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प्रभात खबर के पूर्व संपादकों की दुर्दशा

क्यूँ  अच्छी नौकरी नहीं मिलती प्रभात खबर के संपादकों को?

प्रभात खबर बिहार और झारखण्ड में एक जाना – पहचाना नाम है। इसका अपना एक बड़ा पाठक वर्ग है। लेकिन प्रभात खबर में पत्रकारों की भी टीम बेहद सुस्त है क्योंकि प्रभात खबर अच्छे पैसे नहीं देता। इसलिए इसमें लोग बहुत ही कम समय टिक पाते हैं। मौका मिलते ही पत्रकार दूसरी जगह तलाश लेते हैं। लेकिन यहाँ से गए पूर्व संपादकों को फिर अच्छी नौकरी नहीं मिलती या फिर उनके करियर में स्थायित्व नहीं होता.

हिंदुस्तान से सेवानिवृति के बाद नयी भूमिका की तलाश में वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत

श्रीकांत सेवानिवृत बिहार की जनपक्षीय पत्रकारिता को एक विशेष आयाम देने वाले वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत ने दैनिक हिंदुस्तान के विशेष संवाददाता के पद से सेवानिवृति के बाद पत्रकारों, साहित्यकारों के साथ बैठकर अपने अगले और नई पारी पर विमर्श किया। जहाँ लोग किसी सेवा से सेवानिवृति के बाद मुख्य धारा से कट जाते हैं, वहीं यह विमर्श गोष्ठी पत्रकारिता को और मजबूत बनाने की शुरुआत के लिए थी। जैसा कि इस दौरान श्रीकांत ने कहा अब स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य जारी रखने की बारी है। किसानों और सामाजिक परिवर्तन के लिए कलम उठाने वाले श्रीकांत कहते हैं कि पत्रकार कभी सेवानिवृत नहीं होता और जहां तक मेरे लेखन का सवाल है, वो बाजारवाद के खिलाफ है। साथ ही त्रिवेणी संघ पर काम चल रहा है और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई जारी रखनी है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय कर सकता है ज़ी न्यूज़ पर कार्रवाई

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ज़ी न्यूज़ के दफ्तर से एक बेहद महत्वपूर्ण खबर आ रही है,बताया जा रहा है कि दो-तीन दिन पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एक चिट्ठी ज़ी न्यूज़ को भेजी गई है,इस चिट्ठी के मिलते ही ज़ी न्यूज़ का मैनेजमेंट बेहद परेशान है।इस चिट्ठी में क्या है इस बारे में तो ज्यादा पता नहीं चल पाया है लेकिन बताया जा रहा है कि इसमें कुछ सवालों के जवाब मांगे गए हैं।

सवाल मंत्रालय पर भी उठ रहे हैं कि सरेआम रिश्वत मांगने वाले संपादक के चैनल के खिलाफ केवल जांच का दिखावा ही क्यों किया जा रहा है कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है।

वहीं दूसरी तरफ ज़ी न्यूज़ के जांबांज संपादक सुधीर चौधरी नें अपने रिपोर्टरों से कोयला घोटाले की ज्यादा से ज्यादा स्टोरी लाने के लिए कहा है। रिपोर्टर परेशान हैं कि क्या किया जाए। स्टोरी नहीं आएगी तो नौकरी जाए और स्टोरी आए तो जेल जाने की नौबत आए।

क्या अशोक सिंघल की पीआर कर रहे थे पुण्य प्रसून बाजपेयी ?

ashok singhal punya prasoon bajpayee विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल अतर्ध्यान थे. मीडिया में कहीं दिख नहीं रहे थे. खबरों से गायब थे. मान लिया गया था कि राम मंदर आंदोलन अस्ताचल की ओर जा रहा है. तभी अचानक से एक नैशनल हिंदी न्यूज चैनल उन्हें रात 10 बजे अपने प्राइम टाइम प्रोग्राम में लेकर प्रकट होता है और अशोक सिंघल को पूरा-पूरा मौका देता है कि एक खास समुदाय के खिलाफ वो जितना विष उगल सकते हैं, उगलें. भावनाएं भड़काएं. राम नाम और हिंदुत्व का राग अलापें.

इस क्रम में ऐसा लग रहा था कि प्रोग्राम की एंकरिंग करने वाले ‘नामी पत्रकार’ बंधु और न्यूज चैनल, अशोक सिंघल की पीआरशिप कर रहे हैं…एंकर उन्हें बोलने का पूरा मौका देता है और ऐसा लगता है कि अशोक सिंघल किसी टीचिंग क्लास में लेक्चर दे रहे हैं और एंकर एक आदर्श छात्र की तरह उन्हें देख-सुन रहा है…

अजीत शाही की तहलका में वापसी

खबरों के मुताबिक वरिष्ठ पत्रकार अजीत शाही की तहलका में एक बार फिर से वापसी हो गयी है. उनकी नियुक्ति एडिटर-एट-लार्ज के तौर पर हुई है. यह तहलका में उनकी दूसरी पारी है.

इसके पहले वे वर्ष 2008 से 2010 के बीच तहलका से जुड़े रहे. वैसे उनका लंबा – चौड़ा पत्रकारिता का करियर रहा है लेकिन किसी भी संस्थान में उनकी पारी लंबी नहीं चलती. ज्यादातर जगह पर खुद ही इस्तीफा देकर वे चले जाते हैं. गायब रहते हैं और फिर अचानक से इंडस्ट्री में उनकी वापसी होती है.

वैसे कहा जाता है कि उनकी जानकारी का दायरा बेहद विस्तृत है और ख़बरों पर उनकी जबरदस्त पकड़ है. उन्होंने पूर्व में सी-वोटर्स, चैनल-7 (IBN-7), स्टार न्यूज़, इंडो एशियन न्यूज़ सर्विसेज, टीवी9 आदि संस्थानों के साथ भी काम कर चुके. उम्मीद करते हैं कि तहलका में उनकी पारी लंबी चलेगी.

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