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नरेंद्र मोदी ज्यादा टेलीविजन देख रहे हैं – दिबांग

मीडिया पर मोदी का निशाना

मोदी मीडिया से नाराज हैं. गुजरात में जीत के बाद अपने पहले संबोधन में ही मीडिया पर मोदी ने कई बार निशाना साधा. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि टीवी पंडितों को जीत पच नहीं रही है.

टेलीविजन चैनलों पर मोदी की गुजरात में तीसरी जीत को कम कर आंकने को लेकर मोदी नाराज दिखे. इसी वजह से अपने भाषण के दौरान मीडिया को कई बार आड़े हाथ लिया.

एबीपी न्यूज़ पर वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने सुमेरा खान के पूछने पर कहा कि लगता है कि मोदी ज्यादा टेलीविजन देख रहे हैं और देख ही नहीं रहे बल्कि चुनाव विश्लेषण से उनके दिल को चोट भी पहुँच रही है.

आज तक का अंजना कश्यप छेड़खानी मामला क्या नाट्य रूपांतरण था?

anjana kashyap आजतक की मुहिम पूछता है आजतक. दस महिला पत्रकारों का जत्था. दिल्ली की सड़कों पर यहाँ – वहां और इस मुहिम के दौरान अंजना कश्यप के साथ तीन मनचलों की चुहलबाजी. आजतक ने पूरी घटना को बतौर उदाहरण पेश करते हुए इसे चैनल पर लगातार चलाया.

सहयोगी चैनल हेडलाइन्स टुडे ने भी आजतक की इस खबर के साथ खूब खेला और अपनी खबर और अपनी संवाददाता बनाकर जनता जनार्दन के सामने पेश किया. ख़ैर चलिए इसमें कोई बात नहीं. लेकिन हेडलाइन्स टुडे और आजतक के वीडियो फूटेज देखने के बाद संदेह की स्थिति पैदा हो गयी है कि अंजना कश्यप छेड़खानी मामला कहीं कोई नाट्य रूपांतरण तो नहीं था?

आप सोंच रहे होंगे कि मीडिया खबर पर ये क्या बकवास लिखा जा रहा है. लेकिन हम कोई हवाई बात नहीं कर रहे है. वीडियो फूटेज देखकर आप भी एकबारगी ऐसा ही सोंचेगे.

अंजना कश्यप असमंजस में क्यों डाल रही, अब बता भी दीजिए !

anjana om kashyap

अंजना कश्यप आजतक की प्रमुख एंकर हैं. अबतक हम यही जानते थे और शायद आप भी ऐसा ही समझते होंगे. लेकिन पिछले दो दिन से भारी असमंजस की स्थिति है.

असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई जब दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म मामले में आजतक ने दस महिला रिपोर्टरों की टीम को दिल्ली की सड़कों पर उतारा. उद्देश्य दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करना और महिलाओं की सुरक्षा के हिसाब से आंकलन करना.

ऐसी ही एक इलाके की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए अंजना कश्यप उस समय हतप्रभ रह गयी जब कुछ मनचलों ने चुहलबाजी की कोशिश की. लेकिन कैमरा देख तुरंत रफूचक्कर हो गए.

दरअसल यह किसी तरह की पत्रकारिता तो नहीं थी लेकिन चुकी ऐसे मौके पर ये घटना घटी और उसका विजुअल भी रिकॉर्ड हो गया तो आजतक ने इसे खूब दिखाया और भुनाया.

मामला संसद तक में उठ गया और एक बारगी तो दुष्कर्म मामले में पीड़ित लड़की से भी ज्यादा बड़ी खबर बन गयी. अंजना कश्यप की प्रसिद्धि में भी इजाफा हुआ.

आजतक जो पहले से ही इस खबर में आगे था, इसके बाद और ज्यादा आगे हो गया. लेकिन एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी.

