हर्ष रंजन,वरिष्ठ पत्रकार
नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से पहले इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ का एक एपिसोड आज अनायास ही याद आ गया। उस शो का एक हिस्सा आप सभी से शेयर कर रहा हूं।
‘रजत शर्मा (होस्ट)- 26/11 की घटना के समय अगर आप इन्चार्ज होते तो क्या करते?
नरेन्द्र मोदी: जो मैंने गुजरात में किया वो कर के दिखाता, मुझे देर नहीं लगती। मैं आज भी कहता हूं, पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए, ये लव लेटर लिखना बंद कर देना चाहिए। प्रणव मुखर्जी (तत्कालीन रक्षा मंत्री) रोज एक चिट्ठी भेज रहे और वो सवाल भेज रहे, ये जवाब देते फिरते हैं। गुनाह वो करें और जवाब भारत सरकार दे रही है।
रजत शर्मा- लेकिन इंटरनैशनल प्रेशर है, उसका भी तो ख्याल रखना पड़ेगा भारत सरकार को।
नरेन्द्र मोदी: इंटरनैशनल प्रेशर पैदा करने की ताकत आज हिंदुस्तान में है, 100 करोड़ का देश है। पूरी दुनिया पर प्रेशर आज हम पैदा कर सकते हैं जी। मैं तो हैरान हूं जी, पाकिस्तान हमको मार कर चला गया, पाकिस्तान ने हम पर हमला बोल दिया मुंबई में और हमारे मंत्री जी अमेरिका गए और रोने लगे, ओबामा, ओबामा…पाकिस्तान हमको मार कर चला गया, बचाओ…बचाओ…ये कोई तरीका होता है क्या? पड़ोसी मार कर चला जाए और अमेरिका जाते हो, अरे पाकिस्तान जाओ ना।
रजत शर्मा- क्या तरीका होता है?
नरेन्द्र मोदी: पाकिस्तान जिस भाषा में समझे, समझाना चाहिए।’
गनीमत है कि कश्मीर के हालात जिस वक्त बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं, उस समय भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में नहीं है। कल्पना कीजिए कि इस समय केंद्र और राज्य की सत्ता में कोई अन्य दल होता और भाजपा विपक्ष में होती तो कश्मीर के मुद्दे पर भाजपा और उसके समविचारी संगठन आज क्या कर रहे होते। इस मामले में कांग्रेस नेतृत्व की समझ और संयम दोनों की सराहना करनी पड़ेगी कि एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते उन्होंने अभी तक कश्मीर के सवाल पर अपनी राष्ट्रीय और रचनात्मक भूमिका का ही निर्वाह किया है।
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