ध्रुव गुप्ता
ख़बर मिली है कि पाकिस्तान में भारतीय न्यूज़ चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह तो प्रत्याशित ही था। असली ख़ुशी तब होगी जब भारत में भी दूरदर्शन के सिवा दूसरे सभी भारतीय न्यूज़ चैनलों को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इनके उन्मादी समाचार वाचकों, बड़बोले, असभ्य एंकरों और किसी भी विमर्श में शामिल मूर्ख, झगड़ालू पैनलिस्टों ने देश का अमन-चैन छीन लिया है। इन्हें घंटे, दो घंटे देख लीजिए तो रात भर बुरे-बुरे सपने आते हैं।
भर दिन हिंदी न्यूज़ चैनल बदल-बदलकर देखने के आदी मेरे एक मित्र की मानसिक दशा ऐसी हो गई है कि पिछली कई रातों से सपने मे भी सर्जिकल स्ट्राइक करने लगे हैं। रात-रात भर उनके ‘पकड़ो-पकड़ो’, ‘मारो-मारो’, ‘फोड़ो-फोड़ो’ की चीख से उनकी पत्नी का सोना मुहाल है।
दूसरों का क्या कहूं, इन न्यूज़ चैनलों के कारण दो दिन पहले एक दुर्घटना मेरे घर में भी घट चुकी है। एक समाचार वाचिका द्वारा पाकिस्तान के ख़ात्मे का बुलंद, नाटकीय ऐलान सुन कर उत्तेजना में मेरी बेगम ने प्याज की जगह अपने हाथों पर ही चाकू चला लिया था।
जिस दिन ई ससुरा न्यूज़ चैनलवा सबके मुंह पर ताला लगेगा, देश में सचमुच की शांति आ जाएगी।
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