Home Blog Page 261

मीडिया मामलों में भारत को इजरायल बनाने की सरकारी कोशिश

मोदी 'zee' के 'सुदर्शन' व्यक्तित्व के प्रभाव से 'आजतक' पूरा 'India' निकल ही नहीं पा रहा
मोदी 'zee' के 'सुदर्शन' व्यक्तित्व के प्रभाव से 'आजतक' पूरा 'India' निकल ही नहीं पा रहा

इस देश को इज़रायल बनाने की कोशिश हो रही है। शायद वो ही अकेला देश है जहां मीडिया को आर्मी से जुड़ी खबरें लोगों को बताने से पहले आर्मी को ही दिखानी पड़ती है।

हमारे रक्षा मंत्रालय ने मीडिया को कहा है कि आर्मी से जुड़ी खबर दिखाने से पहले खबर को आर्मी से ही वैरीफाई कराया जाए।

दरअसल इंडियन एक्सप्रेस ने डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रनबीर सिंह के उस दावे को खारिज करते हुए खबर छापी कि उरी के हमलावरों की बंदूकों और सामान पर पाकिस्तानी मार्किंग मिली हैं।

ऱक्षा मंत्रालय का दावा है कि डीजीएमओ ने कभी ऐसा कुछ कहा ही नहीं और भविष्य में आर्मी से जुड़ी खबरें चलाने से पहले आर्मी को दिखाई जाएं।

कमाल ये है कि जिस दिन डीजीएमओ हमलावरों के इस्तेमाल किए गए सामान पर पाकिस्तानी मार्किंग की बात दर्जनों कैमरों पर कह रहे थे.. तब वो देशभर के सामने लाइव थे।

मैंने भी उन्हें ये बात कहते साफ सुना था.. लेकिन सरकार उनके झूठ के खुलने की खीझ मीडिया पर उतार रही है।

एक तो पहले ही आधा मीडिया चुटकुलों को खबर बना कर चला रहा है, और अगर कहीं वो ठीक काम कर बैठे तो सरकार बौखलाने लगती है।

खैर, मीडिया को नसीहत देने पर रक्षा मंत्रालय की बहुत जगह थू-थू हुई है।

(नीतिन ठाकुर के एफबी वॉल से)

एक खत ज़ी न्यूज़ के मुखिया श्री सुभाषचंद्र के नाम

सुभाष चंद्रा का शो
सुभाष चंद्रा का शो




सुजीत ठमके

सेवा में,
आदरणीय श्री सुभाषचंद्र जी
चेअरमन एस्सेल समूह
ज़ी नेटवर्क का एक दर्शक सुजीत ठमके का प्यार भरा नमस्कार और जय हिन्द।

सुभाष चंद्रा का शो
सुभाष चंद्रा का शो
काफी दिनों से सोच रहा था कि मैं ज़ी नेटवर्क का दर्शक होने के नाते आप को एक खत लिखूं और मेरे मन में आप के नेटवर्क के बारे जो संदेह के बीज बोये गए है उसे खुलकर शेयर करूँ। लेकिन लेख लिखूं या नहीं,इसी उलझनों में उलझता रहा। आप ने कड़ी मेहनत, लगन, संघर्ष, खून पसीना एक करके दुनिया का सबसे बड़ा टेलीविजन नेटवर्क खड़ा किया। आपने जो देश दुनिया के दर्शकों को दिया वो अद्भुत है। अकल्पनीय है। यह महज इत्तफाक नहीं । एक समय था जब जी न्यूज़ देश का एकमात्र न्यूज़ चैनल जो देश दुनिया के हिंदी दर्शकों की पहली पसंद थी। पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण, और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक । सभी, मजहब, जाति , पंथ, प्रदेश के लोग खुलकर कहते थे कि न्यूज़ चैनल हो तो ज़ी न्यूज़ जैसा। इसके लिए आपकी तारीफ़ के लिए मेरे पास अल्फाज नहीं है।

आप टैलेंट को परखते है। लोगो की अहमियत जानते है। इसीलिए आप ने लाखो लोगो को अर्श से फर्श तक पहुंचा दिया। क्या गाँव क्या शहर ? क्या जाति क्या धर्म ? क्या पंथ क्या राज्य ? वसुंधवम कुटुम्बकम यह ज़ी समुदाय की टैग लाइन सटीक है। ज़ी के देश में १७ करोड़ दर्शक है। इन्ही दर्शकों में से मैं भी एक हूँ.

