देव्यांशू झा-
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी जीत रही है । हो सकता है, वो सही हों लेकिन भारतीय लोकतंत्र के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ और नहीं हो सकता । भारतीय लोकशाही में नीचता के नए प्रतिमान स्थापित करने वाले पुरुष हैं अऱविंद केजरीवाल । जिन्होंने भ्रष्टाचार और काला धन के खिलाफ एक आंदोलन की लाठी से खुद को स्थापित कर समझौतावादी सियासत के सनसनीखेज नमूने दिये हैं जिसमें अलगाववादिय़ों को समर्थन देने से लेकर, चर्च… धर्म परिवर्तन में जुटी विदेशी शक्तियों तक का सहारा शामिल है । य़े एक ऐसा व्यक्ति है जो सत्ता पाने के लिए, सत्ता में बने रहने के लिए, प्रधानमंत्री बनने के लिए कुछ भी कर सकता है । ये भारतीय लोकतंत्र का सबसे खतरनाक व्यक्ति है जिसने तथाकथित बौद्धिकों और निचले तबके के लोगों, दोनों के बीच अपनी पैठ बना ली है । निचले तबके को इसने मुफ्त की सेवा, अपनी भाव भंगिमा, वेशभूषा और अनगिनत झूठ से सम्मोहित किया है और बौद्धिकों को अन्ना हजारे के नाम पर बरगलाया है । इसके प्रचार तंत्र में वो सारे तत्व शामिल हैं जो साठ साल से ठगी जा रही जनता के सामने विकल्प के रूप में सामने आते है । इसके प्रचार तंत्र में वंदे मातरम.. हिन्द के तराने, भारत माता की जय, फटीचर कपड़ों का छद्म, घर-घर जाकर झूठ का प्रचार और सेक्यलरिज्म सब कुछ है । इन सब हथियारों से यह भ्रमजाल बुनता है । हालांकि, ध्यान से देखने पर यह साबित हो जाता है कि सबकुछ भयंकर छद्मी, घातक और देश की अखंडता तोड़ देने की हद तक समझौतावादी है लेकिन धन्य भारत की जनता जो लालू.. मुलायम, और ममता जैसे नायकों के हाथों लूटे जाने के बाद भी उनके ही विस्तार पुरुष पर विश्वास करती ह। हैरत की बात ये है कि सब कुछ इतना साफ होने के बावजूद और सत्ता के लिए इसके सैकड़ों षड़यंत्रों, समझौतों, झूठों के सामने आने के बाद भी इऩका मोहभंग नहीं हुआ । इस व्यक्ति का उदय भारतीय समाज और लोकतंत्र के लिए अस्त होने की शुरुआत है। ये जिस प्रदेश में भी रहेगा, उसे दीमक की तरह खोखला कर देगा। पंजाब में इसका आना, पंजाब की पराजय का दूसरा काल होगा ।