रितेश वर्मा
महामहिमा समाचार वाचिका जी, जरा ढंग से बात करना तो सीख लीजिए. जीतन राम मांझी जी आपके सहपाठी नहीं रहे होंगे. बिहार के मुख्यमंत्री हैं. मीडिया के कोर्ट में पेश होना किसी के लिए नैतिक सवाल भर है. कोई मजबूरी नहीं. आपके गेस्ट कोर्डिनेशन वाले जानते होंगे कि मना करने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है. गंभीर बात करने के एक मौके को आपके गुस्से और खीज ने बेकार कर दिया. स्क्रीन पर भाग्यविधाता बनने का शौक रखना कोई बुरी बात नहीं है. आपकी चिढ़ जायज भी है. अच्छा किया कि आपने ऑन एयर ही सच बता दिया कि पटना हादसे के कारण आपको छुट्टी से वापस बुला लिया गया. शायद, आपने भी पटना डीएम की तरह कोई पार्टी प्लान कर रखी होगी जिसे ड्रॉप करना पड़ा होगा. लेकिन आप छुट्टी कैंसिल होने की खिज राज्य के मुख्यमंत्री के साथ बदतमीजी से बात करके न मिटाइए. मांझी जी ठीक कह रहे हैं कि ऐसे हादसे आगे न होंगे, ये गारंटी कोई नहीं दे सकता. न नीतीश कुमार दे पाए, न शिवराज सिंह चौहान और न नरेंद्र मोदी. आगे भी नहीं दे सकते. आप दे सकती हैं क्या.
समरेन्द्र सिंह
अकेले सिर्फ इसी की गलती नहीं है. डेस्क के लोग क्या कर रहे थे? एडिटोरियल में बैठे लोग कहां थे? ऐसे हादसे के बाद सूबे का मुख्यमंत्री स्टूडियो में हो और डेस्क की कोई भूमिका नहीं हो ऐसा हो नहीं सकता… कहीं ऐसा तो नहीं कि पीसीआर से एडिटोरियल के लोग बार-बार एक ही सवाल पूछने को कह रहे थे? वैसे इस देश में 95 फीसदी पत्रकारों को लगता है कि वह खुदा हैं. उन्हें छोड़ कर दुनिया के तमाम लोगों की जिम्मेदारी और जवाबदेही बनती है.
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(स्रोत-एफबी)
haan yaar madam to jayda hi gussa kar rahi thi, thoda kamm gussa karo madam ji
निजी चैनल ‘ज़ी’ की न्यूज़ ऐंकर सुश्री रुबिका लियाक़त ने जिस तरह ‘जीतन राम मांझी’ से लाइव बात की वह बेहद दुःख भरी है. मैं शॉक्ड हूँ. ‘जीतन राम मांझी’ बिहार प्रदेश के मुख्य मंत्री हैं. राजनीति में उनका विराट अनुभव रहा है. जन-प्रतिनिधि के रूप में भी इस तरह उन्हें इंगित चैनल पर अपमानित नहीं किया जाना चाहिए था. यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. रुबिका लियाक़त को प्रोफेशनल होने की ज़रुरत है. सतही अध्ययन के कारण उनका हाल उस कंकरियों वाले ख़ाली डिब्बे जैसा है जो ठोकर लगते ही ज़ोर-ज़ोर से खड़खड़ाने लगता है. मैं उस रुबिका को आगे बढ़ते देखना चाहता हूँ जिसने होली और ईद के लाइव-शो मेरे घर से किये थे और दुनिया भर में उन कार्यक्रमों को सराहा गया था. न्यूज़ एंकर के रूप में जिस रुबिका को मैंने देखा, उसके परफार्मेंस से मैं बहुत निराश हुआ हूँ. जो गर्दन उठकर चलते हुए आसमान के ब्लैक-होल्स को तलाश्लेने का गुरूर पालने लग जाते हैं, वे ठोकर खाकर ऐसे गिरते हैं कि फिर अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते हैं. ज़ी के सीईओ का विराट अनुभव शायद रुबिका को ज़मीन पर लाने में कामियाब हो जाये.