कल से हर वामपंथी पत्रकार योगी की जात बताने से अपनी बात शुरू कर रहा है। जितने वामपंथी पोर्टल हैं, टीवी पत्रकार हैं, वो ये बताना नहीं भूल रहे हैं कि योगी की जाति क्या है। चुनाव के दौरान जब दिबांग ने तीन चार बार ठाकुर ठाकुर किया तो योगी ने डांट दिया। “आपको मुझे हिन्दू कहने में शर्म आ रही है और जिस सन्यासी की कोई जाति नहीं उसकी जाति बता रहे हैं।”
सन्यास की जो परंपरा है उसमें जाति का अस्तित्व नहीं है। जब कोई व्यक्ति सन्सास लेने चलता है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। एक तरह से समाज उसे अपने लिए मृत घोषित कर देता है। फिर न तो उसका कोई कुल है, न परिवार और न ही जाति। ये सब सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है जबकि जो सन्यास लेता है वह इन सबसे ऊपर उठ जाता है। इसीलिए सिर मुंडाया जाता कि अब वह सब संबंधों का अंतिम संस्कार कर रहा है।
लेकिन अच्छा है। वामपंथ के ऐसे ही वैचारिक साजिशों और दिवालियेपन ने उसे भारत में अप्रासंगिक कर दिया है। इसी तरह काम करके रहें, अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा।
(वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी के एफबी से साभार)