जैसा नाम, वैसा ही काम। 33 एलबम्स और 25 फिल्में। ये है संगीतकार राज वर्मा की उपलब्धि, जो लगता है अपने नाम के अनुरूप बॉलीवुड पर राज करने के इरादे से आए हैं और इस दिशा में लगातार आगे बढ़ भी रहे हैं। स्वर कोकिला लता मंगेश्कर को छोड़कर सिंगर्स लिस्ट मे ऐसा शायद ही कोई नाम हो, जिन्होंने इनके संगीत निर्देशन में न गाया हो। आशा भौसले और कैलाश खेर भी इनकी सांगीतिक प्रतिभा की सराहना कर चुके हैं, जिन्होंने राज वर्मा द्वारा कंपोज़ की गई फिल्मों ‘मजनूगिरी’ और ‘ज़ीरो लाइन’ में अपनी आवाज़ दी है।
छत्तीसगढ़ से आए राज वर्मा की म्यूज़िकल जर्नी 13 साल की है और इस बीच इन्होंने संगीत जगत में उल्लेखनीय योगदान दिया है। क्लासिकल संगीत से जुड़े रहे राज वर्मा का मानना है कि संगीत चाहे कैसा भी हो, दिल को छूना चाहिए। उन्होंने संगीत जगत में बदलते दौर के हिसाब से संगीत दिया है। वह कहते हैं कि वक्त के साथ-साथ खुद को बदलना जरूरी है। जेनरेशन चेंज होती है, तो उनका टेस्ट भी बदलता है इसलिए कला में भी बदलाव आता है। हां, बुनियाद वही रहती है। चूंकि मैंने क्लासिकल सीखा है इसलिए मेरा आधार मज़बूत है। अब चाहे म्यूज़िक लवर्स किसी भी टेस्ट के हों, हम उसी के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं।
राज कहते हैं कि उनकी अगली फिल्म ‘सबरंग’ के गीत बेहतरीन हैं। इन सात गीतों में श्रोताओं को वैरायटी मिलेगी। संगीत के वर्तमान परिदृश्य को लेकर राज कहते हैं कि अब पहले जैसे धैर्यवान गायक नहीं रहे। चिल्लाने वाले गायकों की भीड़ है। एक गीत हिट होते ही शोज़ के लिए निकल जाते हैं। नए दौर के गायकों को समझना चाहिए कि सिर्फ चिल्लाने भर से संगीत हिट नहीं होता। जब तक आपका आधार मज़बूत नहीं होगा, आप लंबे समय तक टिक नहीं पाओगे।