बी पी गौतम, स्वतंत्र पत्रकार
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जो वादे किये थे, उनमें से अधिकांशतः मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे कर दिए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और उन दलों के लिए उदाहरण है, जो चुनाव के बाद अपने वादे भूल जाते हैं और फिर अगले चुनाव में नये वादों व नये दावों के साथ जनता के सामने आ जाते हैं. वादे पूर्ण करने के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने और भी कई सराहनीय कार्य किये हैं. वाहन पंजीकरण, ड्राइविंग लाइंसेंस, छात्रवृत्ति और नियुक्तियों के साथ अन्य तमाम क्षेत्रों में आवेदन की व्यवस्था ऑन लाइन कर दी गई है, इससे युवाओं को बड़ी सुविधा हुई है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा चलाया जा रहा कौशल विकास मिशन अगर, अपने लक्ष्य में पचास प्रतिशत भी सफल रहा, तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश का आर्थिक स्तर चामत्कारिक अंदाज़ में स्वतः ऊपर उठा नजर आयेगा. दुग्ध उत्पादन बढ़ाने को लेकर भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बेहद गंभीर नजर आते हैं, इस सबके बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की श्रमिकों के हित में चलाई जा रही योजना सबसे बड़ा कदम कही जा सकती है.
उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (श्रम विभाग), श्रमिकों और उनके परिवार का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में कार्य कर रहा है. इस योजना का लाभ लेने के लिए 18 से 60 के बीच की आयु के निर्माण श्रमिकों को श्रम विभाग के जिला स्तरीय कार्यालय में पंजीकरण कराना होता है. पचास रूपये पंजीकरण शुल्क व पचास रूपये अंशदान के जमा कराने के बाद श्रमिक को प्रमाणपत्र दिया जाता है. वर्ष में नब्बे दिन स्वतंत्र रूप से, अथवा मनरेगा के तहत पचास दिन कार्य करने की बाध्यता है. वेल्डिंग कार्य, बढ़ई कार्य, कुआं खोदना, छप्पर बनाना, राजमिस्त्री, प्लम्बिंग, लोहार, पुताई, इलैक्ट्रिक वर्क, चौकीदार और ईंट-भट्टा मजदूरों के साथ कुल चालीस श्रेणियों में श्रमिकों के पंजीकरण किये जाते हैं. छः माह पुराने पंजीकृत श्रमिक को सरकार साइकिल खरीदने पर तीन हजार की छूट प्रदान करती है. शर्तों का पालन करते हुए साठ वर्ष की आयु पूर्ण करने पर श्रमिक व उसके आश्रित को पेंशन देने का भी प्रावधान है. घर में प्रकाश के लिए श्रमिक को सरकार एक सोलर लाइट देती है. श्रमिक के घर निर्माण के लिए दो किश्तों में एक लाख रूपये देने, अथवा घर की मरम्मत के लिए पन्द्रह हजार रूपये देने का प्रावधान है. गंभीर रूप से बीमार होने पर सरकार द्वारा अनुमान्य अस्पताल में श्रमिक का मुफ्त इलाज कराने का प्रावधान है. आत्महत्या के अलावा किसी भी तरह मृत्यु होने पर अंत्येष्टि के लिए पन्द्रह हजार रूपये तत्काल दिए जायेंगे एवं एक लाख रुपये आश्रित को दिये जायेंगे. कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटना की स्थिति का भी ध्यान रखा गया है. आंशिक रूप से अपंग होने पर दो लाख, अपंग होने पर तीन लाख व मृत्यु होने पर पांच लाख रूपये देने का प्रावधान रखा गया है. दुर्घटना, अथवा बीमारी के चलते श्रमिक के कार्य करने में अक्षम होने की दशा में उसे एक हजार रूपये प्रतिमाह की पेंशन भी दी जायेगी. श्रमिक अगर, महिला है, तो प्रसव के दौरान दुर्घटना होने पर उसे भी इस योजना का लाभ मिलेगा.
श्रमिक के दो बच्चों को दो वर्षों तक पौष्टिक आहार दिया जायेगा एवं लड़के के जन्म पर दस हजार व लड़की के जन्म पर बारह हजार रूपये भी दिए जायेंगे, इसके अलावा जच्चा स्वयं श्रमिक है, तो उसे बारह हजार रूपये दो किश्तों में दिए जायेंगे एवं श्रमिक की पत्नी है, तो उसे छः हजार रूपये मातृत्व लाभ के लिए प्रदान किये जायेंगे. द्वितीय किश्त बी.सी.जी. टीकाकरण के पूर्ण होने पर दी जायेगी. पुत्री के विवाह के अवसर पर श्रमिक को चालीस हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है. दो बच्चों में अगर, दोनों पुत्रियाँ हैं, तो इस योजना का लाभ दोनों पुत्रियों के विवाह के अवसर पर दिया जायेगा. श्रमिक की बेटी को शर्तें मानने पर अट्ठारह वर्ष के पश्चात बीस हजार रूपये देने का भी प्रावधान है. श्रमिकों के बच्चे यदि पढ़ने-लिखने में मेधावी हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान रखा गया है एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीकी शिक्षा दिलाने का भी प्रावधान रखा गया है.
दलित, पिछड़े और श्रमिक वर्ग का आर्थिक व शैक्षिक उत्थान हो गया, तो सामाजिक उत्थान स्वतः हो जायेगा. यह वर्ग अगर, समाज की मुख्यधारा में सम्मलित हो गया, तो सामाजिक परिवर्तन स्पष्ट नजर आने लगेगा. श्रमिकों के हित के लिए चलाई जा रही इस योजना की नीतियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह योजना श्रमिकों का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम है. इस योजना का और बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार होना चाहिए. गाँव सभा की खुली बैठकों में इस योजना की जानकारी दी जानी चाहिए एवं जागरूकता अभियान चला कर श्रमिकों को पंजीकरण के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि पंजीकरण के बाद श्रमिक को श्रम करने में शर्म की अनुभूति नहीं होगी. श्रमिक को एक सैनिक जैसी अनुभूति हो सकती है, उसे यह अहसास हो सकता है कि वह विकास की प्रथम कड़ी है और उसके बिना विकास असंभव है. मानसिक स्तर सुधरते ही बहुत कुछ स्वतः सही हो जायेगा.
खैर, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कई कार्यक्रम व कई योजनायें बेहद सराहनीय हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम शीघ्र ही आने लगेंगे. अखिलेश यादव हमेशा एक अच्छे मुख्यमंत्री के रूप में याद किये जाते रहेंगे, लेकिन वे बिगड़ी कानून व्यवस्था और बिजली की ख़राब स्तिथि तथा भ्रष्टाचार के मामलों पर थोड़ा और ध्यान देकर अंकुश लगाने में सफल हो जायें, तो भारत के समस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में वे सर्वोत्तम कहे जायेंगे. हालांकि व्यक्तिगत तौर पर वे निर्विवाद हैं, लेकिन समीक्षा मुख्यमंत्रित्व काल की होगी, तो बिगड़ी कानून व्यवस्था, बिजली की स्तिथि और भ्रष्टाचार उनके बेहतरीन कार्यकाल में बदनुमा दाग की तरह झांकते जरुर नजर आयेंगे.