“विनाश काले विपरीत बुद्धि” ये कहावत…
शिवसेना कांग्रेस की नजदीकियों पर बिलकुल सही बैठती है।बीजेपी को सबक सिखाने के लिए आज शिवसेना अपनी विचारधारा से समझौता कर रही है।
कांग्रेस का देशभर में पतन जारी है लिहाजा विचारधारा का भी पतन होना तय है।शिवसेना के उग्रहिन्दुत्व के साथ जाने पर कांग्रेस की सेक्युलर छवि का बंटाधार होना भविष्य में तय है।
बीएमसी चुनावों में बीजेपी के जबरदस्त प्रदर्शन से आहत शिवसेना उसको सबक सिखाने के लिए कांग्रेस नेताओ को पद का लालच दे रही है।कांग्रेस के कई नेता इसे स्वीकार भी कर रहे है लेकिन असमंजस बरकरार है।बीएमसी चुनावों में बीजेपी को सिर्फ 60 सीट देने को राजी थी जबकि इसके उलट बीजेपी ने 198 सीटों पर चुनाव लड़कर 82 सीट जीती जबकि शिवसेना ने 227 सीटो पर लड़कर केवल 84 सीट जीती।
क्या बीजेपी नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओ का गला घोटकर शिवसेना को खुश रखे या उनकी ताकत पर भरोसा करे।
महाराष्ट्र के हर चुनाव में बीजेपी से बुरी तरह मात खाई शिवसेना को समझ लेना चाहिए की किसकी ताकत बड़ी है।सहयोगी से मतभेद भुलाकर मैत्रीपूर्ण माहौल में संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर बल देना होगा । (अभय सिंह)