विकास छाबड़ा @vikasdjjs@gmail.com
अभी हाल में ही इंडिया टीवी के साप्ताहिक कार्यक्रम आप की अदालत में एक दर्शक बन के जाना हुआ . इस बार कार्यक्रम के मेहमान थे शत्रुघ्न सिन्हा. शत्रुघ्न जी दर्शकों के साथ जल्दी ही घुल मिल गए और लोगो का खूब मनोरंजन किया. कार्यक्रम के संचालक रजत शर्मा जी ने सवालों की शुरुआत की. काफी तेजी से प्रशन उत्तर आगे बढ़ते गए. रजत जी ने शत्रुघ्न सिन्हा से फिल्मों से लेकर राजनीति तक के कई प्रश्न पूछे जिस का शत्रुघ्न जी ने जवाब भी दिया. इसी तरह के एक प्रश्न का उत्तर देते समय शत्रुघ्न जी ने मीडिया पर दोष लगाते हुआ कहा की कई बार मीडिया उनके बयान को तरोड मरोड़ के पेश कर देता है और कई बार उनके बयान को बीच से ही काट दिया जाता है. इसी बात पर रजत शर्मा ने कहा कि आप की अदालत में आप को यकीन दिलाते हैं की कोई भी हिस्सा काटा नहीं जायेगा और यह हम बिना कांट-छांट के पूरा दिखाएंगे. शत्रुघ्न जी ने तभी रजत जी की तारीफ करते हुए कहा कि आप की अदालत की बहुत विश्वसनीयता है तभी तो यह इक्कीस सालों से चल रहा है. सभी दर्शकों ने इस बात पर ताली बजाई.
अब कार्यक्रम अंत की ओर बढ़ रहा था. ब्रेक के बाद शो के फॉरमैट के हिसाब से शत्रुघ्न जी पर इलज़ाम लगा कि वह गलत फैसले लेते हैं. रजत जी ने उनको कई उदाहरण दिए जैसे की शोले फिल्म को छोड़ना, दीवार फिल्म को छोड़ना आदि. शत्रुघ्न जी ने माना कि उनसे यह एक मानवीय भूल हुई है और गलती को स्वीकार किया. उसके बाद इसी राउंड में ही रजत जी ने कहा कि कुछ दर्शक भी सवाल पूछ सकते हैं जिस पर मुझे सवाल पूछने का मौका मिला. मैंने शत्रुघ्न जी से सवाल पूछा कि , “शत्रुघ्न जी आप वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और उस समय आपके मंत्रालय ने रामसेतु तोड़ने का फैसला लिया था. क्या आप मानते है की आपका यह फैसला “भी” गलत था?”
ऐसा लगा कि यह प्रश्न उनको हक्का-बक्का कर देने वाला था. इस प्रश्न को सुनकर शत्रुघ्न जी ने चार बार मुझे कहा कि आपका प्रश्न बहुत अच्छा है, very nice . Very nice question . (जैसे की वह उत्तर सोचने के लिए समय निकाल रहे हो). कुछ पल के बाद शत्रुघ्न जी ने उत्तर दिया कि “वह तो कभी नहीं चाहते थे की रामसेतु को तोडा जाये. उन्होंने तो हमेशा यही चाहा कि कोई और वैकल्पिक रास्ता चुना जाये क्योंकि रामसेतु देश के लोगो की भावनाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा है और वह तो जनता के साथ हैं” अब सवाल यह उठता था कि अगर शत्रुघ्न जी रामसेतु तोडना नहीं चाहते थे तो फिर किसका दबाव था कि एक मंत्री होने के नाते उन्होंने रामसेतु तोड़ने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी? खैर, उनका जवाब चाहे सही था या गलत था, शत्रुघ्न जी ने अपना पक्ष रखा और सफाई देने की पूरी कोशिश की. कुछ पल बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ.
दो तीन दिन बाद जब प्रोग्राम को चैनल पे दिखाया गया तो हमारे हैरानी का ठिकाना नहीं रहा. प्रोग्राम में कई बिना महत्व के प्रश्न तो दिखाए गए पर रामसेतु के ऊपर पूछा गया प्रश्न काट दिया गया था. समझ में आ रहा था कि यह प्रश्न शत्रुघ्न सिन्हा के लिए महंगा साबित हो सकता था. इस लिए संभवतः शत्रुघ्न सिन्हा के निवेदन पर ही इसको काट दिया गया हो.
इसके बाद मैंने अपनी कोशिश जारी रखी की पता करूँ कि इस महत्वपूर्ण प्रश्न को क्यों कटा गया? इस पर कुछ इंडिया टीवी के अधिकारीयों (नाम नहीं बताऊंगा, क्योंकि उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी) से भी बात हुई. और फिर पता चला कि शत्रुघ्न जी नहीं चाहते थे कि इस प्रशन को शो में रखा जाये क्योंकि इस प्रश्न से बवाल मच सकता था. मैंने रजत शर्मा जी से भी बात करने की कोशिश कि लेकिन उन्हीने फ़ोन काट दिया. फिर मैंने एक मेसेज भी भेजा लेकिन रजत जी का कोई जवाब नहीं आया. यही उम्मीद भी थी !!
अंत में मैं इसी नतीजे पर पहुंचा हूँ की मीडिया के लोग जितना भी चिल्लाये , लेकिन वह खुद ही जनता के बीच में सच नहीं लाना चाहती. जब शो को शो के मेहमान ही एडिट करने लग जाये तो सचाई कैसे बाहर आएगी और कैसे लोग मीडिया पर विश्वास करेंगे? यही कारण है की मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो चुका है. सही और सच्ची खबर भारत के मीडिया से लुप्त होती जा रही हैं.
एक बात कहना चाहूंगा कि मेरी रजत शर्मा, शत्रुघ्न सिन्हा और इंडिया टीवी के लिए कोई भी दुर्भावना नहीं हैं. चाहे यह कैसी भी गलती हुई हो पर मुझे उम्मीद है कि इस तरह की गलतियों को दोहराया नहीं जायेगा और हमें सच्ची और पूरी खबरें मिलेंगी. अगर फिर कभी मौका मिला तो मैं फिर से कुछ मुश्किल और तीखे प्रश्न पूछने के लिए तैयार रहूंगा.
मेरा शत्रुघ्न जी से रामसेतु के बारे में सवाल पूछने का मक़सद – पिछले एक-दो साल में मैंने अपने कई दोस्तों और परिचितों से रामसेतु के बारे में चर्चा की थी. ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि रामसेतु तोडना तो कांग्रेस की शरारत थी जबकि ज्यादातर लोगो को यह ही नहीं पता था की रामसेतु तोड़ने की योजना तो वाजपेयी सरकार ने शुरू की थी चाहे कांग्रेस ने तो इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सभी हदें पार कर दी थी. तो लोगो को जागरूक करने और शत्रुघ्न जी से उनकी राय जानने के लिए ही मैंने शत्रुघ्न जी से यह सवाल पूछा था.
(एक जागरूक दर्शक की प्रतिक्रिया)