मोतिहारी (बिहार). ग्रामीण पत्रकारिता में सीमित संसाधन व नाम मात्र के मेहनताने पर खट रहे एक पत्रकार के निष्पक्ष होने की गारंटी कोई नहीं ले सकता. आखिर कौन ऐसा मीडियाकर्मी है जो मौका मिलने पर अवैध कमाई का चौका नहीं मारना चाहता. जब राजधानी दिल्ली के बड़े बड़े मीडिया घराने कुकृत्यों से वंचित नहीं तो इन बेचारे मुफ्फसिल रिपोर्टरों की क्या औकात.
लेकिन इन दिनों शहर के एक पूर्व बाबू साहब संवदिया जिस कदर प्रभात खबर, मोतिहारी के रिपोर्टरों के बारे में न्यूज़ पोर्टलों पर उलुल जुलूल लिख रहे
हैं. इससे उनकी ओछी मानसिकता का पता चल रहा है. साहब करीब पांच वर्ष पहले इसी अखबार से जुड़े थे.
लेकिन उनकी घटिया हरकतों से आजिज आकर ऑफिस के ही एक कर्मी ने जमकर लात-घूसे व जूते से धुनाई की. बाद में प्रबंधन ने मामले की जांच की तो जनाब को ही दोषी पाते हुए अखबार से बाहर का रास्ता दिखा दिया. फिर तो मोतिहारी के मीडिया जगत में इनकी उतनी छिछालेदर हुई कि आजतक किसी बैनर में जगह नहीं मिली. इससे खुन्नस खाए वे अब अपने कुंठित दिमाग से इंटरनेट पर छद्दम नाम से प्रतिक्रिया स्वरुप अंट शंट लिख भड़ास निकाल रहे हैं.
प्रभात खबर प्रबंधन को अख़बार की छवि धूमिल करने की साजिश रच रहे ऐसे घटिया तत्वों की काली करतूतों से सावधान रहना चाहिए.
एक पत्रकार की रिपोर्ट