चंडीगढ़. देश के जाने-माने पत्रकार और दैनिक ट्रिब्यून के संपादक संतोष तिवारी का आज निधन हो गया. उनका पिछले कुछ समय से स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान चण्डीगढ़ (पीजीआइएमईआर)में इलाज चल रहा था. उन्होंने दैनिक ट्रिब्यून के अलावा जागरण, हिन्दुस्तान और इंडिया टीवी के साथ भी काम किया था. वैसे उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत 1983 में दिल्ली में टाइम्स ग्रुप की पत्रिका ‘दिनमान’ के साथ की थी.उनके निधन पर पत्रकारिता जगत में शोक की लहर फ़ैल गयी. वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा –
विनोद कापड़ी,वरिष्ठ पत्रकार-
हम सबके बहुत प्रिय और बड़े भाई संतोष तिवारी जी नहीं रहे।अभी पता चला और लगा कि आपका एक हिस्सा आपसे छूट गया।
संतोष जी के साथ काम तो सिर्फ दो साल किया पर रिश्ता जो बना , वो आखिरी समय तक रहा।
मुझे आज भी याद है इंडिया टीवी के वो दिन जब कहानियों और कविताओं पर ना जाने कितनी देर तक संतोष जी से बात होती थी। उसी दौरान एक कहानी लिखी थी- बारिश हो रही है। पता नहीं उस कहानी में ऐसा क्या था कि संतोष जी पीछे ही पड़ गए कि इस पर फिल्म बनाओ। उस कहानी पर तो फिल्म नहीं बनी पर जब मिस टनकपुर बनी तो संतोष जी ने सबकुछ out of the way जा कर किया।Tribune में रहते हुए वो चट्टान की तरह खड़े रहे।
हमेशा एक ही बात बोलते रहे कि भाई ने इतनी हिम्मत दिखाकर फिल्म बनाई है तो इस यज्ञ में आहुति संतोष तिवारी की भी होनी चाहिए ।
बहुत कम लोग जानते होंगे कि आरुषि हत्याकांड की कवरेज को नया आयाम देने में संतोष जी की बड़ी भूमिका थी। एक छोटा सा क़िस्सा है।एक दिन हमारे पास आरुषि की कवरेज में कुछ नया नहीं था। न्यूज़ मीटिंग में अचानक संतोष जी बोले – आरुषि को हवा ने मारा !! सब सुनकर हैरान थे और फिर संतोष जी ने तफ़सील से पूरी कहानी समझायी। शो बना और उस हफ़्ते की रेटिंग में नंबर वन शो बना।
संतोष जी का नहीं रहना बिलकुल वैसा ही जैसे घर से कोई अनुभवी और बुजुर्ग चला गया हो। आप हमेशा यादों में रहोगे संतोष जी।