महाराष्ट्र मे पत्रकारों के उपर बढते हमले रोकने के लिए पिछले चार साल से पत्रकार हमला विरोधी कृती समिती सरकार पर दबाव डाल रही है,लेकिन सरकार पत्रकारों के मांग की अनदेखी कर रही है. इस विषय में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और विपक्ष के नेता के साथ समिती के प्रतिनिधी मंडल ने बार-बार चर्चा की. लेकिन झूठे वादे सिवाए कुछ नहीं मिला. मुख्यमंत्री सहित सभी राजकीय नेताओं ने कानून बनाने के वादे तो किए लेकिन वादे पूरे नहीं किए. इस अनुभव के चलते पत्रकारों ने अब मांग की है कि राज्य के सभी राजनैतिक दल अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का जिक्र.
समिती के प्रमुख एस.एम.देशमुख ने कल मुंबई मे जारी एक प्रेस विज्ञप्ती मे यह जानकारी दी है. समिती के और से भाजपा,एनसीपी,कॉग्रेस,शिवसेना और अन्य पार्टीयो को खत लिखकर मेनिफेस्टो मे कानून का जिक्र करने का अनुरोध किया गया है. महाराष्ट्र मे अभी तक गठबंधन का फैसला नही हुआ.गठबंधन के बाद सभी दल अपने अपने मेनिफेस्टो पब्लिश करेंगे.
महाराष्ट्र मे हर साल 70 से 75 पत्रकार पिटे जाते है. इस हिसाब से पिछले पांच सालों में महाराष्ट्र मे 350 पत्रकार हिंसा के शिकार हुए हैं. इसके अलावा पिछले पांच सालों में 48 मीडिया संस्थानों पर भी हमला हुआ है जबकि सात पत्रकारों की हत्या कर दी गयी. पत्रकारों पर हमला करने वालों में राजनैतिक दलो के कार्यकर्ता,गुंडे,माफिया और पुलिस सभी होते हैं और ज्यादातर मामले में विरोध मे खबर करने के कारण हमले किए जाते हैं.