अभिषेक श्रीवास्तव,वरिष्ठ पत्रकार-
सबसे ऊपर बीजेपी के प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव हैं जिन्हें आप दिन रात टीवी पर देखते हैं। नीचे एक किताब का कवर है जो इन्होंने लिखी है और उस किताब की भूमिका लालकृष्ण आडवाणी ने, जो अब मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा हैं पार्टी में।
जी वी एल नरसिम्हा राव की यह पुस्तक, ‘Democracy at Risk/Can We Trust Our Electronic Voting Machines?’ 2010 में प्रकाशित हुई थी जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी का खुलासा किया गया है। इसकी प्रस्तावना एल के आडवाणी ने लिखी है और इन दोनों विद्वानों ने मांग की है कि दुनिया के तमाम विकसित देशों की ही तरह EVM से मतदान बंद कराया जाय या इसके साथ अमेरिका की तरह Voter Verified Paper Audit Trail (VVPAT) प्रणाली की व्यवस्था की जाय।
इसलिए बीजेपी प्रेमी मित्रों, ये मत समझियेगा कि केवल बीजेपी के जीतने पर ही EVM का रोना रोया जाता है। 2009 में कांग्रेस जीती थी तो इतने बड़े राष्ट्रवादी नेताओं को किताब लिखनी पड़ गयी थी। इनसे उखड़ा कुछ नहीं, ये अलग बात है। ज़ाहिर है, अब मायावती भी क्या कर लेंगी! कहने का मतलब केवल इतना है कि ईवीएम को लेकर चिंताएं सुस्थापित हैं, स्वीकार्य हैं और कतई भाजपा विरोधी नहीं हैं।
जो कोई EVM पर सवाल उठा रहा है उसे लोकतंत्र की चिंता है। बीजेपी को 2010 में लोकतंत्र की चिंता थी। आज मायावती को है। मज़ा ये कि सत्ता में पहुँचते ही सबके लिए EVM ठीक हो जाता है। शायद इसीलिए EVM कभी ठीक नहीं हो पाता और मज़ाक बन कर रह जाता है।
(लेखक के सोशल मीडिया वॉल से साभार)