सुजीत ठमके
लोकमत मराठी अखबार महाराष्ट्र का पुराना ब्रांड है। स्वर्गीय जवाहरलाल दर्डा जिन्हे प्यार से बाबूजी भी कहते है उन्होंने इस ब्रांड की नीव रखी। जब अखबार शुरू किया तब महज २ पन्नो का था। लोकमत के हिंदी और अग्रेजी संस्करण भी है। लोकमत ने देश और महाराष्ट्र को कई बेहतर, होनहार, जुझारू, उच्च स्तर के पत्रकार दिए । १५ वर्ष पहले महाराष्ट्र में ढेर सारे अखबार नहीं थे। संस्करण नहीं थे। अगर नागपुर के संस्करण से कोई छोटी खबर भी छपती तो महाराष्ट्र के सभी जिले, गाँव, कस्बे आदि आदि में उस खबर का इम्पेक्ट पहुचता था। आज लगभग हर अखबार २-३ जिले मिलाकर एक संस्करण निकालता है। ढेरो अखबार है। साप्ताहिक है। पाक्षिक है।मासिक है। ख़ास खबरों पर फोकस करने वाले अखबार भी आज बाजार में है। मसलन क्राइम, बिजनेस, फिल्म, स्पोर्ट्स, खेती, इन्वेस्टिगेशन स्टोरी आदि बावजूद दिन ब दिन जनसरोकार से जुडी खबरे ओज़ल हो रही है। यह रहा बाजार और अखबारों का गठजोड़। लेकिन बाजार और अखबारों के जानलेवा मुठभेड़ में जब जनसरोकार से जुडी पत्रकारिता गुम होती है तब लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले जमीनी स्तर के पत्रकार मायूस होते है। निराश होते है। हताश होते है।बावजूद उनके कलम की धार सौ प्रतिशत उतनी ही तेज होती है। यह कलम खुद के लक्ज़री लाइफ के लिए नहीं होती। यह भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ होती है। यह ब्यूरोक्रेट के खिलाफ होती है। नेताओ के खिलाफ होती है। मंत्रियो के खिलाफ होती है। और जनता के हक़ में होती है। महाराष्ट्र के मीडिया जगत में प्रमोद चूंचुवार एक ऐसाही नाम है। जी हां … सही सूना आपने प्रमोद चूंचुवार बढे कद के कद्दावर पत्रकार है। विदर्भ के चंद्रपुर जिले से तालुख रखते है। चंद्रपुर जिला कई मायनो में ऐतिहासिक है। राजे रजवाड़ों की भूमि रही है। स्वतन्त्रता संग्राम के कई सेनानी यही से थे। माइंस का बेल्ट है। प्राकृतिक खूबसूरती भी है। और नक्सल प्रभावित इलाखा। प्रमोद चूंचुवार एक बेहतर डिबेटर थे। छात्र अवस्था में ही कलम चलाने की तालीम सीखी। नागपुर से पत्रकारिता करने के बाद प्रमोद लोकमत समूह से जुड़े। लोकमत में रहते हुए कई बड़ी स्टोरी,स्कॅम कवर किये है।
वर्ष १९९७ का दौर था। छात्रों में पत्रकारिता करने का क्रेज था। तब पत्रकारिता में पैसा, ग्लैमर, नेम, फेम नहीं था। लेकिन पत्रकारिता के तरफ समाज, सरकार, ब्यूरोक्रेट, व्यवस्था आदि का देखने का नजरिया बेदाग़ सज्जन जैसा था। लोकमत ने कई छात्रों को प्लेटफार्म दिया। लोकमत युवा मंच के जरिये महाराष्ट्र के अलग अलग हिस्सों से बुद्धिजीवी छात्र जुड़े। प्रमोद चुंचूवार इन्ही नामो में से एक थे। यू कहे तो प्रमोद चुंचूवार लोकमत के स्टार रिपोर्टर थे। नागपुर विश्विद्यालय द्वारा फर्जी मार्कशीट की बंदरबाट हो। डेवलपमेंट का इस्सू हो। अलग विदर्भ मसला हो, नक्सलवाद हो, राजनीतीक उठापठक, किसान ख़ुदकुशी, समाजवादी हो या मार्क्सवादियों, कांग्रेस हो, बीजेपी हो या फिर संघ परिवार के खेमे से छनकर निकलने वाली खबरों को तह तक पहुचने की अद्भुत कला प्रमोद के रगरग में भरी है। प्रमोद दिल्ली के पत्रकारिता जगत में ही रहे है। ई-टीवी के लिए खबरों की रिपोर्टिंग करते थे। सरकारी बाबूगिरी के बड़े पद से इस्तीफा देकर सक्रीय पत्रकारिता में जुड़े। टीवी और प्रिंट मीडिया दोनों का लंबा अनुभव रखते है। कई मीडिया हाउसेस में बढे पदो पर रहे है। प्रमोद चुंचूवार कॉपी- पेस्ट पत्रकारिता पर यकींन नहीं करते। खबरों की तह तक जाते है। कई विषयो को खंगालते है। कई विषयो पर बेहतर पकड़ रखते है। स्कॅम को उजागर करना है तो पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरते है। वाकई प्रिंट मीडिया के कद्दावर पत्रकार है प्रमोद चुंचूवार।
सुजीत ठमके
पुणे-411002