असमंजस की वजह
अंजना को लेकर दो चैनलों की दावेदारी को लेकर है. आजतक की एंकर – रिपोर्टर हैं . ये तो हम जानते – मानते हैं. लेकिन उसी ग्रुप (टीवी टुडे ग्रुप) के दूसरे चैनल हेडलाइन्स की रिपोर्टर अंजना कब से बन गयी?

दरअसल अंग्रेजी चैनल हेडलाइन्स टुडे भी अपने चैनल पर वही फूटेज दिखाकर यह दावा करता नज़र आया कि हेडलाइन्स टुडे की रिपोर्टर के साथ छेड़खानी. अब बताइए कि हेडलाइन्स टुडे पर बतौर संवाददाता आपने अंजना कश्यप को कितनी बार अंग्रेजी में गिटिर – पिटिर करते देखा है?

माना कि आजतक और हेडलाइन्स टुडे एक ही ग्रुप के चैनल हैं और एक ही जगह और एक ही इन्फ्रास्ट्रकचर से चलते हैं. लेकिन दोनों के दर्शक अलग – अलग हैं. दोनों का स्क्रीन है. दोनों के चैनल हेड अलग है. ठीक उसी तरह दोनों के एंकर – रिपोर्टर भी अलग हैं. ऐसे में अंजना कश्यप के नाम पर हेडलाइन्स टुडे का अपने दर्शकों से ये छलावा करने की क्या जरूरत ?

हेडलाइन्स टुडे इस खबर को ‘सहयोगी चैनल आजतक की रिपोर्टर अंजना कश्यप के साथ रिपोर्टिंग के दौरान छेड़खानी’ कहकर भी चला सकते थे. इससे उनकी स्टोरी का प्रभाव कम नहीं होता और न दर्शक असमंजस में पड़ते कि अंजना हेडलाइन्स टुडे की संवाददाता हैं या फिर आजतक की एंकर – रिपोर्टर?

बहरहाल बात बड़ी नहीं, लेकिन इतनी छोटी भी नहीं. फर्ज कीजिये कि हेडलाइन्स टुडे की किसी रिपोर्टर के साथ ये घटना घटी होती तो क्या आजतक इसी अंदाज में खबर चला सकता था कि आजतक की रिपोर्टर के साथ छेड़खानी. मतलब कि हेडलाइन्स टुडे की रिपोर्टर को आजतक अपनी रिपोर्टर बनाकर आजतक पर पेश कर सकता था?

(एक दर्शक की नज़र से )

मीडिया के लिए दिल्ली की रेप – रेप और बाकी सिफर

women molestation

ऐसी कवरेज दूसरे मामलातों में भी होती तो ये नौबत नहीं आती

बीते दो दिनों से जिस तरह से दिल्ली में हुए गैंग रेप मामले को मीडिया द्वारा लगातार तमाम चैनलों में कवरेज दिया जा रहा है काश ऐसी कवरेज मीडिया में देश के बाकी हिस्सों में हो रहे गैंग रेप के मामलों को भी मिलता तो शायद आज हिन्दुस्तान में बलात्कारियों को फांसी की सज़ा दिलाने में सरकार को सोचना नहीं पड़ता. क्योकि सरकार के सामने इतने साक्ष्य होते कि वो समाज का सामना नहीं कर सकती.

चुकी ये मामला देश की राजधानी दिल्ली की है तो मीडिया में लगातार ये खबर आ रही है. ऐसी ही खबर बिहार या उड़ीसा से होती तो यही मीडिया वाले झाँकने भी नहीं आते, ऐसे छोटे राज्यों में आये दिन ऐसी घटना होती है पर मीडिया में खबर नदारद होती है और बलात्कारियों की हिम्मत दुगुनी होती रहती है.

