रामायण और महाभारत जैसे टीवी सीरियल के नए संस्करण देखने के पीछे दर्शकों पर दूरदर्शन पर प्रसारित संस्करण का दबाव तो अनिवार्य रुप से काम करता ही है. वो उन तमाम नए प्रयोगों और भव्यता को इस बात के पीछे नजरअंदाज कर जाता है कि ये दूरदर्शन से बेहतर है कि नहीं. नतीजा, अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद निजी चैनलों पर प्रसारित ऐसे मिथकीय सीरियल अमूमन मार खा जाते हैं.
लेकिन स्टार प्लस पर शुरु हुए महाभारत अपनी इस कोशिश में सफल नजर आता है कि इसे दूरदर्शन के संस्करण से न केवल अलग करके देखा जा सकेगा बल्कि इसके देखने की वजह भी साफतौर पर अलग होगी. पहली बात तो ये कि चैनल को समझ है कि इसे 2013 में उस पीढ़ी के लोग देख रहे हैं जिनके पास इंतजार का धैर्य नहीं है. लिहाजा, कहानी काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. इसे आप महाभारत का बुलेट फार्म कह सकते हैं. दूसरा कि एनीमेशन को लेकर इस सीरियल ने एक नया प्रतिमान खड़ी करने की कोशिश की है और इस आधार पर आनेवाले समय में ये महाभारत बाकी मिथकीय सीरियलों के लिए तुलनात्मक सामग्री बनने जा रहा है. ये एक बड़ी वजह होगी कि कार्टून चैनलों के दर्शकों के अलावे ऐसे दर्शकों भी संख्या बढ़ेंगे जिनकी दिलचस्पी हॉलीवुड फिल्मों में एनीवेशन और साउंड-लाइट के कारण रही है.
दूसरा कि कुछ नहीं तो हिंग्लिश शब्दों की बाढ़ के बीच तत्समी हिन्दी में महाभारत के संवाद एक खास किस्म का आकर्षण पैदा करते हैं. ये अलग बात है कि शब्दों के चयन में स्क्रिप्ट पर इस बात पर बहुत बारीकी से मेहनत नहीं की गई है जिससे कि शब्दों के जरिए उस महाभारत का परिवेश रच सके जो हजारों सालों की कथा की ओर ले जाते हैं. कहीं जल तो कहीं पानी हो जा रहा है. कहीं पवन तो कहीं वायु हो जा रहा है. शब्दों की एकरुपता नहीं होने से जो ऐसी हिन्दी के अभ्यस्त नहीं हैं वो नए सिरे से ऐसे शब्दों को बरतना चाहें तो खासा दुविधा में पड़ेंगे.
स्टार प्लस के महाभारत का सबसे कमजोर पक्ष चरित्रों की डायलॉग डिलवरी में हैं. इनके संवादों को सुनने से अगर अगर शब्दों को छोड़ दें तो उच्चारण करने के तरीके से कहीं से नहीं लगता कि वो सास-बहू सीरियलों से अलग एक मिथक कथा को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. ये डिलवरी ये रिश्ता क्या कहलाता है या पवित्र रिश्ता के आसपास लगते हैं जबकि दूरदर्शन के महाभारत की सिर्फ ऑडियो सुनें तो भी आप इसके मिथकीय होने का सुख ले सकते हैं. जो महाभारत सप्ताह में एक दिन प्रसारित हुआ करता था अब वो सप्ताह में पांच दिन प्रसारित हो रहे हैं, ऐसे में ये कमजोरी खासतौर पर उभरकर आएगी.
चैनलः स्टार प्लस
समयः सोम-शुक्र, रात साढ़े आठ बजे
स्टार- 3
(मूलतः तहलका में प्रकाशित)