बहती गंगा में हाथ धोने के मूड में पुण्य प्रसून
इनफॉर्मल बातचीत के सिद्धांत के आधार पर किसी पत्रकार को क्या कोई भी बात करने की छूट मिल जाती है. इंटरव्यू की किस बात पर फोकस हो, इसका निर्णय इंटरव्यू लेने अपने विवेक से करेगा, न कि जिसका इंटरव्यू लिया है उससे डिस्कस कर निर्देश लेगा. पुण्य प्रसून – केजरीवाल इंटरव्यू मामले में इनफॉर्मल बातचीत की थ्योरी कुछ हजम नहीं हुई. वैसे भी पुण्य प्रसून की आम आदमी पार्टी से नजदीकी सबको पता है. अच्छा होता कि पुण्य प्रसून ‘AAP’ के टिकट पर चुनाव लड़ ही लेते. दिल्ली में एक सीट लगता है उन्हीं के लिए बचा कर रखी है. बहरहाल देखिए यह कार्टून :
अमरेन्द्र