ध्रुव गुप्ता
भर दिन हिंदी न्यूज़ चैनल बदल-बदलकर देखने के आदी मेरे एक मित्र की मानसिक दशा ऐसी हो गई है कि पिछली कई रातों से सपने मे भी सर्जिकल स्ट्राइक करने लगे हैं। रात-रात भर उनके ‘पकड़ो-पकड़ो’, ‘मारो-मारो’, ‘फोड़ो-फोड़ो’ की चीख से उनकी पत्नी का सोना मुहाल है।
दूसरों का क्या कहूं, इन न्यूज़ चैनलों के कारण दो दिन पहले एक दुर्घटना मेरे घर में भी घट चुकी है। एक समाचार वाचिका द्वारा पाकिस्तान के ख़ात्मे का बुलंद, नाटकीय ऐलान सुन कर उत्तेजना में मेरी बेगम ने प्याज की जगह अपने हाथों पर ही चाकू चला लिया था।
जिस दिन ई ससुरा न्यूज़ चैनलवा सबके मुंह पर ताला लगेगा, देश में सचमुच की शांति आ जाएगी।
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