नकुल चतुर्वेदी
#विवादित_फिल्म_पीके, गुजरात पुलिस की मोकड्रिल और दो टोपी वाले आतंकी..?
क्या कनेक्शन है?
समझने वाली बात ये है कि एक तरफ Pk में तथाकथित शांतिवादी कौम की तारीफ पेश की जा रही है, दूसरी तरफ एक धर्म को पाखंड बताया जा रहा है.. और जब हिंदूवादी संगठन इसका विरोध कर आवाज़ उठा रहे हैं तो लोग कह रहे हैं कि फिल्म के सन्देश पर ध्यान दें…
चलिए अब बात करते हैं दूसरे पहलू की..
गुजरात पुलिस की मोक ड्रिल में टोपी को लेकर विवाद किया जा रहा है..? कहा जा रहा है कि एक विशेष संप्रदाय को आतंकवाद से जोड़ना गलत है.. अरे भाई वहां भी सन्देश देखो न..?
पुलिस का मकसद है आतंकियों से लड़ने के लिए तैयार रहना.. उसका समर्थन कोई नहीं कर रहा..?वहां सन्देश की वकालत करने वाला कोई नहीं .. आखिर क्यों..?
और तथाकथित सेकुलर पार्टियां इस सब पर राजनीति की रोटीयां सेंक रहीं हैं.. कोई विवादित फिल्म को टैक्स फ्री कर रहा है तो कोई मोकड्रिल में टोपी के विवाद की बात कर रहा है..?
क्या इन टोपी वाले दो आतंकियों पर कोई कुछ कहेगा..? Pk में इस्लाम की वकालत और मोकड्रिल में टोपी या इस्लाम का विरोध करने वालों..? कोई ये बताएगा कि ये टोपी वाले आतंकवादी कौन हैं..? क्या ये इस्लाम से नहीं हैं..?
अब तो ये होना चाहिए.. सरकार और पुलिस पर ऐसे ही सवाल क्यों उठें..?..
पहले जांचा जाए, सर्वे किया जाए कि दुनियाभर में कौन से लोगों ने आतंक को शक्ल दी है..? किन लोगों ने देश की संसद उड़ाने की कोशिश की..? किन लोगों ने कंधार विमान अपहरण को अंजाम दिया..? किन लोगों ने मुंबई दहलाने की कोशिश की..? और सबसे दुखद किन लोगों ने पाक के पेशावर में मासूमों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया..?
आखिर कौन थे ये लोग..? और दुनिया भर में जितने भी खूंखार आतंकवादी संगठन अभी चल रहे हैं.. उन्हें कौन चला रहा है..?? इराक-सीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और कश्मीर में आतंकवाद का घिनोना रूप भी इस्लाम के ही कुछ नुमायिंदे पेश कर रहे हैं? इतिहास से अब तक उठाकर देख लीजिए.. किन लोगों ने विश्व में नरसंहार मचाया है.. ? किन लोगों ने..? हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई..?
जहाँ विवादित फिल्म pk में एक धर्म विशेष का खुलकर अपमान किया गया है..? गुज़रात पुलिस की मोकड्रिल में टोपी का विवाद..? और टोपी पहने ही दिल्ली से आतंकवादियों का पकड़ा जाना..? क्या अब भी ये बताने की ज़रूरत होगी कि गुजरात पुलिस ने मोकड्रिल में गलत किया..? क्या अब भी ये बताना पड़ेगा कि विवादित फिल्म pk में एक विशेष संप्रदाय की छवि को चमकाने की कोशिश और हिंदुस्तान के अस्तित्व और संस्कारों को बताने वाले धर्म पर चोट की जा रही है..? कोई अगर बहुत बड़ा विश्लेषक है तो वो ये बताए.. ये टोपी वाले आतंकवादी कौन हैं..? Pk में पाखंडी मौलवियों और तथाकथित पादरियों को क्यों नही दिखाया गया..?
क्यों हर बात का राजनीतिकरण कर दिया जाता है इस देश में..? देशहित में काम करने वाला मीडिया आज अपने उददेश्य से भटक रहा है, मीडिया को भी समझने की ज़रूरत है सच और उसका इतिहास.. देश के लिए अपना कर्त्तव्य..?
(लेखक के निजी विचार हैं. मीडिया खबर का इससे सहमत होना जरूरी नहीं)