आजतक की नंबर एक पर वापसी
आजतक को नंबर एक की कुर्सी से बहुत समय तक दूर रखना मुश्किल है. ये बात एक बार फिर से साबित हो गयी. आपको याद होगा पिछले हफ्ते (41वें हफ्ते में) इंडिया टीवी ने आजतक को पछाड़कर नंबर एक की कुर्सी पर अपना कब्ज़ा जमाया था. लेकिन एक ही हफ्ते वह पहले पायदान पर रह पाया. आजतक की फिर से नंबर एक पर वापसी हो गयी है और दोनों चैनलों के बीच ठीक-ठाक फासला भी है.
42वें हफ्ते में सभी चैनलों की स्थिति:
आजतक 16.6
इंडिया टीवी 15.6
एबीपी न्यूज़ 15.4
ज़ी न्यूज़ 10.5
इंडिया न्यूज़ 9.9
न्यूज़ नेशन 7.9
न्यूज़24 7.5
IBN7 6.5
तेज 5.1
एनडीटीवी इंडिया 4.9
जाओ फराह खान, तुम्हें माफ़ किया ‘तीस मार खां’ बनाने के लिए
दीपक दुआ,फिल्म समीक्षक
जाओ फराह खान, तुम्हें माफ़ किया ‘तीस मार खां’ बनाने के लिए… ‘हैप्पी न्यू इयर’ बना कर तुम ने उस पाप से मुक्ति पा ही ली… तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपने यहां मसाला फिल्मों की परंपरा में मनमोहन देसाई की असल वारिस तुम ही हो… तुम्हारी फ़िल्में (तीस मार खां के अलावा) मनोरंजन देती हैं, सुकून देती हैं, दिमाग को भले ही खटकें, दिलों को अच्छी लगती हैं… और बड़ी बात यह कि जेबों पर डाके नहीं डालतीं, पैसे वसूल कराती हैं…
तो दोस्तों, खालिस बॉलीवुड स्टाइल का एंटरटेनमेंट चाहिए तो ‘हैप्पी न्यू इयर’ को दोस्तों के साथ, परिवार के साथ एन्जॉय कीजिए… रिव्यू सुनना चाहें तो एफ. एम. रेनबो पर शनिवार 25 अक्टूबर को सुबह 11.30 से 11.55 के बीच मिलते हैं…
स्रोत@एफबी
400 की ट्रेन टिकट 2000 रुपये में बेचे और फिर पैसेंजर टॉयलेट में सफर करे
निखिल आनंद गिरी
(रेलवे हाय-हाय-2!!)
सिस्टम सिर्फ नॉर्मल दिनों में आराम से चलने वाले नियम-कानून को नहीं कहते. अच्छा सिस्टम एमरजेंसी के वक्त किए गये इंतज़ामों में दिखना चाहिए. जो सिस्टम प्रीमियम तत्काल के नाम पर 400 की टिकट 2000 रुपये में बेचे और फिर पैसेंजर या तो चढ़ ही नहीं पाए या टॉयलेट में ही पेशाब-पखाना रोककर 24 घंटे का सफर करवाये, उस सिस्टम पर पेशाब करने का मन करता है..ऐसा नहीं कि छठ पहली बार आया है या दिल्ली-मुंबई के स्टेशनों पर ये हाल पहली बार हुआ है, मगर हर साल हालत सिर्फ बदतर ही हुई है. जनरल डब्बों का हाल तो सदियों से ऐसा ही रहा है. उसमें भी औरतें, बच्चे, सीनियर सिटीज़न जाते ही हैं मगर कौन सी मीडिया या सरकार कुछ उखाड़ पाई है. दरअसल, जनरल से बात जब स्लीपर या एसी बोगी तक जाती है, हमारा ख़ून ज़्यादा अपनेपन से खौलता है. फर्क इतना है कि रेलवे का तब भी नहीं खौलता. क्या गलत है. बात करते हैं..
(फेसबुक ट्रैवल्स)
@एफबी