प्रेस विज्ञप्ति
प्रतिरोध – 2
आइए!
देश के विवेक, लोकतंत्र और साझा संस्कृति पर हो रहे प्रहारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं रचने और सोचने वाले जागरूक लोग एकजुट हों और अपना इक़बाल बुलंद करें।
बात असहिष्णुता से बहुत आगे बढ़ गई है। नागरिकों पर ठेठ राजद्रोह मढ़ा जा रहा है, असहमति को कुचला जा रहा है; सरकारी मशीनरी का बेतरह दुरुपयोग करते हुए बौद्धिक गतिविधियों, अर्थात अभिव्यक्ति, विचार और वाद-विवाद-संवाद के आयोजनों के विरुद्ध जैसे कोई मुहिम व्याप्त है; विश्वविद्यालयों को बहुलता, मुक्त ज्ञान और आज़ाद ख़यालों के केंद्र बने रहने पर भी उन्हें तकलीफ़ है; बौद्धिक जिज्ञासा, असहमति और विरोध के इन केंद्रों का अवमूल्यन किया जा रहा है। इस सब से देश भर में भय, दबाव, धमकियों का माहौल खड़ा कर दिया गया है। कुचालों से लोकतांत्रिक, कानूनी और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं को हड़पते हुए भारतवर्ष, उसकी परंपरा और संस्कृति पर एक नितांत संकीर्ण और इकहरा रुख़ थोपा जा रहा है। हम इस रुख़, उसके भयावह आशयों और उसके तौर-तरीकों को आँखें मूँद कर देश पर हावी नहीं होने दे सकते। इसलिए कि हमें अपने देश, उसकी बहुलतावादी संस्कृति व परंपरा, नागरिकों की अपार संभावनाओं व क्षमताओं और उनके अतीत और संघर्षों से लगाव और सरोकार है।
‘प्रतिरोध’ के हक़ और जज़्बे को जारी रखते हुए हम – यानी हम और आप – 8 अप्रैल, 2016 (शुक्रवार) को फिर उसी स्थान पर जमा होने जा रहे हैं। आपको आना है। …
आइए, कि आवाज़ उठाने का हक़ अदा करें।
वक्ता
कृष्णा सोबती, हरबंस मुखिया, कांचा इलैया, कुमार प्रशांत, गौहर रज़ा, सिद्धार्थ वरदराजन, वृंदा ग्रोवर, शोमा चौधरी, डोंथा प्रशांत (हैदराबाद विश्व.), राकेश शुक्ल (एफ़टीआइआइ), ऋचा सिंह (इलाहाबाद विश्व.), कन्हैया कुमार, शेहला रशीद (जेएनयू)
निवेदक
अशोक वाजपेयी, ओम थानवी, एमके रैना, अपूर्वानंद, वन्दना राग
और आप
तारीख़: अप्रैल 8, 2016
समय: दोपहर 2:30 बजे से
स्थान: मावलंकर हॉल, कांस्टीट्यूशन क्लब, रफ़ी मार्ग, नई दिल्ली
Pratirodh II
A resistance by creative and reflective community and all conscientious people
Against attacks on reason, democracy & composite culture
From intolerance to sedition, from suppressing dissent to misusing state machinery, the current tirade against intellect and ideas, against spaces of debate-discussion-dissent, against allowing universities to remain sites of plurality, free knowledge and expression undermining them as centres of intellectual pursuit and protest, a climate of nation- wide fear, stress and tension is being created. Democratic, legal and cultural processes are being usurped and misused to impose a parochial, majoritarian, uniform and exclusive view of India, its culture and tradition. We cannot allow this view, its strategies, its fearful implications to go unexamined and unchallenged since we love our country, its plural culture and tradition, its people and their tremendous possibilities, their past and struggles. As another session of Pratirodh (Resistance) some of us are organising a session on 8th April 2016 and solicit your support and participation.
Speakers
Krishna Sobti, Harbans Mukhia, Kancha Ilaiah, Kumar Prashant, Gauhar Raza, Siddharth Varadarajan, Vrinda Grover, Shoma Chaudhury, Dontha Prashanth (University of Hyderabad), Rakesh Shukla (FTII), Richa Singh (Allahabad University), Kanhaiya Kumar, Shehla Rashid (JNU)
Initiators
Ashok Vajpeyi, Om Thanvi, MK Raina, Apoorvanand, Vandana Rag and You
Come together to raise your voice
Date: April 8, 2016
Time: 2:30 pm onwards
Venue: Mavalankar Hall, Constitution Club, Rafi Marg, New Delhi