लेकिन अफ़सोस की बात है कि पिछले दो वर्षो से ज़ी समूह पर पक्षपाती ख़बरें चलाने के संगीन आरोप लग रहे है। आप के द्वारा कुछ महीने पहले प्राइम टाइम में दर्शको से संवाद भी किया था। किन्तु मेरे जैसा दर्शक उस सफाई से ज्यादा संतुष्ट नहीं था।

ज़ी न्यूज़ की साख दर्शकों की नजर में लगातार गिर रही है। दर्शक खुलकर कह रहे है। जी न्यूज़ कुछ दिनों बाद सुदर्शन चैनल ( एक पार्टी का चैनल ) की जगह ना ले। मैं सम्पादक, इनपुट आउटपुट हेड, असाइनमेंट हेड और टीम की आलोचना नहीं करूंगा। वो भी एक कर्मी है। एक दर्शक होने के नाते उम्मीद रखता हूँ कि निकट भविष्य में पारदर्शक ख़बरें हमें देखने को मिले।

धन्यवाद

साधुवाद जय हिन्द
सुजीत ठमके




जातीय जहर घोल रहा है एबीपी माझा

सुजीत ठमके




abp-majhaमहाराष्ट्र में मराठा समुदाय मराठा क्रांति मोर्चा के बैनर तले रास्तो पर उतर आया है। चिंगारी भड़कने की वजह है कोपरडी में घटी घटना। पश्चिम महाराष्ट्र से सटा नगर जिले के कोपरडी गाँव में एक सवर्ण जाति के नाबालिक लड़की से कुछ बदमाशो ने सामूहिक बलात्कार कर जघन्य ह्त्या कर दी जिसका सभी राजनीतिक दलों के नेताओ व संगठनों ने निंदा की। सभी ने दोषियों को जल्द से जल्द फॉसी की सजा देने की मांग की।

बावजूद पीड़िता को न्याय देने की आड़ में कुछ मराठा नेता खुलकर गन्दी राजनीति करने में लगे है। हर जिले में लाखो की तादाद में मराठा समुदाय मोर्चे निकाल रहा है लेकिन मोर्चा में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग पीछे छूट रही है। इस आड़ में ओबीसी कोटे में आरक्षण, अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार प्रतिबंध कानून ख़त्म करने की मांग कर रहे है। यह दोनों भी मसले बेहद संवेदनशील और भावनात्मक है। राज्य के युवा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इन सारे मसलो को सुचारू ढंग से निपटा रहे। ताकि दलित / मराठा / ओबीसी समुदाय के बीच भाईचारा, सौदर्य बना रहे।

ओबीसी कोटे से आरक्षण, अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार प्रतिबन्ध कानून ख़त्म करना यह दोनों भी संवेदनशील विषय है जिसके कारणवश महाराष्ट्र जातीय दंगो की चपेट में झुलस सकता है। इस मसले पर लगभग सभी राष्ट्रीय न्यूज़ चैनलों ने ख़बरों में संतुलन दिखाया है। लेकिन एबीपी न्यूज़ नेटवर्क का क्षेत्रीय मराठी चैनल एबीपी माझा उकसाने वाले कार्यक्रमो को बढ़ावा दे रहा है। संतुलित कार्यक्रम और रिपोर्टिंग करने की बजाय एकतरफा माहौल तैयार कर रहा है। एबीपी नेटवर्क देश का जिम्मेदार चैनल है। ऐसे मे एबीपी माझा के कई कार्यक्रम के जरिये मराठा बनाम ओबीसी, दलित आदिवासी के बीच तल्खी भड़क सकती है। एबीपी माझा को ऐसे कार्यक्रमों से परहेज कर शांति और भाईचारे बढ़ाने वाली ख़बरों को दिखाना चाहिए. एक बात और टीआरपी सिर्फ नकरात्मक ख़बरों से ही नहीं अच्छी ख़बरों से भी हासिल की जा सकती है. उम्मीद है संपादक जी गौर फरमाएंगे.




टेलीविजन रिपोर्टिंग को जिंदा रखने की रवीश की कोशिश

रवीश कुमार टेलीविजन रिपोर्टिंग को ज़िंदा रखने का भरसक प्रयास कर रहे हैं.. स्टूडियो से निकलकर ज़मीन पर जा रहे हैं. लोगों से बात कर रहे हैं ना कि विचार थोप रहे हैं.

लोग क्या सोचते हैं ये जरूरी है ना कि मीडिया क्या सोचती है वो.हैशटेग पत्रकारिता के दौर में वो पब्लिक के बीच में जाकर सहजता से अपनी बात निष्पक्षता से रखते हैं..

अभी नौ बजे हैं आप प्राइम टाइम और चैनलों पर भी देखिए. खुद सोचिए ये उन्माद क्यों फैलाया जा रहा है..किन चीजों को दरकिनार क्या जा रहा है…किन लोगों को इससे फायदा होगा..

