मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागृह में प्रथम “श्री हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान”

प्रेस विज्ञप्ति

‘हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान’ बाल साहित्यकार डाॅ. राष्ट्रबंधु और व्यंग्यकार शांतिलाल जैन को समारोह 29 दिसंबर ‘मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के सभागृह में

भोपाल। विगत हिंदी दिवस पर मरणोपरांत देह दान करनेवाले वरिष्ठ साहित्यकार हरिकृष्ण तैलंग की स्मृति में ‘अंतर्नाद’ द्वारा स्थापित ‘हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान’ बाल साहित्य के मूर्धन्य साधक डाॅ. राष्ट्रबंधु और युवा व्यंग्यकार श्री षांतिलाल जैन को प्रदान किया जायेगा। ‘मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के सभागृह में सोमवार, 29 दिसंबर सायं 4 बजे आयोजित समारोह में दोनों सृजनकारों को 11-11 हजार रुपए सम्मान स्वरूप दिए जायेंगे। इस मौके पर श्री तैलंग के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर उपस्थित जनों के संस्मरण सुनाए जाएंगे और बाल साहित्य तथा व्यंग्य पर चर्चा होगी। ज्ञातव्य है कि विभिन्न विधाओं की लगभग दो दर्जन पुस्तकों के रचनाकार श्री तैलंग को बाल मनोविज्ञान के अद्भुत, सक्षम और संस्कारषील लेखन के लिए विशेष स्मरण किया जाता है।

‘कुत्तापालक कालोनी’ और ‘घास चोरी का मुकदमा’ शीर्षक व्यंग्य संग्रहों से अग्रणीय व्यंग्यकारों में षुमार श्री तैलंग की मारक और गुदगुदानेवाली व्यंग्य रचनाओं में समकालीन जीवन की विसंगत और विरोधाभासी विडंबनाओं के पैने, चुुटीले विष्लेषण को खूब सराहा गया। उनकी प्रमुख पुस्तकें ‘पतंग बोली’, ‘होली का हौवा’, ‘जूता चर्चा’, ‘बात का बतंगड़’, ‘मेंढक की करामात’, ‘बकरी के जिद्दी बच्चे’, ‘अच्छे दोस्त बनाओ’, ‘कथाओं में नाचता मोर’, ‘बोलती पुतलियाँ’, ‘वाहन कैसे बने कैसे चले’, ‘हमारा गाँव हमारा देष’, ‘फलों का राजा आम’, ‘प्याज और लहसुन’, ‘पर्यावरण और संतुलित भोजन’, ‘जल: जीवन और जहर’, ‘संस्कृत कथाएँ’, ‘बुद्धचरितम्’ ‘अपंग जिनसे दुनिया दंग’ आदि हैं।

स्मृति षेष श्री हरिकृष्ण तैलंग

(27 दिसंबर 1934-14 सितंबर 2014)

सम्मानित रचनाकार
डाॅ. राष्ट्रबंधु (श्री हरिकृष्ण तैलंग स्मृति बाल साहित्य सम्मान)
2 अक्टूबर 1933 को सहारनपुर (उत्तरप्रदेश) के श्री देवीप्रसाद तिवारी और श्रीमती भगवती देवी तिवारी के पुत्र श्रीकृष्ण तिवारी को पूरा देष ‘राष्ट्रबंधु’ के नाम से जानता-पहचानता है। अंग्रेजी और हिंदी में स्नात्कोत्तर तथा ‘हिन्दी में बाल साहित्य का मनोवैज्ञानिक अध्ययन’ षीर्षक षोध प्रबंध पर उन्होंने डाक्टरेट पाई। 1977 से उन्होंने ‘बाल साहित्य समीक्षा’ नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित की। 64 से अधिक गद्य एवं कविता पुस्तकांे के सर्जक डाॅ. ‘राष्ट्रबंधु’ की रचनाओं का निरंतर प्रसारण और प्रक्षेपण आकाषवाणी तथा दूरदर्षन के विभिन्न केंद्रों से होता है। वे एन.सी.आर.टी., नेषनल बुक ट्रस्ट, चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट, बाल भवन, दिल्ली, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा, स्टेट इन्स्टीट्यूट आॅफ चिल्ड्रन लिटरेचर, तिरुअनंतपुरम्, मप्र पाठ्य पुस्तक निगम आदि के महत्वपूर्ण सदस्य और मार्गदर्षक हैं। बाल साहित्य और बाल मनोविज्ञान के क्षेत्रों में उनके योगदान को देष के 15 राज्यों ने सम्मानित किया हैं जिनमें उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान का सूर पुरस्कार, बाल साहित्य भारती सम्मान, प्रथम देवपुत्र गौरव सम्मान आदि प्रमुख हैं। उनके कृतित्व पर दो शोधार्थियों ने पीएच.डी. भी की।
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श्री शांतिलाल जैन (श्री हरिकृष्ण तैलंग स्मृति व्यंग्य सम्मान)

19 फरवरी 1960 को उज्जैन में जन्मे श्री शांतिलाल जैन व्यंग्य लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। वर्तमान पीढ़ी के युवा व्यंग्यकारों में उनकी खास जगह है। विक्रम विश्वविद्यालय ,उज्जैन से उन्होंने वाणिज्य विषय में स्नात्कोततर तथा विधि स्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उनकी रचनाओं का प्रकाषन देष की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में होता रहता है। भारतीय स्टेट बैंक में बतौर सहायक महाप्रबंधक वे सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी के प्रयोग को विस्तार देने की दिषा में भी महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं। ‘मप्र साहित्य परिषद’ के सहयोग से सन् 2003 में उनके प्रथम व्यंग्य संग्रह ‘कबीर और अफसर’ का प्रकाशन हुआ। तत्पश्चात दूसरा व्यंग्य संग्रह ‘ना आना इस देश में’ दिल्ली के प्रतिष्ठित प्रकाशन गृह ‘शिल्पायन ’ ने छापा। लेखन के अलावा उनकी दिलचस्पी अच्छी पुस्तकें पढ़ने और वैचारिक विषयों पर केन्द्रित चर्चाओं और वाद-विवाद कार्यक्रमों में रहती है।
संपर्क: ए 302, सी.आई. होम्स, माता मंदिर, टी.टी. नगर, भोपाल

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