अभय सिंह
कुछ वर्ष पहले राजदीप सरदेसाई के CNN-IBN चैनल को भारत के शीर्ष अंग्रेजी चैनलों में गिना जाता था।राजदीप की बेहतरीन एंकरिंग के सभी मुरीद थे।मेरे पिता जी भी उनकी एंकरिंग के बड़े प्रशंसक थे।वे राजदीप के ऐसे मुरीद थे कि यदि कभी तकनीकी खराबी के कारण उनका चैनल नहीं आता तो मुझपर भड़क जाते थे। लेकिन अचानक राजदीप के हाथ से चैनल निकल गया और एक बेजोड़ एंकर को क्रांतिकारी चैनल में नौकरी पर मजबूर होना पड़ा।
दूसरी तरफ बरखा दत्त अपने ओज हीन हो चुके पत्रकारिता करियर के साथ वही घिसीपिटी ख़बरें दे रही थी. और उनके ,देशविरोधी कृत्यो से लोग तंग आ चुके थे। ठीक उसी वक्त टाइम्स नाऊ के स्क्रीन पर अर्नब गोस्वामी नाम के सितारे का उदय हुआ और दर्शको को एक तेजतर्रार युवा एंकर मिल गया । अर्नब ने अपनी खास पहचान बनाई जिसकी बदौलत जल्दी ही उन्होंने अंग्रेजी न्यूज़ चैनल में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। उनके प्राइम टाइम न्यूज़आवर को रवीश, पुण्यप्रसून,बरखा दत्त,राजदीप से भी अधिक लोकप्रियता मिली। लोग कहने लगे न्यूज़आवर नहीं देखा तो क्या देखा. उनकी ख्याति देश-विदेश तक फैल गयी. पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू ने उन्हें और बुलंदी पर पहुँचाया।
उरी हमले के बाद उनकी लगातार प्रसारित राष्ट्रवादी डिबेट को जबरदस्त लोकप्रियता मिली। इससे कुछ वामपंथी, बुद्धिजीवी एवं खास पार्टी के लोग बौखला गए। उन्होंने ट्विटर,फेसबुक,अखबारो में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ चारों दिशाओ में सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। इतना ही नहीं एक वामपंथी संपादक और गुप्त रूप से घोषित नेता अपने सहयोगियों के प्राइम टाइम का बायकाट करके अर्नब गोस्वामी के न्यूज़ आवर में सिर खपाते अक्सर मिलते है।लेकिन कहते हैं न कि हमारे सबसे बड़े विरोधी ही हमारे सबसे बड़े सहयोगी होते हैं। मसलन नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में कांग्रेस का बड़ा योगदान है और कांग्रेस ही बीजेपी के कॉंग्रेसमुक्त अभियान की सबसे बड़ी सहयोगी बनी। क्या ठीक उसी तरह विरोधियों का अर्नब गोस्वामी पर सर्जिकल स्ट्राइक अर्नब को और ऊँचाइयों पर ले जाएगा.
(एक दर्शक की प्रतिक्रिया)