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ज़ी न्यूज़ के सुभाष चंद्रा की साहित्य अकादेमी में विद्वान बनकर एंट्री

सुभाष चंद्रा का शो
सुभाष चंद्रा का शो

ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार




राज्यसभा पहुंचे सुभाष चंद्रा
राज्यसभा पहुंचे सुभाष चंद्रा

साहित्य अकादेमी के भाजपाशरण हो जाने की बात तो तीन लेखकों की हत्या पर धारण की गई चुप्पी के वक़्त ही ज़ाहिर हो गई थी। लेकिन यह नया ग़ुल 14 सितम्बर को खिलाया जाएगा जब भाजपा समर्थित नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, बदनाम ज़ी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा, “चर्चित विद्वान” बनकर साहित्य अकादेमी जैसे संस्थान के मंच पर प्रकट होंगे और हास्यकवि अशोक चक्रधर के साथ मिलकर हिंदी भाषा की वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, समाधान सुझाएँगे!

और भी बड़ी शर्म देखिए – हिंदी दिवस के मौक़े पर साहित्य अकादेमी का यह कार्यक्रम सुभाष चंद्रा की ही “ज़ी” कम्पनी के सहयोग से आयोजित होगा।

तो इस राज में साहित्य-कला के इदारे भी कॉरपोरेट घरानों को समर्पित होने लगे? हिंदी दिवस का भारी-भरकम बजट साहित्य अकादेमी के खाते से कहाँ चला गया? @fb

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शहाबुद्दीन पर अजीत अंजुम का ट्विटर अटैक

अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी

शहाबुद्दीन की रिहाई पर अजीत अंजुम बोले कानून अंधा है

बिहार में आतंक का पर्याय बन चुके शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद सोशल मीडिया पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया आ रही है. ज्यादातर प्रतिक्रिया रिहाई के विरोध में ही है. उसकी रिहाई के तुरंत इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने कई ट्वीट किए. चुकी वे खुद् बिहार से हैं तो शहाबुद्दीन की रिहाई का मतलब बखूबी समझते हैं.पढ़िये उनके ट्वीट –

  • कानून कितना अँधा होता है,ये समझने के लिए गैंगस्टर शहाबुद्दीन की रिहाई ही काफी है .कत्ल करवाता गया,गवाह पलटते गए
  • गवाह गूंगा हो गया….कानून अँधा हो गया…सिस्टम बहरा हो गया और क़त्ल के इल्जामों से बरी होकर कातिल बाहर आ गया ..अब वो पाक साफ है,बेदाग है …जय बोलो शहाबुद्दीन की
  • ताकत और पैसा हो तो क़त्ल करके भी कैसे बचा जा सकता है ,शहाबुद्दीन ने दिखा दिया है .ठेंगे पर कानून, गूंगे हुए गवाह
  • जिस पर 63 मुकदमें हों,कत्ल के कई मामलों का मुख्य आरोपी हो,घोषित गैंगस्टर हो , वो भी छूट जाए तो क्या कहेंगे ?
  • कुछ मुस्लिम दोस्त शहाबुद्दीन की पैरोकारी सिर्फ इस बिनाह पर कर रहे हैं कि वो मुस्लिम है.अरे भाई,वो 63 मुकदमों में आरोपी रहा है .( 1/3)
  • शहाबुद्दीन गैंगस्टर है,बाहुबली है , कईयों के कत्ल का सीधा इल्जाम है उसपर …गवाहों तक के क़त्ल हुए. जेल से सुपारी दी गई. ( 2/3)
  • अंधे कानून,गूंगे गवाह और बहरे सिस्टम का फायदा उठाकर वो छूट गया …उसे अपनी कौम का रहनुमा मत बनाइए.गैंगस्टर है, गैंगस्टर रहने दीजिए ( 3/3)

इंडिया न्यूज़ से एंकर चित्रा त्रिपाठी का इस्तीफा

chitra tripathi news anchor
chitra tripathi news anchor

चैनल का टीआरपी मार्केट में भाव हो तो एंकर का भी भाव बढ़ जाता है. आजकल इंडिया न्यूज़ के एंकरों की भी न्यूज़ इंडस्ट्री में काफी डिमांड है. गौरतलब है कि इंडिया न्यूज़ इन दिनों तीसरे नंबर पर है और यही वजह है कि यहाँ काम करने वाले एंकरों की कद्र भी बढ़ गयी है. एक के बाद एक कई एंकर लगातार दूसरे चैनलों का दामन थाम रहे हैं. पहले अनुराग मुस्कान गए और अब चित्रा त्रिपाठी ने चैनल छोड़ दिया है. खबर है कि वे एबीपी न्यूज़ ज्वाइन करेंगी.

