राजेश बादल, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, राज्यसभा टीवी
रविवार को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पहुंचे पत्रकारों ने एस पी याने सुरेंद्र प्रताप सिंह को दिल की गहराइयों से याद किया |मीडिया ख़बर के पुष्कर पुष्प इसके संयोजक थे | नौ साल से पुष्कर एसपी की याद में अपने बूते यह कार्यक्रम करते आ रहे हैं | पुष्कर को सलाम इसलिए कि न उन्होंने एसपी को देखा, न उनके साथ काम किया और न उनकी कोई रिश्तेदारी है |हम जैसों के लिए शर्म का अवसर भी कि दस-बीस बरस एसपी के साथ काम करने,उनके बेहद क़रीब रहने के बाद भी हम यह न कर पाए | आपसी मारकाट में,दिल्ली के दाँवपेंच में,नई पीढ़ी को कोसने और एक दूसरे की नौकरी लेने में लगे हम लोग शायद मंच पर बैठकर मुख्य अतिथि ,विशेष अतिथि और वरिष्ठ पत्रकार कहलाने में अपनी शान समझते हैं | बहरहाल अपने को लानत देते हुए कार्यक्रम की बात |
इसमें बड़ी संख्या में एसपी के चाहने वाले चिंतक ,विचारक और पत्रकार आए | सबसे पहला नाम जुगनू शारदेय का है ,जिनको हम रविवार में लगातार पढ़ते थे | अपने शब्दों के जादू से बांधकर रखा था उन्होंने | पूरे समय कभी चुप्पी से कभी बेचैनी से अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराते रहे | इसके बाद सांसद प्रभात झा,अहमदाबाद से आए साथी धीमंत पुरोहित,क़मर वहीद नक़वी,राहुलदेव,सतीश के.सिंह,सुप्रिय प्रसाद,नीरेंद्रनागर ऑन लाइन के पंडित हर्षवर्धनत्रिपाठी और पुष्पेंद्रपरमार, इंडियन एक्सप्रेस डिज़िटल के सीईओ संदीपअमर,एचसीएल टेक्नॉलोजी के वाइस प्रेजिडेंट अपूर्व चमड़िया, आजतक के सईद अंसारी और सच बताऊँ तो इतने चाहने वाले कि नाम भी कहाँ तक लूँ |
भावुक कर देने वालीं एसपी की यादें छिड़ीं,उनकी निर्भीक,बेबाक और मूल्य आधारित पत्रकारिता का विवेचन हुआ और आज की मीडिया मंडी में सोशल मीडिया,बाज़ार,ऑनलाइन मीडिया के हाल और संभावनाओं पर भी शानदार चर्चा हो गई | कई साल बाद ऐसे किसी आयोजन में गया | एक तकलीफ और कलेजे में ठंडी तीखी फाँस लेकर लौटा | एक-यह कि आज एसपी को अगर नई नस्ल जानना चाहे तो इंटरनेट पर क्या है ? हम लोग खुद कटघरे में खड़े हैं और दो-ऐसे आयोजन दिल्ली में ही होकर क्यों दम तोड़ देते हैं ? दिल्ली में तो देश के पत्रकारों का एक फीसदी भी नहीं है | हम इस तरह के आयोजनों को देश भर में क्यों नहीं फैला सकते ?
चित्र इसी अवसर के हैं |