सरकारें, प्रशासन सोती रहती है और मीडिया टीआरपी की तलाश में अपनी जिम्मेवारी से भागती रहती है. ऐसा नहीं है कि ऐसे जगहो के मीडियाकर्मी इन ख़बरों को कवर नहीं करते पर अफ़सोस लो-प्रोफाइल के कारण इन ख़बरों को दरकिनार कर दिया जाता है, आज अगर बलात्कारियों का मनोबल बढाने में शासन, प्रशासन जितना जिम्मेवार है तो उतना ही जिम्मेवार मीडिया भी है जो सिर्फ और सिर्फ अपने टीआरपी कि खातिर इन ख़बरों को अहमियत देती है वो भी प्रोफाइल, जगह और स्टेटस देख कर खबर चलाती है. ये मैं नहीं उन चैनलों के जमीनी पत्रकारों का बयान है.

आज दिल्ली में हुए इस मामले पर समूचा देश उबल पड़ा है क्योकि मीडिया ने इसे जबर्दस्त ढंग से तवज्जो दिया है, तो फिर मीडिया को अपनी भूमिका और ताकत का एहसास होना चाहिए ना की बस टीआरपी हासिल करने की लिए खानापूर्ति की खातिर रोल अदायगी करना. आज इस मामले पर सारा देश शर्मिन्दा है तो फिर इस शर्मिंदगी के लिए सरकार, समाज, प्रशासन के साथ साथ मीडिया भी उतना ही दोषी है वरना क्या मजाल था अगर मीडिया सख्त हो जाए तो कोइ दुबारा ऐसी हिमाकत कर सके और सरकार नपुंसक बन सके. जागो मीडिया जागो. (आलोक पुंज के फेसबुक वॉल से साभार)

24 घंटे का अश्लील तमाशा, वही ब्रेकिंग न्यूज की लाल पट्टी

breaking news

एक वीडियो एडिटर की कलम से …..

इस मुल्क में बेटियाँ क्यों सुरक्षित नहीं है ,संसद की सियासत में इस बार जया की रुलाइयां है।।वो फूट फूट कर रोई ..जो इस बार भी जाया जायेंगी ,सब चीज़े कुछ वक्त बाद फ़ना हो जायेंगी ,लेकिन इसी बीच कुछ पीछे छूट गया ,इस मुल्क की बेटी आज फिर बेबस है और मैं बेचेंन हूँ …

एक वीडियो एडिटर होने के नाते मैं इस मुल्क की बेटियों को जानता भी और पहचानता भी हूँ ,ख़बरों की बेबसी में बस यह बेटियां हर बार चेहरा बदल लेती है ,लेकिन अंत वही होता है ,कभी किसी के चेहरे पर उस वक्त तक तेज़ाब डाला जाता है ,जब तक उसकी कोमलताए ख़त्म ना हो जाए तो कभी किसी घर में जब तक जलाया जाता जब तक उसकी आत्मा न जल जाए ,मन के आँगन में यह 24 घंटे का अश्लील तमाशा है जो हर रोज कभी किसी चोराहे पर लगाया जाता है ,कभी दिल्ली के दिल में ..कभी मुंबई ..कभी कही और …

एक गहरी खामोशी के बाद जब कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ तो शब्दों ने इतराना शुरू कर दिया है …शायद यह मेरे लिए आम बात है ..वही शब्द ..वही बातें ..बस आज तारीखे बदल रही है …लेकिन हम नहीं बदले ..वही न्यूज़ फ़्लैश …ब्रैकिंग न्यूज़ की वो लाल पट्टी ..

सब तो वही है ..जैसे सब कुछ स्क्रिप्टड हो !!.

सदियों की चुप्पी तोड़ कर सब इंडिया गेट फिर जायेंगे ..इस बार मोमबत्तियां के सामने वाले बैनर की तस्वीर बदल रही है ..वही शाम ..वही चन्दा मामा ..वही लोग ..बस तस्वीर बदल रही है ..मातम वही है ..आंसू वही है ..बेबसी ..बैचेनी ..और वो रुलाइयां .. इसी बीच ऑफिस का टाइम हो गया है ..

अलविदा

आपका आशीष

+91-8860786891

 

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