सुजीत ठमके
कंटेंट के मामले में कई गुना बेहतर है सास-बहू और बेटियां
पिछले 15 दिन कई महत्वपूर्ण कार्यो में व्यस्त था। अक्सर न्यूज़ चैनल का शाम का 1 घंटे का प्राइम टाइम देखता हूँ । मेरी निजी तौर पर न्यूज़ चैनल पर सास- बहू के कार्यक्रम देखने में ना ही रूचि है ना प्राथमिकता। यह कोर टीवी पत्रकारिता तो नहीं है किन्तु टीआरपी और रेवेन्यू जनरेशन की बात आती है तो ऐसे कार्यक्रमों को प्रसारित करना चैनलों की मज़बूरी होती है। बगैर रेवेन्यू जनरेशन से देश दुनिया में कोई भी चैनल चलाना मुश्किल है। बाजार की नजर में रेवेन्यू तभी आता है जब आप का चैनल टीआरपी के मुख्य पायदान पर रहता है। नहीं तो हजारो चैनल खुले कुछ महीने, कुछ साल चले और बंद हो गए। मैं निजी तौर न्यूज़ चैनल पर सास बहू से जुड़े कार्यक्रम देखना पसंद नहीं करता । लेकिन थोड़ा वक्त निकालकर मनोरंजन जगत से जुड़े अन्य कार्यक्रम मैं रोजाना जरूर देखता हूँ । मसलन तारक मेहता का उलटा चश्मा, डांस रियलिटी शो, क्विज शो, कॉमेडी नाइट विथ कपिल आदि आदि। शाम का प्राइम टाइम जिसमे हिंदी, अग्रेजी, बिजनेस एवं मराठी न्यूज़ चैनल के डिबेट, न्यूज़, करेंट अफेयर्स प्रोग्राम रोजाना १ घंटा देखने के लिए मैं समय जरूर निकालता हूँ ।
रविवार को ५ वाँ ओडीआई क्रिकेट मैच था। स्टार स्पोर्ट्स लगाया। मैच देखते समय कमर्शियल ब्रेक आया। दोपहर का समय था। न्यूज़ चैनल लगाया सभी न्यूज़ चैनल पर मनोरंजन जगत से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित हो रहे थे। अलग-अलग न्यूज़ चैनल पर मनोरंजन जगत से जुड़े अलग-अलग कार्यक्रम प्रसारित हो रहे थे। एबीपी न्यूज़ पर सास-बहू और साजिश चल रहा था। न्यूज़ नेशन पर सिनेमा और सीरियल चल रहा था। तो दूसरी तरफ आज तक पर सास बहू और बेटियाँ चल रहा था। अन्य कार्यक्रमों की तुलना में आज तक पर प्रसारित होने वाला कार्यक्रम सास बहू और बेटियाँ कंटेंट के मामले में कई गुना बेहतर लगा। प्रोग्राम की पैकेजिंग, स्क्रिप्टिंग, एडिटिंग कमर्शियल ब्रेक के बाद आने वाले ट्विस्ट एंड टर्न दर्शको को बाँध के रखने में सास – बहू और बेटियो की टीम सफल रही। चारुल मलिक और समूची टीम वाकई बधाई की पात्र है। कार्यक्रम के बीच बीच में चारुल मलिक का स्क्रिप्ट में लगाया जाने वाला तड़का टीवीपुर के दर्शक दिल थाम कर बैठते है। चूकि यह मनोरंजन जगत से जुड़े दोपहर के समय प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम है। इसीलिए इसका टारगेट ऑडियंस भी अलग है। सास – बहू और बेटियाँ प्रोग्राम का टारगेट ऑडिएंस गृहिणी है। महिला वर्ग है। कॉलेज की छात्राएं आदि – आदि है। हर पैकेज में ट्विस्ट, टर्न, गॉसिप्स, रूमर्स का तड़का पसंद आता है। वाकई चारुल मलिक और सास – बहू और बेटियो की टीम ने दर्शको की नब्ज को टटोला है। मनोरंजन जगत से जुड़े अन्य कार्यक्रमों की तुलना में मुझे कंटेंट के मामले में कई गुना बेहतर है सास-बहू और बेटियाँ प्रोग्राम।
(लेखक भारत सरकार के अधीन देश के नामचीन संस्थान में मीडिया एंड कॉर्पोरेट पीआर देखते है। कई मीडिया संस्थान में रह चुके है। युवा मीडिया विश्लेषक है। राजनीति, करेंट अफेयर्स, फायनांस, आन्ट्रॅप्रॅनर्शिप, विदेश नीति आदि विषयो पर अच्छा पकड़ रखते है)