सहारा इंडिया द्वारा दिनांक 17 मार्च 2013 को प्रमुख समाचारपत्रों में प्रकाशित पूरे पृष्ठ के विज्ञापन को विधि-विरुद्ध बताती पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने सहारा इंडिया तथा सुब्रत रॉय सहारा को दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिये हैं. जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस डॉ सतीश चंद्रा की बेंच ने आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की याचिका पर यह आदेश दिया.
आज याचिकर्ता के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय ने इस विज्ञापन के सम्बन्ध में कठोर कार्यवाही किये जाने की मांग की जबकि अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल के सी कौशिक ने इसका कोई विरोध नहीं किया.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सहारा और सुब्रत रॉय को नोटिस जारी किया था. मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी. याचिका में एक निजी व्यक्ति और एक निजी संस्था द्वारा विधि द्वारा स्थापित संस्था सेबी के विरूद्ध विज्ञापन के माध्यम से कही आपत्तिजनक बातों को प्रथमद्रष्टया धारा 186 तथा 189 आईपीसी के अंतर्गत आपराधिक कृत्य और कंपनी क़ानून का उल्लंघन बताते हुए नियमानुसार कार्यवाही कराये जाने की मांग की गयी है.