजमेंट को भेजा था उसी दिन दोपहर एक बजे मैनेजमेंट से एक मेल तहलका में सबको आया था। इस मेल के तभी आ जाना चाहिए था जब संजय दुबे तहलका से गए थे। मैनेजमेन्ट ने अपने मेल में अनुभवी पत्रकार अमित प्रकाश सिंह को तहलका हिंदी पत्रिका का डिप्टी एडिटर बनाए जाने की घोषणा की थी। मैनेजमेंट से आए मेल को आप नीचे पढ़ सकते हैं। क्या अब भी आपको लगता है कि सामूहिक इस्तीफा केवल आर्थिक तंगी की वजह से था। मेरा भी मानना है कि आर्थिक तंगी तो है लेकिन हालात पिछले कई महीनों के मुकाबले ठीक हुए हैं।
> आप अमित प्रकाश जी से और तहलका मैनेजमेंट से इस बात की तस्दीक कर सकते हैं।
> हम उम्मीद करते हैं कि आप आपने वेब पोर्टल को किसी के द्वारा इस्तेमाल नहीं होने देंगे। और इसलिए पूरी सच्चाई सामने लाना जरूरी है।
> तहलका कर्मी
> Subject: Welcome to Mr. Amit Prakash Singh, Deputy Editor- Tehelka Hindi
>
> >
> > ——– Original Message ——–
> > Subject: Welcome to Mr. Amit Prakash Singh, Deputy Editor- Tehelka Hindi
> > Dear All,
> >
> > It gives us great pleasure in welcoming Mr. Amit Prakash Singh, who has
> > joined us as Deputy Editor- Hindi. He comes to us with rich experience
> > spanning over three decades.
> >
> > Before joining Tehelka, Mr. Amit Prakash Singh has worked as
> > Consulting Editor -India Today. He has also worked with Jansatta as
> > Editor- Delhi & News Editor- Kolkata.
> >
> > We welcome Mr. Amit Prakash Singh and wish him all the best for this
> > important assignment.
> >
> > With Regards,
> >
> > Tehelka HR
>