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“तेरे बिना” कुमार निशान्त की पहली किताब हुई रिलीज़

tere bina kumar nishant book
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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगत का जाना पहचाना नाम और चेहरा जिनकी आवाज़ आप जब भी रेडियो या टेलीविज़न ऑन करते है कुछ अंतरालों में ज़रूर सुनते हैं। रेडियो, टेलीविज़न, विज्ञापन, डॉक्यूमेंट्री के साथ साथ आवाज़ (वॉइस ओवर ) की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने में क़ामयाबी के बाद अब एक लेखक के रूप में हमारे सामने हैं। विश्वास करना कठिन लगता है कि एक व्यक्ति में इतने गुण ? लेकिन कलाकार कुछ भी करने में समर्थ होते हैं क्यूँकि इनकी सोच और दुनिया को देखने का नजरिया आम इंसानों से अलग होता है। अपने १० वर्षों के परिश्रम एवं कला के विभिन्न क्षेत्रों में सफल कार्यों से झारखण्ड राज्य का नाम देशभर में गौरवान्वित किया है।

कुमार निशान्त की पहली पुस्तक का नाम “तेरे बिना” है। “तेरे बिना” इश्क़ एवं जुदाई पर लिखी शायरी, कविता एवं गीतों का संग्रह है। इसमें लेखक ने अपने इश्क़ मे मिले अनुभवों को शायरी, कविता एवं गीतों के माध्यम से बयां किया है, जो आपके अंतःमन को छू जाएगी। लेखक ने अपनी इस पहली पुस्तक में अपने अनुभवों, किस्सों और कल्पनाओं को उन्ही शब्दों से पिरोया है, जो बहुत सरल हैं। आप जब इसे पढ़ेंगे तो स्वतः ही उसे अपने प्रेम के साथ जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। इस किताब में लिखी शायरी, कविता एवं गीतों को कुमार ने एक नए अंदाज़ में पेश किया है। यह किताब educreation.in (दिल्ली) ने प्रकाशित किया है। जिसे प्रकाशन द्वारा दुनियाभर में ३० मई को रिलीज़ किया जाएगा। अभी इस किताब की प्री बुकिंग जारी है। ३० मई को यह किताब amazon.com, flipkart.com, infibeam.com, ingram, और amazonkindle पर भी उपलब्ध होगी। इस किताब की प्री बुकिंग उपलब्ध है। हमारी ओर से कुमार निशान्त जी को ढ़ेरों बधाई और शुभकामनायें।

“Tere Bina”. It’s preorder is now available on BooksCamel.

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आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में गोष्ठी और सम्मान समारोह

hajari prasad dwivedi samaroh 1
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हिंदी भाषा को मानक रूप देने में आचार्य द्विवेदी का महत्वपूर्ण योगदान : डॉ कमल किशोर गोयनका

नयी दिल्ली। “प्रेमचंद मूल रूप से उर्दू के लेखक थे, उन्हें हिंदी के संस्कार सिखाने वाले आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ही थे। हिंदी भाषा को मानक रूप देने में आचार्य द्विवेदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा और उन्होंने ही प्रेमचंद के बलिदान और पंच परमेश्वर का संशोधन किया था। आचार्य द्विवेदी ने एक-एक पंक्ति में बारह से चौदह तक संशोधन किए और कई वाक्यों में क्रिया समेत पूरा विशेषण ही बदल दिया। कहा जा सकता है कि आचार्य द्विवेदी ने उर्दू से हिंदी में आ रहे लेखक प्रेमचंद को हिंदी के संस्कार देने में बहुत बड़ा योगदान दिया। लेकिन आज का हिंदी समाज अपने मूर्धन्य लेखकों के प्रति उदासीन है जो बेहद दुखद स्थिति है। हिंदी के विकास का दावा करने वाले और लाखों रुपए का वेतन लेने वाले तमाम प्रोफ़ेसर स्वयं पढ़ते लिखते नहीं हैं। ” यह उद्गार थे केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका के जो आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की 153 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा) दिल्ली और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति, रायबरेली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात लेखक दिनेश कुमार शुक्ल ने की जबकि जाने माने लेखक प्रेमपाल शर्मा विशिष्ट अतिथि थे।