हेमराज चौहान

अजीत अंजुम भी चाहते हैं कि भारत पाक को मुंहतोड़ जवाब दे

अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी

अजीत अंजुम,मैनेजिंग एडिटर,इंडिया टीवी

अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी
अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी

मेरी भी दिली तमन्ना है कि भारत पाक को मुंहतोड़ जवाब दे…ऐसा जवाब दे कि वो कभी हमारे देश की तरफ नज़र उठाकर देखने की हिम्मत न कर सके ..पाक की कमर इतनी तोड़ दें कि हमारे कश्मीर में आतंकी भेजने और अपनी सरजमीन पर उन्हें पालने की हिम्मत न करे..पाक में पल रहे हाफ़िज़ / सलाउद्दीन /अज़हर /लखवी समेत उन तमाम आतंकियों को हमारे फौजी ऐसी मौत मारें कि कोई भी आतंकी अपना हश्र सोचकर सिहर उठे..चाहे 26/11 हो या पठानकोट हमला , चाहे दिल्ली और मुम्बई के बम धमाकों में बेकसूरों की मौत हो या फिर सेना पर हमला ..चाहे श्रीनगर में सीआरपीएफ के कमांडेंट की शहादत हो या उड़ी के जवानों की शहादत.. गुस्सा और आक्रोश मेरे भीतर भी उतना ही होता है , जितना आपके भीतर ..20 सालों से टीवी में काम करते हुए हर ऐसे मौके पर बीसों घंटे के बुलेटिन और सैकड़ों कार्यक्रम हमने बनाए हैं ..इतने सालों में देश के दुश्मनों की करतूतों और शहीदों को सलाम करने वाले पचासों घंटे के बुलेटिन की स्क्रिप्ट मैंने खुद भी लिखी है और अपने सहयोगियों को भी ये जिम्मेदारी देकर अपनी ड्यूटी निभाई है .. आपने सोशल मीडिया पर ललकारने वाली चंद लाइनें लिख दी , इसका मतलब ये नहीं कि आप देशभक्त और मैं देशद्रोही हो गया ..किसी शहीद के परिवार के आंसू देखकर मेरे भी आंसू निकले हैं ..अभी गया के शहीद की बेटियों की तस्वीरें देखकर मैं भी डिस्टर्ब हुआ ..दिन भर हम न्यूज़रूम में यही बात करते रहे कि इन आतंकियों और इनके आकाओं को गोलियों से छलनी कर देना चाहिए .. सीआरपीएफ के शहीद कमांडेंट के परिवार की तस्वीरें देखकर मैं भावुक भी हुआ और आक्रोश से तपा भी ..सरहद की हिफाजत के लिए शहीद हुए फौजियों के रोते- बिलखते परिजनों को देख मेरा भी खून खौलता है..मैं भी चाहता हूँ कि वो दिन आए ,जब देश के दुश्मनों को चुन चुनकर मार दिया जाए लेकिन ये मुमकिन कैसे होगा ? क्या फेसबुक पर ललकारने से ? क्या ट्वीटर पर खुद को सबसे बड़ा देशभक्त घोषित करते हुए युद्ध की वकालत नहीं करने वालों को गालियां देने से ? सोशल मीडिया पर मार दो -काट दो चिल्लाने से ? नहीं .युद्ध के आप पक्षधर हो सकते हैं , मैं भी हो जाऊं जरुरी नहीं ,क्योकि एक बार जब ये शुरू होगा तो कहाँ थमेगा, कोई नहीं जानता ..दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं ..हमारे यहाँ तो सोच समझकर फैसला लेने वाला लोकतांत्रिक सिस्टम भी हैं ,वहां तो सिरफिरों की जमात है ..दो दो शरीफ हैं , जिनका शराफत से कोई वास्ता नही…कई आतंकी ग्रुप हैं , जो भारत के दुश्मन हैं .

तो सवाल उठता है कि ईलाज क्या है ? पाक की नापाक हरकतों को रोकने का ऊपाय क्या है ? क्या अपने जवानों को यूँ ही शहीद होने दें ?चुपचाप देखते रहें ?

यक़ीनन नहीं ..लेकिन इसके लिए ज़रूरत है दूरगामी रणनीति की … सरकार के फौलादी इरादों की… पाकिस्तान को कूटनीतिक स्तर पर घेरने की ….अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों को मजबूत करने और ऐसी प्लानिंग की कि पाक और पाकी आतंकियों के मंसूबे नाकाम हों…कश्मीर पर भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन फिर कभी.

ये सब मैं अपनी सफाई में लिख रहा हूँ क्योंकि मैं भी अपने देश से उतनी ही मुहब्बत करता हूँ ,जितना आप करते हैं ..हाँ, मैं युद्ध का पक्षधर नहीं ,क्योकि ये देशहित में नहीं ….और मुझे लगता है प्रधानमंत्री मोदी समेत जो लोग सरकार में हैं ,वो भी ऐसा ही सोचते होंगे …पाक का ऐसा इलाज हो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे …

सोशल मीडिया पर मीडिया खबर

665,311FansLike
4,058FollowersFollow
3,000SubscribersSubscribe

नयी ख़बरें