श्वेता सिंह आजतक के दर्शकों को नहीं स्वाइन फ्लू को डराइये

समाचार चैनल डराए नहीं, स्वाइन फ्लू से बचाव के उपाय बताएं

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समाचार चैनलों की अजीब सी मानसिकता है. वे मानते हैं कि बिना डराए दर्शक खबर नहीं देखते. इसलिए कभी बढती ठंढ तो कभी बारिश और कभी तपती गर्मी से वे दर्शकों को डराते आए हैं. सिर्फ दिन, महीने और मौसम के नाम बदलते हैं. बाक़ी मौसमी फल और सब्जियों की तरह डर की थाली में ‘मौसमी खबर’ रखकर पेश कर दी जाती है.

हाँ फल और सब्जियों से अच्छा याद आया. इनके नाम पर भी खूब डराया जाता है और यदि चैनलों की बात मान ली जाए तो पूरी जिंदगी बिना फल और सब्जी खाए बिना गुजर जाए या खाने के लाले ही पड़ जाए, क्योंकि कभी ये एसिड वाली सब्जी से डराते हैं तो कभी तरबूज को तरबूज बम ही करार देते हैं. ऐसे में इंसान खाए तो खाए?

 

मिठाई तक पर आफत है. हाँ कभी किसी चॉकलेट या ऐसे किसी खाने –पीने वाली प्रोडक्ट के खिलाफ किसी तरह के खोट का पर्दाफाश नहीं होता, जिसका विज्ञापन चैनलों पर दिन – रात चलता है. कोल्ड ड्रिंक, तरह – तरह के चॉकलेट आदि बेतरह खाने – पीने से किसी को कोई खतरा नहीं !

यानी जहाँ डराना है वहां डरा देते हैं और जहाँ नहीं डराना हैं वहां नहीं डराते हैं. ये मानसिकता हमेशा मौजूद रहती है कि डर के आगे टीआरपी है और ये सिद्धांत फल – सब्जियों – मिठाइयों और मौसम से आगे क्राइम शो और दूसरी ख़बरों तक में दिखता हैं.

बीमारियों को लेकर भी चैनलों का यही नजरिया रहता है. बीमारी से बचाव के तरीकों पर बात करने की बजाये डराने की कोशिश ज्यादा होती है. दिल्ली में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दी है तो कई चैनल उपाय बताने में कम और डराने में ज्यादा लगे हैं. ऐसे – ऐसे हेडर लगाये जा रहे हैं कि आदमी खौफ़जदा हो जाए.

आजतक पर श्वेता सिंह ख़बरें पढते हुए स्वाइन फ़्लू के खतरे के बारे में बता रही थी. पीछे वॉल पर खतरनाक अंदाज़ में लिखा हुआ कि, ‘दिल्ली पर स्वाइन फ्लू का शिकंजा.’ हालाँकि स्टूडियो में एक्सपर्ट भी बैठा था और श्वेता उनसे उपायों के बारे में भी चर्चा कर रही थी और करनी भी चाहिए. लेकिन चैनलों को ध्यान रखना चाहिए कि डर फैलाकर बीमारी की रोकथाम के उपायों पर चर्चा करने की बजाये सीधे –सीधे जागरूकता फैलाने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए. डराने वाली स्टोरी की बजाये स्वाइन फ्लू से बचाव के उपायों पर ख़बरें लगातार दिखानी चाहिए. क्योंकि ऐसी बीमारियों के खिलाफ जागरूकता स्वाइन फ्लू के खतरे को ऐसे ही आधा कर देता है.

उम्मीद करते हैं स्वाइन फ्लू के मुद्दे पर समाचार चैनल डराने की बजाये ज्यादा – से – ज्यादा जागरूकता फैलाकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करेंगे और दर्शकों की बजाये स्वाइन फ्लू को डराएंगे.

(एक दर्शक की नज़र से )

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