चित्रा इंडिया न्यूज़ के लॉन्चिंग के समय से चैनल के साथ जुड़ी हुई थी और बेटियां जैसे कार्यक्रमों से उन्हें काफी सुर्खियाँ मिली. चित्रा त्रिपाठी अपने एफबी वॉल पर लिखती हैं –

“19 दिसंबर 2012। रात के साढ़े दस बजे थे। फोन की घंटी बजी। सुबह ही आप इंडिया न्यूज ज्वाइन कर लीजिये ऑफर लेटर बाद मे मिल जायेगा। कल गुजरात- हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं इसलिये आपको सुबह सात बजे से एंकरिंग करनी होगी। आप अपने साथ ब्लेजर भी लेकर आईयेगा। मेरी हामी भरने के बाद फोन कट । इंडिया न्यूज एचआर से फोन था। सहारा छोड़ने के तकरीबन तीन महीने के बाद । दिल में धक- धक की मैंने तो कुछ भी पढ़ा नहीं है इलेक्शन को लेकर , कैसे करुंगी एंकरिंग? फिर सोचा अब कोई उपाय नहीं इसलिये दो घंटे पढ़ लेती हूं फिर अपने कपड़े आयरन किये और सुबह चार बजे ही अतुल से कहा कि मुझे इंडियान्यूज के ओखला ऑफिस छोड़ दो। भोर में ही इंडिया न्यूज के ओखला ऑफिस पहुंच गई और सुबह सात बजे से मेरी एंकरिग स्टार्ट। इंडिया न्यूज रिलांच होना था। एक महीने के बाद ही नई टीम का इंडिया न्यूज में आगमन हुआ। राणा यशवंत जी और दीपक चौरसिया जी की टीम । मेरे लिये ये सौभाग्य की बात रही कि मुझे इंडस्ट्री के बेस्ट लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। #बेटियां जैसे शो ने मुझे एक अलग पहचान दी और तकरीबन पैंसठ बेटियों पर मैंने एपिसोड बनाये। #रामनाथगोयनका से लेकर छोटे- बड़े तकरीबन तेईस अवॉर्ड मुझे इस चैनल में रहते हुये मिले। इन सब से इतर एक बेहतर माहौल मिला। जिसने मुझे और ज्यादा मेहनत और लगन से काम करने की प्रेरणा दी। इंडिया न्यूज का सफर शुक्रवार रात नौ बजे की बुलेटिन के साथ समाप्त हो गया लेकिन यहां से जो भरोसा मैं लेकर जा रही हूं वो जीवन भर मेरा मार्गदर्शन करेगा…इंडिया न्यूज ने बेहद कम वक्त में मीडिया इंडस्ट्री में अपनी बड़ी पहचान बनाई है, काम करने का एक बेहतर माहौल है यहां। लोग बहुत अच्छे हैं। भावनात्मक रिश्ता रहा है मेरा। लेकिन बदलाव प्रकृति का नियम है और इसी बदलाव के तहत इस चैनल को तकरीबन चार सालों के बाद मेरा अलविदा………दूसरे चैनल में भी मैंनेजिंग डाइरेक्टर होंगे,लेकिन #कार्तिकेयशर्मासर उन सबमें आप #बेस्ट हैं। इंडिया न्यूज से मुझे जोड़ने और मुझ पर भरोसा करने के लिये आपका शुक्रिया “

जेल से निकलते ही शहाबुद्दीन का मीडिया पर हल्ला बोल

मीडिया पर आजकल हर कोई तंज कसता है. बड़े नेता से लेकर छुटभैये नेता तक, मंत्री से लेकर संतरी तक. और यहाँ तक कि वो भी जिनके हाथ खून से सने हैं. लालू यादव की छत्रछाया में आतंक का साम्राज्य चलाने वाले शहाबुद्दीन ने भी जेल से निकलते ही कुछ ऐसा ही किया. आजतक संवाददता ने जब शहाबुद्दीन से पूछा कि लोग आपसे क्यों डरते हैं? इसपर शहाबुद्दीन ने सारा ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया. देखिए पूरा वीडियो-



संजीदा एंकर तक कहते मिले कि जो भी हो कपिल ने रिश्वत दी क्यों?

kapil sharma india tv




ओम थानवी

शाम पता नहीं कितने चैनल देखे, देखना चाहता था सूरत में कल जो हंगामा हुआ उस पर हाल के दलित और पाटीदार जागरण के संदर्भ से गुजरात की करवट लेती राजनीति पर कैसी चर्चा होती है। कम से कम नौ से दस बजे तक तो कहीं सुनने को नहीं मिली। अफ़सोस कि ज़्यादातर चैनल कपिल शर्मा के पीछे पड़े थे। गोया उनका प्रधानमंत्री को ट्वीट करना ही बड़ा अपराध हो गया।

बहस कपिल और बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) के भ्रष्टाचार पर थी, और चैनलों पर बचाव के लिए भाजपा प्रवक्ता तैनात थे? एकाधिक चैनलों पर तो एक संजू वर्मा ही थीं, जिनकी तीखी आवाज़, प्रवक्ताओं को मिली ट्रेनिंग के अनुसार, दूसरों के वक़्त में सेंध मारकर विषय को भटकाने में खप जाती रही। एक चैनल पर सबसे अहम संभागी महानगरपालिका के पूर्व प्रमुख खैरनार थे। उन्हें ठीक से बोलने नहीं दिया गया। फिर भी उन्होंने साफ़ कहा – बीएमसी भ्रष्टाचार का गढ़ है, नासूर है।

संजीदा एंकर तक कहते मिले कि जो भी हो कपिल ने रिश्वत दी क्यों? बेशक ग़लत किया बंधु। पर किसी ने अंततः उच्च स्तर पर बता दिया तो पोल तो खुली। रिश्वत अंतहीन देखकर उन्होंने प्रधानमंत्री को चेताने का साहस किया, इससे क्या उन्हें और महँगा पड़ जाना चाहिए? यह तो न न्याय हुआ, न सुशासन।

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