आलोक कुमार,वेब जर्नलिस्ट
नक़वी जी का इस्तीफ़ा, बनारस में मोदी के ख़िलाफ लड़ेंगे!!!!
समर्थकों का इस्तीफाजनित सायबर उत्साह तो यही कहता है… पर Qamar Waheed Naqvi जी का इस्तीफा कहीं ‘बेहतरीन टाइमिंग’ का नतीजा तो नहीं है? इस्तीफा न हो गया जैसे शहादत दे दी हो उन्होंने.. ऐसा मैं नहीं मानता पर हां कुछ लोग लिख-बोल रहे हैं..
लगातार कई वर्षों तक हिंदी न्यूज चैनलों में ख़बरों के अलावा ख़बर के नाम पर भूत-प्रेत, पाखंड, एकपक्षीय रिपोर्टिंग समेत तमाम गंदगियों का सिरमौर नक़वी जी की अगुआई वाला चैनल रहा पर सार्वजनिक मंचों पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संक्रमण काल के नाम पर उनकी मज़बूरियों को भी सुनता पढ़ता रहा.
निगेटिव न्यूज और वर्नाकुलर टीवी मीडिया का गंध उन्हीं के यहां से संक्रामक हुआ. जो सबसे ज़्यादा पीड़ित हुआ था इस वायरस से उसी के यहां नक़वी जी गए.
पता नहीं आज जो किया वही माद्दा पहले भी था फिर सुधार के लिए तब उन्होंने कुछ क्यों नहीं किया.. और आज मोदी के नाम पर पेपर थमा कर वो क्या स्कोर करना चाहते हैं.. मालूम नहीं.. ये हास्यास्पद है जिसके नाम पर गए उसी पार्टी का गुणगान वर्षों तक इडियट बॉक्स के सहारे कराते रहे.. टोटल स्यापा..
अब इस्तीफे का राज तो वही बताएंगे.. पर अगर बात वही है जो निकली है तो चैनलों की चाकरी करते उन्हें मीडिया और इससे अपेक्षित सरोकार से कोई मतलब रहा हो, ऐसा तो साबित नहीं कर पाए.. हां अब कर सकते हैं.. बनारस जाकर
Rai Pratibha
जब तक सर पर जिम्मेदारी थी तब तक किसी की चाकरी करते रहना मज़बूरी थी..लेकिन जैसे ही अंदर से आवाज आई और अब तक सारी जिम्मेदारी पूरी हो गई है..आगे की दाल रोटी का जुगाड़ भी हो गया है..तो सिर्फ और सिर्फ वही किया जो उनके दिल ने कहा…बधाई के पात्र हैं नकवी जी…नौकरी के इस संक्रमण काल में नौकरी छोड़ देना मज़ाक नहीं है बल्कि साहस भरा कदम है….
(स्रोत-एफबी)