समारोह का प्रारंभ आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति के संयोजक गौरव अवस्थी द्वारा संस्था और आयोजन कि विस्त्रत रूपरेखा प्रस्तुति से हुआ। वहीं प्रेमपाल शर्मा ने कहा कि आज देश में अपनी भाषा, अपने साहित्य को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए सुगठित पुस्तकालय आन्दोलन की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि श्री गोयनका ने कहा कि प्रेमचंद के निर्माण में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का बहुत बड़ा योगदान था। प्रेमचंद ने उन पर दो संस्मरण भी लिखे हैं। प्रेमचंद ने पंचों में ईश्वर शीर्षक के साथ जो कहानी आचार्य द्विवेदी को प्रकाशित करने को भेजी थी, वह पंच परमेश्वर नाम से छपी। द्विवेदी जी ने नाम बदल कर कहानी में जो चमक पैदा की वो अद्भुत था।

भोपाल से पधारे प्रख्यात पत्रकार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने मौजूदा दौर में पत्रकारिता की दुर्दशा के लिए कुछ हद तक पाठकों को भी जिम्मेदार बताया। उनका कहना था कि बाज़ार हर दौर में समाज का हिस्सा रहा है, लेकिन बाज़ार को सहायक या सेवक रहना चाहिए न कि शासक। उन्होंने कहा कि पाठक को अपनी भूमिका निभाते हुए घटिया सामग्री को अस्वीकार करना शुरू करना होगा, तभी समाचार पत्रों की सामग्री, भाषा अदि का परिष्करण संभव है।

कार्यक्रम में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार से सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर को सम्मानित किया गया। उनके द्वारा स्थापित और संचालित सप्रे संग्रहालय विश्व का अपने तरीके का अनूठा प्रयोग है। वहीं मामा बालेश्वर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित हापुड़ के समाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर लम्बे समय से किसानों और जमीनी मुद्दों पर संघर्षरत हैं। अनुपम मिश्र स्मृति पर्यावरण पुरस्कार पाने वाले दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी बीते तीन दशकों से जल, विशेष तौर पर पारंपरिक तालाबों के लिए काम कर रहे हैं और उनके प्रयासों से उत्तर प्रदेश में तालाब विकास प्राधिकरण का गठन होने जा रहा है। अरविंद घोष स्मृति पुरस्कार से सम्मानित दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता संजय सिंह करीब ढाई दशकों से सामजिक सरोकारों के साथ परिवहन क्षेत्र पर बेहतरीन काम लिए जाने जाते हैं। आज पटरियों पर दौड़ रही “गरीब रथ” ट्रेन के चलने में भी उऩका योगदान रहा है। वहीं सामाजिक सरोकारो के साथ तेज़ाब पीड़ित लड़कियों के लिए सतत लेखन करने वाली सुश्री प्रतिभा ज्योति को कंचना स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं हिंदी और अंग्रेजी दोनों पत्रकारिता में अपने सकारात्मक रुख और निष्पक्ष नज़रिए के लिए विवेक शुक्ल को देवेन्द्र उपाध्याय स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। रमई काका सम्मान अवधी के प्रख्यात कवि आचार्य सूर्यप्रकाश शर्मा “निशिहर” को दिया गया।

अध्यक्षीय आसंदी से श्री दिनेश कुमार शुक्ल ने कहा कि आचार्य जी केवल हिंदी ही नहीं , भारतीय साहित्य के मार्गदर्शक थे और उस दौर के के कई लेखकों को उनका मार्गदर्शन मिला। भावी योजना पर प्रकाश डालने के साथ समारोह का संचालन राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन दिल्ली के अध्यक्ष अरविन्द कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञान वाजा के महासचिव शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी ने किया।

