लेकिन सत्ता की चरण वंदना करते हुए प्रभात खबर ने खबर देने की तेजी में संघ का ब्यान नजरअंदाज कर सरकार के पक्ष में एकतरफा भ्रामक खबर छाप दी. सूबे में सबसे तेज खबर दिखाने की हड़बड़ी में अग्रिम अफवाह फ़ैलाने के लिए मशहूर यह अखबार शिक्षकों में आलोचना का पात्र हो चला है. यह नहीं राज्य के तमाम संगठनों से जुड़े शिक्षक नेताओं का कहना है कि प्रभात खबर ने यदि अपनी गलती नहीं सुधारी तो प्रखंड स्तर पर अखबार की प्रतियां जलाई जाएंगी. साथ इस तरह की चापलूसी भरी खबरें पढ़ते पढ़ते सबके जेहन में यही सवाल उमड़ रहा है कि आखिर कब तक शिक्षकों को भ्रामक खबरें पढ़ा बेवकूफ बनाया जाता रहेगा.
नियोजित शिक्षक मित्रों को इस झांसे में नहीं आना है. कुछ दिन पहले ही इन्हीं अखबारों ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री का ब्यान छापा था कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को उत्तर भारत के सभी राज्यों से सम्मानजनक मानदेय मिलता है. फिर ये क्या है? बिहार में प्रकाशित सभी प्रिंट मीडिया के पत्रकारों से निवेदन है. अरे भाई, छापना ही है तो पहले शिक्षा मंत्री से सवाल करो. फिर ये छापो कि वेतन वृद्धि की अध्ययन टीम कब गठित होगी. कितने दिनों में रिपोर्ट सौप देगी? नहीं तो प्रिंट मीडिया पर से भी शिक्षकों का भरोसा उठ जाएगा.
(मेल द्वारा प्राप्त सूचना)