– देहरादून से चन्द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट
उत्तराखंड की बहुगुणा सरकार इस समय 3 संगीन आरोपों से घिरती जा रही है, जिससे राज्य सरकार की साख पर जहां प्रतिकूल असर पड रहा है वहीं इन संगीन आरोपों के मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर मुख्यमंत्री का मीडिया मैनेजमेन्ट असफल माना जा रहा है। पहला, मुख्यमंत्री के एक पुत्र साकेत बहुगुणा पर 111 करोड रूपये की हेराफेरी का समाचार प्रकाशित हुआ है, दूसरा भू-कानूनों में संशोधनों की खबर पर भी सरकार की साख पर बहुत गलत असर पड रहा है। तीसरा, सिडकुल की जमीन में किए गए एक हजार करोड़ रुपये का घोटाला प्रमुखता से उठा है।
भाजपा नेता प्रकाश सुमन ध्यानी ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि टिहरी बाँध विस्थापितों को प्लाट आवंटन में मुख्यमंत्री के पुत्र साकेत बहुगुणा और कुछ कांग्रेस विधायकों ने प्रति प्लाट एक करोड के हिसाब से 111 करोड रूपए की हेराफेरी की।
वहीं विजय बहुगुणा सरकार पर भू-माफियाओं और बिल्डरों के साथ प्रदेश की कई एकड़ जमीन खुर्द-बुर्द करने का आरोप लग रहा है। ज्ञात हो कि 2007 में तत्कालीन भुवन चंद्र खंडूड़ी सरकार ने सत्ता में आते ही भू-कानून में फिर संशोधन किया, जिसके बाद जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त पर काफी हद तक अंकुश लगा।
गौरतलब है कि भू-कानून में प्रस्तावित संशोधन की खबर मीडिया में जो खबरें प्रकाशित हुई थी, इसे भूमाफिया के अनुकूल संशोधन किये जाने का संदेश गया, संदेश गलत जाते ही चौकन्ने हुए मुख्यमंत्री ने 13 मार्च को आनन फानन में दूसरी बार प्रेस वार्ता सिर्फ इसलिए बुलायी कि भू कानून में संशोधन न करने का समाचार प्रमुखता से जाये। वार्ता में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि सरकार राज्य में भूमि खरीदने-बेचने के कानून में कोई परिवर्तन नहीं करने जा रही है। वहीं उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि कैबिनेट में इस पर चर्चा हुई लेकिन फैसला नहीं। राज्य में भूमि खरीद-बिक्री के कानून में संशोधन प्रस्तावों पर कैबिनेट में चर्चा होने, लेकिन उसे मंजूरी मिलने से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के इन्कार के बावजूद मंत्रियों का रुख सीएम से अलग रहा है, उन्होंने ही मीडिया में यह खबर लीक की थी कि भू कानून में संशोधन कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यह स्वीकार किया था कि राज्य में भूमि खरीदने और बेचने के कानूनों में संशोधन प्रस्तावित किए गए। इन प्रस्तावों पर बाकायदा चर्चा भी हुई, लेकिन इन्हें मंजूरी मिलने से मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर इन्कार किया। मुख्यमंत्री द्वारा कभी इन्कार और कभी इकरार को लेकर कैबिनेट के वरिष्ठ सहयोगियों में मतभेद थे। वरिष्ठ मंत्रियों ने कुछ मीडिया कर्मियों को उक्त अध्यादेश में संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने की बात स्वीकार की। वहीं इसके बाद मुख्यमंत्री के साफ इन्कार से मंत्री भी हैरत में पड गये कि यह क्या है, कैबिनेट में चर्चा हो रही है, बाहर मना किया जा रहा है, कैबिनेट के कई सहयोगियों ने दबी जुबान में संशोधनों को हरी झंडी मिलने की बात स्वीकार की। परन्तु मुख्यमंत्री का डुलमुल रुख सामने आने के बाद जहां सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगें वहीं अनेक सवाल उठे, जिन्हें विपक्ष ने लपक लिया और विजय बहुगुणा सरकार के खिलाफ आमजन को जागरूक किया।
इसके अलावा भाजपा ने सिडकुल की जमीन में किए गए एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले को भी आमजन के समक्ष रखा। बजट सत्र के पहले दिन सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाकर व आमजन को लामबंद कर बहुगुणा सरकार को हैरत में डाल दिया। भूमि घोटाला और भूमि कानून में संशोधन के अलावा भाजपा ने अपने तरकश में अनेकों लक्ष्यभेदी तीर होने की बात कही। भाजपा ने चुनौती दी कि यदि सरकार पाक साफ है तो वह इस मामले की सीबीआइ जांच कराए। भू कानून में संशोधन विधेयक प्रवर समिति में होने के बावजूद कैबिनेट में इसकी चर्चा करने के अलावा एक कैबिनेट मंत्री का विदेश यात्रा में बिना अनुमति महिलाओं को ले जाने और बिना मुख्यमंत्री के सूचना के एक अन्य मंत्री द्वारा विभागीय अधिकारी को सेवा विस्तार देने आदि के मुद्दे पर भी भाजपा ने सरकार से जवाब मांगा है।
प्रकाश सुमन ध्यानी द्वारा कहा गया है कि 2012-13 में टिहरी बॉध विस्थापितो के नाम पर 59 खेती और 52 आवासीय भूखण्ड आवटित किये गये, आमबाग पशुलोक ऋषिकेश तथा देहरादून स्थित देहराखास स्थित आवासीय भूमि खेती भूमि दिखाकर आवटित कर दी गयी, यह जमीनें भू माफियाओं को आवंटित कर दी गयी, इसके अलावा हरिद्वार के शिवालिक नगर में 85 एकड की जगह 120 एकड जमीन आवंटित कर दी गयी, यह जमीन पुनर्वास निदेशालय के नाम पर भी नहीं थी। इस हेराफेरी में टिहरी के जिलाधिकारी जो पुनर्वास निदेशक भी है की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खडे किये गये है।
इन्हें मिलनी चाहिऐ सज़ा-ऐ-मौत………
इन्हें मिलनी चाहिऐ सज़ा-ऐ-मौत……..