समारोह में वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार, सदानंद पांडेय, गोपाल गोयल, टिल्लन रिछारिया, अरुण तिवारी, राकेश पांडेय, अरविंद विद्रोही, फजल इमाम मलिक, नलिन चौहान, आशुतोष कुमार सिंह, एसएस डोगरा,चित्रा फुलोरिया, सविता आनंद, अलका सिंह, देवेंद्र सिंह राजपूत, जाने माने किसान नेता नरेश सिरोही, वेक्टस समूह की निदेशक सारिका बाहेती, कृषि वैज्ञानिक प्रो.एन.के. सिंह और विभिन्न क्षेत्रों के जाने माने लोग मौजूद थे। समारोह में रायबरेली से भी विभिन्न क्षेत्रों के लोग पहुंचे थे।

असित कुणाल का ज़ी हिन्दुस्तान पर नया शो CMs’ Corner

Ahseet Kunal, Political Editor, Zee Hindustan
Ahseet Kunal, Political Editor, Zee Hindustan (Photo - Zee Hidustan)

ज़ी हिन्दुस्तान पर असित कुणाल का शो CMs’ Corner

ज़ी ग्रुप के नए चैनल ज़ी हिन्दुस्तान पर एक नया शो CM’s Corner के नाम से शुरू हुआ है जिसे चैनल के पॉलिटिकल एडिटर असित कुणाल पेश कर रहे हैं. कार्यक्रम के नाम से ही जैसा कि स्पष्ट है कि इसमें राज्य की ख़बरें ज्यादा होती है और ख़बरों के दायरे में मुख्यमंत्री होते हैं. सीएम के कामकाज की इसमें समीक्षा भी की जाती है. इस मामले में यह थोड़ा हटकर कार्यक्रम है. इसका प्रसारण रात 11 बजे और सुबह 8 बजे दुबारा प्रसारण होता है. देखिये –

ज़ी ग्रुप का नया चैनल ज़ी हिन्दुस्तान

zee hindustan
Photo Credit - Zee Hindustan

ज़ी ग्रुप ने एक नया राष्ट्रीय चैनल ‘ज़ी हिन्दुस्तान’ के नाम से 21 मई को लॉन्च किया. ज़ी का यह नया चैनल ग्रामीण भारत और राज्यों की ख़बरों पर केंद्रित है. वैसे इसी चैनल का नाम पहले इंडिया 24X7 था. लेकिन रीब्रन्डिंग के बाद इसका नाम ज़ी हिन्दुस्तान कर दिया गया. वैसे इंडिया 24X7 के पहले इसका नाम जी संगम हुआ करता था और यह मुख्य तौर पर उत्तरप्रदेश पर केंद्रित था. लेकिन रीब्रन्डिंग के बाद यह जी ग्रुप का दूसरा राष्ट्रीय चैनल हो गया है. इस चैनल का काम-काज जगदीश चंद्रा के अधीन है. गौरतलब है कि वे पहले ईटीवी में थे. कुछ महीने पहले ही वे असित कुणाल और अपने कई ईटीवी के विश्वासपात्र साथियों के साथ ज़ी ग्रुप में आए थे और उन्हें ज़ी के क्षेत्रीय चैनलों का सीईओ बनाया गया था. देखिए ज़ी हिन्दुस्तान के लॉन्चिंग का वीडियो –

सुधीर चौधरी ने भाजपा कार्यकर्ता की तरह योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू लिया

yogi aditynath interview

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ का आज जी न्यूज़ पर टीवी इंटरव्यू प्रसारित हुआ. इस इंटरव्यू को जी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी ने लिया. लेकिन इस इंटरव्यू में सवाल-जवाब का जो सिलसिला था वो बेहद निराशाजनक था. मतलब चुभने वाले सवालों की बड़ी कमी थी. दोस्ताना इंटरव्यू चल रहे थे. चुभने वाले काउन्टर सवालों का अभाव था. इसीलिए आईआईएमसी में सेमीनार के पहले यज्ञ कर विवादों में आए पत्रकार आशीष कुमार अंशु अपने एफबी वॉल पर लिखते हैं –

सुधीर चौधरी का योगी आदित्यनाथ के साथ साक्षात्कार देख रहा हूँ। ऐसा नहीं लग रहा कि कोई पत्रकार बात कर रहा है। सुधीर बीजेपी कार्यकर्त्ता की तरह बात कर रहे है।

बहरहाल देखिए इंटरव्यू और स्वयं ही निर्णय लीजिये.

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