सुजीत ठमके
टीवी मीडिया में राजनीतिक खबरे ब्रेक करना बहुत बड़ी चुनौती है । तुलनात्मक रूप से प्रिंट मीडिया में खबरे ब्रेक करना आसान है। दरअसल न्यूज़ सोर्स को पुख्ता करना, खबर कन्फर्म करना आदि के प्रिंट मीडिया कर्मी के पास टाइम्स स्पेस काफी रहता है। खबर अगर पुख्ता नही और केवल स्पेक्युलेशन से खबर छनकर निकलती है तब अखबारों में ( ? ) के जरिये खबर छाप सकते है। किन्तु टीवी मीडिया में ऐसा नहीं है। एक बार खबर ब्रेक हुई या यूँ कहे ऑन एयर हुई तो राजनीति में भूचाल भी आ सकता है। या रिपोर्टर,नेटवर्क की साख भी गिर सकती है। चंद सेकण्ड में देश दुनिया के करोडो दर्शको तक ख़बरें पहुँचती है।
आज न्यूज़ चैनल के खबरों का मिजाज बदला है। कंटेंट बदले है। मायने बदले है और दर्शक भी बदले है। टीवी के दर्शको को सबसे तेज खबर पहुँचाना है कड़ी चुनौती। क्योंकि बाजार का दबाव है। टीआरपी का खेल भी है। और बाजार में पहले पायदान पर बने रहने की चुनौती। चुकी टीआरपी में पिछड़ना मतलब बाजार की नजर में सीधा सीधा रिवेन्यू पर असर। अगर रिवेन्यू नहीं है तो चैनल चलाना मुश्किल।
आज तक खबरों की दुनिया का पुराना ब्रांड। १५ वर्ष से भी अधिक समय। फिर भी नंबर 1। वर्ष २००० के बाद कई बड़े कॉर्पोरेट घराने कद्दावर, मीडिया महारथी को साथ लेकर न्यूज़ चैनल लेकर आए। नए कंटेंट, प्रोग्राम दिए किन्तु आज तक को न.01 के पायदान को पछाड़ना सभी के लिए मुश्किल साबित हुआ। १५ वर्ष से में कई बड़े कद्दावर मीडिया कर्मी आये और चले गए। दरअसल एसपी साहब ने टीवी पत्रकारिता की जो लकीर खींची थी उस लकीर या यूँ कहे कमोबेश बाजार की रणनीति को देखते हुए थोड़े बहुत बदलाव जरूर किये। किन्तु मोटा-मोटी आज तक उसी फिलोसोफी पर डटा है । आज तक न.01 वन पर बना है इसके लिए मीडिया जगत के कई मजबूत कंधे 24×7 लगे रहते है। मुंबई के आज तक के पत्रकार साहिल जोशी इन्ही कंधो में से एक है।
साहिल जोशी आज तक जैसे बड़े ब्रांड का पुराना चेहरा लेकिन राजनीति से जुडी हर खबर परोसने नयापन अंदाज । आज तक जैसे न.01 चैनल के लिए राजनीति से जुडी बड़ी खबरे ब्रेक करना इतना आसान नहीं है जितना टीवी के दर्शको को लगता है। खबर मातोश्री से हो। शिवसेना भवन से। कृष्णकूँज से। कांग्रेस से। एनसीपी से। कम्युनिस्टों के आंदोलन से। या फिर कई धड़ो में बटे दलित गुटो से। साहिल जोशी को राजनीतिक खबरे ब्रेक करने में महारथ हासिल है। महाराष्ट्र के राजनीति से जुडी हर छोटी बड़ी खबर जो नेशनल इम्पैक्ट करती वो साहिल जोशी ने ब्रेक की है।
साहिल ने ज़ी मराठी के जरिये मुंबई से टीवी पत्रकारिता शुरू की। लेकिन वो लंबे समय जी मराठी में नहीं रहे। भाषा पर बेहतर पकड़ के चलते साहिल जोशी को टीवी पत्रकारिता में फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया। लम्बे समय से आज तक ब्रांड से जुड़े हुए हैं। हिंदी, मराठी , अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ है। बावजूद साहिल के पी-टू-सी, स्क्रिप्ट, लाइव में कभी-कभी उर्दू का पुट भी दिखाई देता है और टीवी के दर्शक उसे पसंद भी करते है।
साहिल ने मुंबई या यूँ कहे महाराष्ट्र के हर पड़ाव को देखा है। चुकी राजनीति के अलावा भी साहिल ने अंडरवर्ल्ड, टाडा, पोटा, मुंबई ब्लास्ट, ट्रेन ब्लास्ट, बड़े घोटाले, साम्प्रदाइक दंगे, २६/ ११ का सबसे बड़ा आतंकी, शेयर मार्केट का उतार चढ़ाव, मराठवाड़ा, पच्छिम महाराष्ट्र,विदर्भ के किसान ख़ुदकुशी, किसी सिलिब्रेटी से चैट या फिर कोई किसी विषय से जुड़ा फीचर बेस प्रोग्राम साहिल जोशी ने टीवी के दर्शको तक अनोखे अंदाज में पहुंचाए है। क्या हार्ड स्टोरी और क्या सॉफ्ट स्टोरी क्या पी – टू- सी और क्या लाइव कवरेज साहिल मुहावरे, नुस्खे,शब्द का चयन अच्छा करते है। और वो न्यूज़ के दर्शको को काफी भाता है। जोशी पत्रकारों के शिष्टमंडलों के साथ पाक दौरे पर भी गए है इसीलिए पाक के तख्तापलट का विश्लेषण भी सटीक ढंग से करते है। साहिल ने बड़े कद्दावर राजनेताओ के इंटरव्यू को बेहतर ढंग से अंजाम तक पहुचाया है। इंडिया टुडे में कई विषयो पर बेबाक राय भी रखते है। टीवी पत्रकारिता में फर्श से अर्श तक का सफर तय करना इतना आसान नहीं है। वाकई राजनीतिक खबरे ब्रेक करने में महारथ है आज तक के साहिल जोशी को।