नयी दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर का मानना है कि सरकार को मीडिया पर नियंत्रण स्थापित नहीं करना चाहिए. कुछ दिन पहले ही उन्होंने टिप्पणी की थी कि वह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को समाप्त करने की दिशा में काम करने के लिए ‘‘दार्शनिक रुप से’’ या ‘‘वैचारिक रुप से’’ इच्छुक हैं. जावडेकर ने वुमेन प्रेस कोर सदस्यों को संबोधित करते हुए आज कहा कि मीडिया का अपना तंत्र होना चाहिए ताकि सरकार को नियंत्रण स्थापित करने की कभी आवश्यकता नहीं हो.
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि सरकार को मीडिया पर नियंत्रण नहीं करना चाहिए और न ही संचालन करना चाहिए. सरकार को नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, मीडिया का अपना तंत्र होना चाहिए.’’ दो दिन पहले जावडेकर ने एक साक्षात्कार में कहा था कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को समाप्त करने की दिशा में काम करने के लिए वह ‘‘दार्शनिक रुप से’’ या ‘‘वैचारिक रुप से’’ इच्छुक हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ अब प्रसार भारती का मामला लीजिए, सबसे बडी चुनौती यह है कि दूरदर्शन को किस प्रकार दर्शकों की पहली पसंद बनाया जाए. यह जिस मॉडल में काम करे, हमें उसे चुनेंगे. हमने स्वायत्तता दी है लेकिन नतीजे भी आने चाहिए.’’
जावडेकर ने कहा कि प्रेस की आजादी लंबे संघर्ष का परिणाम है और स्वतंत्रता के साथ ही जिम्मेदारी भी आती है. मंत्री ने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी ढांचा बढाए जाने के पक्ष में है जहां लोग अन्य देशों का दुष्प्रचार सुनते हैं लेकिन कभी कभी भारत सरकार की आवाज ही नहीं पहुंच पाती.उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में प्रसार भारती और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करेंगे.
जावडेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को नवोन्मेषी होने के लिए प्रोत्साहित किया है. उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा पर्यावरण मंत्रालय विज्ञापनों के संबंध में एक नया चलन शुरु करेगा. दोनों मंत्रालय जावडेकर के पास ही हैं.
उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि लोगों को विज्ञापनों के लिए विचार तथा डिजायन मुहैया कराने के लिए कहा जाएगा तथा डीएवीपी सिर्फ उन्हें जारी करेगा. ‘‘ हम चुने जाने वाले अच्छे डिजायनों की पहचान करेंगे और उन्हें पुरस्कृत करेंगे.’’
(स्रोत-भाषा)