मोदी समर्थकों की तरह मोदी विरोधियों की भी ये समस्या है कि उनके लिए भी सब कुछ 2014 के बाद ही शुरू होता है..उससे पहले की बातें भूल जाते हैं लेकिन जिसे याद ना हो..उन्हें बता दूं 2001 में सनी देओल की फिल्म आई थी गदर..एक सरदार (तारा सिंह) और एक मुसलमान (सकीना) की प्रेम कहानी..गजब की फिल्म थी..ऐतिहासिक कामयाबी मिली…सिनेमा हॉल में गदर मचा दिया था..लेकिन इस फिल्म के खिलाफ मुसलमानों ने भी गदर मचाया था..जानते हैं क्यों ? मुसलमान इस बात से नाराज़ थे कि एक सरदार हीरो..एक मुसलमान हीरोइन की मांग कैसे भर सकता है ? फिल्म में तारा सिंह विभाजन के वक्त सकीना को रेप से बचाता है..उसकी जान बचाता है..उससे शादी करता है..जिस सरदार हीरो ने मुसलमान हीरोइन के लिए इतना किया होता है..उससे मुसलमान महज इसलिए नाराज़ हो जाते हैं कि सरदार ने मुसलमान हीरोइन की मांग में सिंदूर कैसे भर दिया..देशभर में बवाल हुआ..भोपाल में तो जबरदस्त आगजनी हुई..आगजनी करने वाला किस पार्टी का नेता था..जानते हैं ? सबसे बड़ी सेक्युलकर पार्टी कांग्रेस का नेता…और नेता का नाम बताना जरूरी है ? आप समझ ही गए होंगे..और जो नहीं समझे उन्हें बता दूं कि उस नेता का नाम आसिफ था..एक फिल्मी कहानी पर शहरों में आग लगा देने वाले लोग ज्ञान दे रहे हैं कि तनिष्क के विज्ञापन का विरोध क्यों ? विरोध क्यों हो रहा है, वो भी बताता हूं..
इसी विज्ञापन को थोड़ा बदल लीजिए..किसी हिंदू घर में किसी मुस्लिम लड़की को दिखा दीजिए..सारा लिबरलिज्म हवा हो जाएगा..तनिष्क के अलावा पोस्ट के साथ जो और दो फोटो दी हैं..उसी में देख लीजिए..किसी तिलक लगाए हिंदू को किसी हिजाब वाली महिला के साथ दिखा दीजिए..सर्फ एक्सेल का एड आया था..झक सफेद कुर्ता-पजामा पहने एक मुस्लिम बच्चे नमाज अदा करने जा रहा था..हिंदू बच्चे होली पर रंग फेंककर उसे परेशान कर रहे थे..तभी एक लड़की साइकिल पर उसे मस्जिद पहुंचाकर आती है..यानी आपने इससे 2 संदेश दे दिए..पहला तो ये कि होली पर हिंदू दूसरों को परेशान करते हैं..और दूसरा ये कि रंग पड़ जाएगा तो अल्लाह दुआ कबूल नहीं करेगा..अगर वो मुस्लिम बच्चा रंग लगे कपड़ों से ही नमाज़ पढ़ लेता तो क्या उसकी दुआ कुबूल नहीं होती..बच्चों के विज्ञापन में भी हिंदू-मुस्लिम डालने का क्या मतलब ?..यहां ना सिर्फ हिंदू-मुस्लिम डाला गया बल्कि ये भी बता दिया गया कि कौन से धर्म के लोग Bully करते हैं..तनिष्क को ही ले लीजिए..विज्ञापन वापस लेने पर जो सफाई दी है उसमें कहा है कि अपने स्टाफ और कर्मचारियों का ख्याल रखते हुए विज्ञापन वापस लेने का फैसला लिया गया है..यानी हिंदू हमला कर देते..जबकि सेटेनिक वर्सेज से लेकर चार्ली हेब्दो तक और कमलेश तिवारी से लेकर बैंगलोर दंगे तक इस बात का पूरा इतिहास है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की कौन कितनी इज्जत करता है ?
फिर आते हैं तनिष्क के विज्ञापन पर..आप लव जिहाद को राइट विंग का एजेंडा कहकर खारिज कर देते हैं..गूगल में जाकर केरल ईसाई लव जिहाद टाइप करिए..सैंकड़ों आर्टिकल मिल जाएंगे जिसमें ईसाई संगठन भी लव जिहाद का जिक्र कर रहे हैं..हिंदी अखबार बढ़ लीजिए..शायद ही कोई दिन बीतता हो जिस दिन लव जिहाद और सूटकेस में सिरकटी लाश की खबर ना छपती हो..जिस दिन तनिष्क का विज्ञापन आया था..उसी के अगले दिन लखनऊ में एक महिला ने विधानसभा के सामने खुदकुशी क्यों की..सब जानते हैं..और तनिष्क क्या दिखा रहा था..धीरे-धीरे ब्रेन वॉश ऐसे ही किया जाता है
अपनी बात गदर फिल्म से शुरू की थी..गदर की ही तरह एक और एतिहासिक हिट फिल्म थी शोले…इस फिल्म के पटकथा लेखक थे सलीम-जावेद…फिल्म में वीरू…भगवान शंकर की मूर्ति की पीछे छिपकर बसंती से फ्लर्ट करता है..यानी मंदिर का इस्तेमाल फ्लर्टिंग के लिए हो रहा है..लेकिन गांव में रहीम चाचा की मस्जिद में लाउड स्पीकर बज रहा है…ध्यान देने वाली बात ये है कि गांव के सबसे अमीर ठाकुर परिवार यानी संजीव कुमार के घर लालटेन जलती है..लेकिन मस्जिद में लाइट से लाउडस्पीकर चल रहा है..फिल्म दीवार में बिल्ला नंबर 786 अमिताभ की जान बचाता है लेकिन अमिताभ की मां निरूपा राय जिस भगवान भोलेनाथ की ज़िंदगी भर पूजा करती है..वो भगवान निरूपा राय को दुख के अलावा कुछ नहीं देते..अमिताभ मंदिर में जाकर शिवजी से इसकी शिकायत भी करते हैं..क्या ये सब महज एक संयोग था ? जावेद अख्तर के आजकल के ट्वीट देखकर लगता तो नहीं कि ये सिर्फ एक संयोग था..
कुल मिलाकर बात ये है कि जब तक हिंदू धर्म को बेड लाइट में दिखाया जाएगा तब तक सब सही है..बस अगर उसका उल्टा कर दिया..तब सबकी सेक्युलरिज्म और लिबरलिज्म सामने आ जाएगा..”
(श्री प्रदीप जोशी की वाल से साभार।)
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